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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता: “काश कभी वो वक़्त ना आए/ जब ये दहक़ां लौट के जाएँ/ गाँव की हदबंदी कर लें…”
    07 Mar 2021
    दिल्ली की सरहद पर किसान आंदोलन अपने सौ दिन पूरे कर चुका है। इन सौ दिनों में किसानों ने क्या कुछ नहीं झेला। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते और सुनते हैं इन्हीं सब हालात को बयान करती शायर और वैज्ञानिक गौहर…
  • कंटीले तार लम्बी नुकीले कीलों के घेरे में लोकतंत्र
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : कंटीले तार लम्बी नुकीली कीलों के घेरे में लोकतंत्र
    21 Feb 2021
    दिल्ली की सरहदों समेत पूरे देश में किसान आंदोलन जारी है। “उन्हें मालूम था/ उनकी मुठभेड़/ ताक़त से है/ तब भी इंतज़ार है/ अच्छी ख़बर का”... वाकई अच्छी ख़बर का सबको इंतज़ार है। एक किसान से लेकर एक कवि तक…
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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सच, डर और छापे
    14 Feb 2021
    न्यूज़क्लिक पर ईडी की छापेमारी के बहाने हो रहे हमले के ख़िलाफ़ देश-समाज की तमाम लोकतांत्रिक आवाज़े उठी हैं। न सिर्फ़ पत्रकार बल्कि अन्य लोगों ने भी लिखकर, बोलकर अपनी एकजुटता जाहिर की है। तमाम साथी…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : सत्ता, किसान और कवि
    07 Feb 2021
    आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं प्रेमलता वर्मा की कुछ नयी और चुनिंदा कविताएं। प्रेमलता वर्मा, हिंदी और स्पानी भाषा की लेखिका हैं, जो कई दशकों से अर्जेंटीना में रह रही है। वह कवि, कहानीकार और…
  • किसान आंदोलन
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    'कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के...' बल्ली सिंह चीमा की कविता
    31 Jan 2021
    किसान आंदोलन को 6 महीने से ज़्यादा हो चुके हैं, और दिल्ली की सरहदों पर किसान क़रीब 70 दिन से बैठे हैं और तीनों कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसानों के जज़्बे को सलाम करते हुए पेश है बल्ली सिंह चीमा…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : साधने चले आए हैं गणतंत्र को, लो फिर से भारत के किसान
    24 Jan 2021
    केंद्र के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो महीने से डटे हैं और अब 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में जुटे हैं। इसी को अपनी कविता में रेखांकित कर रही हैं उषा बिंजोला। आइए ‘इतवार…
  • माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    17 Jan 2021
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं संजीव गौतम के नए ग़ज़ल संग्रह ‘बुतों की भीड़ में’ से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें जो हालात-ए-हाज़रा का आईना हैं।
  • जाति
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?
    10 Jan 2021
    इतवार की कविता में आज पेश है कुमार अंबुज की कविता 'तुम्हारी जाति क्या है'।
  • सावित्रीबाई फुले
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सावित्रीबाई फुले : खेती ही ब्रह्म, धन-धान्य है देती/अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म
    03 Jan 2021
    आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। वे एक शानदार कवि भी थीं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी कुछ कविताओं के अंश-
  • ग़ालिब 223वीं जयंती पर विशेष
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    'तन्हा गए क्यों अब रहो तन्हा कोई दिन और' ग़ालिब 223वीं जयंती पर विशेष
    27 Dec 2020
    मिर्ज़ा ग़ालिब 1797 में 27 दिसंबर को आगरा में पैदा हुए। आज उनकी 223वीं जयंती है। आइये आज पढ़ते हैं उनकी वह ग़ज़ल जो उनके भतीजे की मौत पर लिखी गई थी।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License