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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    विशेष: एक हमारी और एक उनकी मुल्क में हैं आवाज़ें दो
    26 Jan 2022
    गणतंत्र दिवस के मौके पर आइए सुनते हैं जावेद अख़्तर की नज़्म...जो हमें बता रही है कि किस तरह मुल्क में दो आवाज़ें हैं—एक जो प्यार सिखाती है, आगे बढ़ना सिखाती है और दूसरी जो नफ़रत बढ़ाती, एक-दूसरे को…
  • फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...यूँ ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़/ न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई
    13 Feb 2021
    भारतीय उपमहाद्वीप के शानदार शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का आज जन्मदिन है। 110वीं सालगिरह। इस मौके पर फिर पढ़ते हैं उनकी एक बेहतरीन नज़्म “निसार मैं तेरी गलियों के अए वतन…” जो आज और भी मौज़ूं है।
  • किसान आंदोलन
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...मेरे महबूब यहीं आके मिला कर मुझसे
    07 Feb 2021
    किसान आंदोलन जारी है और वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) भी शुरू हो गया है। यानी प्रेम और आंदोलन साथ-साथ हैं। मुकुल सरल की नज़्म इन्हीं दोनों पहलुओं को समेटते हुए सत्ता को चुनौती देती है।
  • Gauhar Raza
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    तुम किसानों को सड़कों पे ले आए हो/ अब ये सैलाब हैं/ और सैलाब तिनकों से रुकते नहीं
    16 Dec 2020
    “ये जो सड़कों पे हैं ख़ुदकशी का चलन छोड़ कर आए हैं/ बेड़ियां पांव की तोड़ कर आए हैं….” वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा ने एक बार फिर अपने क़लम से जनता की आवाज़ बुलंद की है। इस समय चल रहे किसान आंदोलन के…
  • किसानों का आंदोलन
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    हल चलाने वालों का कोई हल नहीं है, क्यों?
    14 Dec 2020
    मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ देश भर के किसानों का आंदोलन दिन ब दिन बढ़ रहा है। इसी सिलसिले में पेश है इरशाद ख़ान सिकंदर की एक नज़्म...
  • Eid mubarak
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ईद मुबारक...आइए हाथ उठाएँ हम भी, हम जिन्हें रस्म-ए-दुआ याद नहीं...
    25 May 2020
    “आइए अर्ज़ गुज़ारें कि निगार-ए-हस्ती/ज़हर-ए-इमरोज़ में शीरीनी-ए-फ़र्दा भर दे…” ईद उल-फ़ित्र के इस मुबारक मौके पर आइए पढ़ते हैं मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म ‘दुआ’।
  • International Women's Day
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    मैं हिन्दुस्तान की बेटी हूं... हर रंग में मैं मिलती हूं
    08 Mar 2020
    महिला दिवस की मुबारकबाद के साथ ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उम्मे कुलसुम की नज़्म जो उन्होंने लखनऊ के घंटाघर में सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान सुनाई।
  • violence
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    उसने गोली चलाई और कहा, 'सर जी! हालात कंट्रोल में हैं'…
    01 Mar 2020
    दिल्ली में हुई दर्द और नफ़रत से भरी हिंसा और दिल्ली पुलिस की भूमिका पर लगे सवालिया निशान के बीच, हम आपके बीच साझा कर रहे हैं शाहबाज़ रिज़वी की एक ग़ज़ल, और इदरीस बाबर की एक नज़्म।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License