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अरुण कुमार त्रिपाठी

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  • आख़िर किसानों की राजनीति में बुराई क्या है?
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    आख़िर किसानों की राजनीति में बुराई क्या है?
    23 Sep 2020
    ऐसी राजनीति चाहिए जिसमें खेती और गांव को नए संदर्भ में परिभाषित किया जाए और उसके सामुदायिक और पर्यावरणीय पहलू को बचाते हुए उसे आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाया जाए और शोषण और दमन से छुटकारा दिलाया जाए।
  • हिंदी
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    संस्कृत के मोह में रुक गया हिंदी का विकास
    14 Sep 2020
    महात्मा गांधी ने हमेशा हिंदी और उर्दू के बीच एक रिश्ता जोड़ते हुए हिंदुस्तानी को राष्ट्रभाषा बनाने की पैरवी की, लेकिन...। हिंदी दिवस पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी का विशेष आलेख।
  • राजन के समोसे, नन्हें की आमलेट और नौकरी का इंतजार
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    राजन के समोसे, नन्हे की आमलेट और नौकरी का इंतजार
    05 Sep 2020
    युवा मानते हैं कि सरकार हर दो महीने पर दो हजार रुपए अगर किसानों मजदूरों के खातों में डालती है तो उससे उनका पेट भरना दूभर है, आत्मनिर्भरता क्या आएगी। वे मानते हैं कि इसमें महामारी का उतना दोष नहीं है…
  • कोरोना में गांवः संदेह और बेकारी में रामराज्य!
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    कोरोना में गांवः संदेह और बेकारी में रामराज्य!
    24 Aug 2020
    कोरोना के भय और रहस्य से उबरने के लिए अलग-अलग चर्चाएं और उनसे निर्मित संदेह जारी हैं। हालांकि कोरोना काल के आरंभ में ज्यादातर युवाओं की जो चिंता पहले महामारी के भयानक स्वरूप को लेकर थी, वही बाद में…
  • mau
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    आओ परशुराम परशुराम खेलें
    13 Aug 2020
    सवाल उठता है कि उत्तर भारत की राजनीति को बदल देने वाले आंबेडकर और लोहिया के आंदोलन के दावेदार आज क्यों परशुराम की मूर्ति लगाने की होड़ कर रहे हैं।
  •  नेहरू, गांधी और पटेल
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    राममंदिर बनाम सोमनाथ पुनर्निर्माणः गांधी, पटेल और नेहरू
    04 Aug 2020
    आज यह ज़रूरी हो गया है कि इतिहास के उस पन्ने को पलटा जाए जिसमें नेहरू ने सोमनाथ मंदिर निर्माण का विरोध किया था और यह भी जाना जाए कि गांधी ने किन शर्तों पर अनुमति दी थी और पटेल से क्या कहा था।
  • गांधी
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    गांधी का ‘रामराज्य’ हिंदू राज नहीं था
    31 Jul 2020
    संभवतः एक पारदर्शी और जवाबदेह लोकतंत्र वही होता है जिसकी स्थापना सत्य पर आधारित हो। जहां न तो राजा झूठ बोले और न ही प्रजा झूठ सहे।
  • बाबा साहेब
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    भारतीय लोकतंत्र पर बाबा साहेब की चेतावनी सुननी होगी
    25 Jul 2020
    बाबा साहेब ने लोकतंत्र की जो शर्तें बताई हैं वह तत्कालीन ही नहीं आज के समाज के लिए आइना साबित हो सकती हैं। हमें इसी आइने में अपनी आज की लोकतांत्रिक अव्यवस्था को देखना होगा और सोचना होगा कि हम उसमें…
  • प्रेस
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    ट्रस्ट और राष्ट्र के बीच प्रेस
    17 Jul 2020
    अगर वह प्रेस और सत्य के साथ अपना न्यास धर्म (ट्रस्ट धर्म) निभाए तो उसका राष्ट्रधर्म खंडित होता है और राष्ट्रधर्म निभाए तो पत्रकारिता के धर्म के साथ छल करती है।
  • विकास दुबे
    अरुण कुमार त्रिपाठी
    अपराध की जाति और धर्म
    10 Jul 2020
    वास्तव में विकास दुबे का पूरा मामला उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक चरित्र का एक नमूना है। उत्तर प्रदेश का समाज न सिर्फ जातिवादी और सांप्रदायिक है बल्कि वह अपराधियों के प्रति आदर रखने वाला भी है।
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License