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न्यूज़क्लिक डेस्क

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    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं
    16 Aug 2020
    ‘इतवार की कविता’ के जरिये हमारी कोशिश है, जनता के शायर राहत इंदौरी को फिर-फिर याद करने की, सलाम पेश करने की।
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...पूरे सिस्टम को कोरोना हो गया था और दुर्भाग्य से हमारे पास असली वेंटिलेटर भी नहीं था
    02 Aug 2020
    “वो सबकुछ छीनकर/ वो सबका छीनकर/ बन रहे थे ‘आत्मनिर्भर’/ बदल रहे थे/ आपदा को अवसर में / जिसे कहते हैं दरअसल- मौक़ापरस्ती...।” ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं लॉकडाउन की कहानी कहती कवि-पत्रकार मुकुल सरल…
  • समाज
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...कैसा समाज है जो अपनी ही देह की मैल से डरता है
    26 Jul 2020
    “और मैं बार-बार पूछता रहूंगा वही एक पुराना सवाल-यह दुनिया ऐसी क्यों है?”, वरिष्ठ कवि अरुण कमल को पढ़ना अपने समय-समाज की एक पूरी यात्रा करना है। एक मुठभेड़ भी। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी…
  • Sunday Poem
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    क्या हुआ छिन गई अगर रोज़ी, वोट डाला था इस बिना पर क्या!
    12 Jul 2020
    “अक़्ल की बात और भक्तों से/ अक़्ल पे पड़ गए हैं पत्थर क्या!”, हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक, शिक्षक और संस्कृतिकर्मी आशुतोष कुमार ने अपनी रचना में बहुत ही शानदार ढंग से व्यंग्यात्मक लहज़े में समय-समाज का…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ‘इतवार की कविता’: मेरी चाहना के शब्द बीज...
    05 Jul 2020
    “…जो चाहते हैं एक पक्के ग्लास का गमला/ थोड़ी सी मिट्टी/ और जीने के लिये पानी/ चाहते हैं फूल बनकर/ जीवन में सुगंध सौंदर्य का सुवास”। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कवि-संस्कृतिकर्मी श्याम कुलपत की…
  • poverty
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है...
    28 Jun 2020
    ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं मशहूर शायर ओम प्रकाश नदीम की कुछ शानदार ग़ज़लें।
  • Che Guevara
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    वचन देते हैं, हम विजयी होंगे या मौत का सामना करेंगे
    14 Jun 2020
    क्यूबाई क्रांति के प्रमुख नेता चे ग्वेरा का आज जन्मदिन है। 14 जून 1928 को चे का जन्म अर्जेंटीना में हुआ था। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं क्यूबा क्रांति के दूसरे प्रमुख नेता और राष्ट्रपति रहे फ़िदेल…
  • सफ़ूरा ज़रग़र की अजन्मी बिटिया की ओर से... तुम कब जनमोगी अम्मा...मैं कब आज़ाद होउंगी!
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सफ़ूरा ज़रग़र की अजन्मी बिटिया की ओर से... तुम कब जनमोगी अम्मा...मैं कब आज़ाद होउंगी!
    03 Jun 2020
    ‘सब याद रखा जाएगा’ : कवि और समाजसेवी अंशु मालवीय ने 2002 के गुजरात दंगों का शिकार हुईं कौसर बानो की अजन्मी बिटिया की ओर से एक बेहद मार्मिक कविता लिखी थी, जो अपने आप में प्रतिरोध का सच्चा बयान और…
  • रोटी खाना और रोटी कमाना
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …रोटी खाना और रोटी कमाना दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं
    24 May 2020
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं कवि और पत्रकार मुकुल सरल की नयी कविता ‘रोटी…’।
  • muzaffarnagar accident
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...गले में दिल को लिए चीख़ता है सन्नाटा
    17 May 2020
    “वो इंतज़ाम करेंगे ज़रूर चीख़ों का/ कि चैनलों के लिए बेमज़ा है सन्नाटा।” या फिर “सत्ता के हिप्नोटिज़्म की सब हैं गिरफ़्त में/ उनका फ़रेब तोड़ने वाला नहीं मिला।” इस तेवर के साथ हमारे समय की तल्ख़…
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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License