NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आयुध बोर्ड ने हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों का वेतन काटा
आयुध कारखानों के निगमीकरण के ख़िलाफ़ एक लाख से अधिक श्रमिकों ने 20 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल की, जो छह दिनों तक चली थी।
रौनक छाबड़ा
19 Sep 2019
ordnanace board
Image Courtesy: Hindustan Times

82,000 रक्षा असैनिक कर्मचारियों और 40,000 हज़ार संविदा कर्मचारियों की तनख़्वाह में 20 अगस्त से 25 अगस्त तक चली देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने की वजह से कटौती की गई है। जिसे यूनियनों ने एक विरोध को दबाने की कोशिश कहा है।

ऑर्डनेंस फ़ैक्टरी बोर्ड द्वारा जारी 26 अगस्त के सर्कुलर में फ़ैक्टरी यूनिट्स के सभी महाप्रबंधकों को "कर्मचारियों की किसी भी श्रेणी के लिए अपने स्वयं के स्ट्राइक पीरियड को दर्ज नहीं करने" का निर्देश दिया गया है, जो सीधे सीधे वेतन कटौती को दिखाता है।  

सर्कुलर में ऐसे सभी कर्मचारियों की सूची तैयार करने के लिए कारखानों को निर्देशित किया गया है, जो अनुपस्थित थे।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी यूनियन के महासचिव (AIDEF)  सी श्रीकुमार ने कहा, "प्रबंधन, इस मामले में काम से कर्मचारियों की हड़ताल की अवधि के दौरान अनुपस्थिति को एक अनाधिकृत अनुपस्थित मानता है, जबकि यह निर्धारित भारतीय क़ानूनों के प्रावधानों के ख़िलाफ़ है, क्योंकि यह हड़ताल क़ानूनी रूप से उचित थी।”

आपको बता दें कि आयुध कारखानों में काम करने वाले रक्षा नागरिक कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 और ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 के तहत काम करते हैं। यूनियनों के अनुसार, हड़ताल क़ानून और नियम के अंदर रहकर ही की गई थी।

श्रीकुमार ने कहा, " 75% से अधिक सदस्यों को साथ लेकर हड़ताल का आयोजन किया गया था और प्रबंधन को हड़ताल की सूचना भी दी गई थी।"

उन्होंने कहा, ऐसे मामलों में जब काम से अनुपस्थिति एक क़ानूनी हड़ताल में भाग लेने के कारण होती है, तो विभाग के पास कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने की शक्ति नहीं है।

कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त संघों ने ओएफ़बी के अध्यक्ष को भेजे गए एक संयुक्त पत्र दिनांक 17 सितंबर को बोर्ड के निर्णय से अपनी निराशा व्यक्त की।

तीनों यूनियनें ऑल इंडिया डिफ़ेंस एम्पलाइज़ फ़ेडरेशन (AIDEF), इंडियन नेशनल डिफ़ेंस वर्कर्स फ़ेडरेशन (INDWF) और यहां तक कि RSS से जुड़े भारतीय प्रतिरक्षा मज़दूर संघ (BPMS) ने भी इसकी आलोचना की है।

इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों के मोर्चों ने पहले भी यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करने में सरकार की "मंशा" पर संदेह व्यक्त किया था।

यूनियनों के अनुसार, रक्षा उत्पादन सचिव के लिखित आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल को "ख़त्म" किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और यूनियन की चिंताओं पर विचार किया जाएगा। हालाँकि, यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधानों के लिए अभी तक कोई उच्च स्तरीय समिति का गठन नहीं किया गया है।

श्रीकुमार ने कहा, "यूनियन ऑर्डनेंस फ़ैक्टरीज़ के निगमीकरण के संबंध में घटनाक्रम पर पैनी नज़र बनाई हुई है, जिसके आधार पर ज़रूरत पड़ने पर दूसरे चरण का आंदोलन बुलाया जा सकता है।

20 अगस्त को आयुध कारखानों के निगमीकरण के ख़िलाफ़ एक लाख से अधिक नागरिक ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल पर चले गए थे।

Defence civilian employees
Ordnance Factories
Defence Civilian Workers Strike
All India Defence Employees Federation
Corporatisation of Ordnance Factories
Privatisation
Ordnance Factory Workers Salaries Cut
Wage Cut

Related Stories

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम

भारत की राष्ट्रीय संपत्तियों का अधिग्रहण कौन कर रहा है?

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर

बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

केरल में दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत लगभग सभी संस्थान बंद रहे

"जनता और देश को बचाने" के संकल्प के साथ मज़दूर-वर्ग का यह लड़ाकू तेवर हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ है


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License