28 साल बाद बाबरी मस्जिद ध्वंस के आपराधिक मामले में कोर्ट ने एल के आडवाणी और एम एम जोशी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया. संघ परिवार से जुड़े संगठनों और लोगों का इस फ़ैसले से खुश होना लाजिमी है पर एक लोकतंत्र कहलाने वाले देश की अपराध-न्याय व्यवस्था के लिए इस फैसले के क्या अर्थ हैं? ऐसे कई जरूरी सवालों पर चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण: