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अपराध
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राजनीति
बेटियों को सुरक्षित माहौल देने में विफल हो रही यूपी सरकार
अलीगढ़ के टप्पल कस्बे में ढाई साल की मासूम की नृशंस हत्या, कुशीनगर में किशोरी से गैंगरेप, कानपुर मदरसे में छात्रा से दुष्कर्म, हमीरपुर और जालौन में मासूम लड़कियों की रेप के बाद हत्या जैसे संगीन अपराधों से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सरोजिनी बिष्ट
12 Jul 2019
फाइल फोटो
(फोटो साभार: The Economic Times)


उत्तर प्रदेश में यह क्या हो रहा है, इससे ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि यह क्यों हो रहा है, अपराधियों, बलात्कारियों के हौसले बुलंद हैं। महिलाओं, नाबालिगों के खिलाफ़ यौन हिंसा की घटनाएं चरम पर हैं, कहीं पुलिस अत्याचार पर उतारू है तो कहीं सरेआम महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। 

पिछले दिनों बदायूं से एक ऐसी घटना सामने आई जिसने यह जता दिया कि यूपी में किस कदर दबंगों के हौसले बुलंद हैं। खेत में काम कर रही 16 वर्षीय लड़की को एक दबंग सबके सामने उठाकर ले गया उसने ना केवल विरोध कर रही लड़की की जमकर पिटाई की बल्कि उसके कपड़े भी फाड़ डाले। 

अपराधी ने लोगों को खुलेआम चेतावनी भी दे डाली कि यदि कोई इस मामले में पुलिस के पास गया तो उसे भी वह देख लेगा। दरअसल यूपी की कानून व्यवस्था पर भी एक बड़ा सा प्रश्न चिन्ह लग चुका है। 

हालांकि हद तो तब हो जाती है जब कोई यूपी में बढ़ते अपराध और कानून व्यवस्था पर सवाल करता है तो यूपी पुलिस के ट्विटर एकाउंट से अपनी सफलताओं का पोथा खोलकर रख दिया जाता है पर पिछली सफलताओं से आगे होने वाले अपराधों पर पर्दा तो नहीं डाला जा सकता।

अलीगढ़ के टप्पल कस्बे में ढाई साल की मासूम की नृशंस हत्या, कुशीनगर में किशोरी से गैंगरेप, कानपुर मदरसे में छात्रा से दुष्कर्म, हमीरपुर और जालौन में मासूम लड़कियों की रेप के बाद हत्या जैसे संगीन अपराधों से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।  

लूट, हत्या और डकैती जैसे अपराधों में आई बढ़ोत्तरी से मुख्यमंत्री के उन दावों की भी पोल खुल गई है कि 'अपराधी डर कर या तो राज्य से बाहर चले गए हैं या फिर जमानत रद्द कराकर जेल में बंद हैं।'

राज्य सरकार भले ही उत्तर प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक होने और कानून व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा कर ले लेकिन मुख्यमंत्री की पुलिस अफसरों के साथ हो रहीं बैठकें और बड़े पैमाने पर पुलिस कप्तानों के हुए ट्रांसफर इतना बताने के लिए काफी है कि उत्तर प्रदेश में सब कुछ ठीक नहीं है। 

इसमें दो राय नहीं कि जब से योगी सरकार ने यूपी की कमान संभाली तब से ही एनकाउंटर के मामले ने तेजी पकड़ी बावजूद इसके अपराध भी अपनी पकड़ बनाए हुए है और खासकर पिछले कुछ समय से महिलाओं के खिलाफ़ होने वाले अपराधों में ज्यादा तेजी आई है। 

अपनी सफलताओं को गिनाने वाली योगी सरकार भी काफी नानुकुर के बाद आखिरकार मान ही गई कि राज्य में महिलाओं, नाबालिगों के खिलाफ़ अपराध बढ़ रहे है तभी तो महिला सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री को अंततः उच्च स्तरीय बैठक बुलानी पड़ी साथ ही बढ़ते अपराध की रोकथाम और मॉनिटरिंग के लिए प्रदेश की चार वरिष्ठ महिला आईपीएस अफसरों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई। 

महिला सुरक्षा के नाम पर बैकफुट पर खड़ी योगी सरकार अब यह भी मान चुकी है कि उसके द्वारा गठित एंटी रोमियो स्क्वाड भी बेअसर हो चला है। सीएम योगी ने पुलिसिंग, डायल-100 तथा एंटी रोमियो स्क्वाड को और अधिक सक्रिय किये जाने पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं और बालिकाओं से छेड़खानी करने और उन्हें परेशान करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें।

दरअसल राज्य में सरकार बनाते समय जिस पार्टी और मुख्यमंत्री ने सबसे पहले महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन यह कहते हुए किया कि महिलाओं, स्कूली और कॉलेज छात्राओं को छेड़ने वाले शोहदों की अब खैर नहीं, एंटी रोमियो स्क्वाड ऐसे शोहदों को सबक सिखाने के लिए काफी है अब वही सरकार और वही मुख्यमंत्री यह मान रहे हैं कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं और एंटी रोमियो स्क्वाड निष्क्रिय हो चला है। 

हालांकि अपनी कार्यशैली और ज्यादतियों के चलते खुद एंटी रोमियो स्क्वाड कई बार सवालों के घेरे में आ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से इस महिला रक्षक दल को मजबूत अभियान चलाने का निर्देश दिया है साथ ही भीड़-भाड़ और संवेदनशील जगहों पर सक्रियता बढ़ाने पर बल दिया है। 

मुख्यमंत्री जी को यह लगता है कि राज्य में बढ़ते महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने में एंटी रोमियो स्क्वाड एक मजबूत भूमिका निभा सकता है। तो मुख्यमंत्री जी से एक सवाल यह बनता है कि राज्य में सरकार बनते ही सबसे पहले इस दल का गठन इसी आधार पर किया गया था कि मां बहन बेटियों को एक सुरक्षित माहौल दिया जा सके और उनके खिलाफ होने वाले अपराधों से उन्हें बचाया जा सके, पर ठीक इसके उलट ही हो रहा है। 

रक्षा के नाम पर लड़के लड़कियों को परेशान करने का आरोप एंटी रोमियो स्क्वाड पर लगते रहे इतना ही नहीं कहीं-कहीं तो उनकी ज्यादतियों की हद तक हो गई पर अब बात और गंभीर हो चली है अपराधी, बलात्कारियों के हौसले बुलंद हैं, महिला रक्षक दल कहीं सोए हुए हैं और कानून शिथिल होता जा रहा है।

अलीगढ़ की घटना के बाद वाराणसी में लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगाकर सरकार से बेटियों को बचाने की अपील तक कर डाली पोस्टर पर लिखा था 'सरकार सुरक्षा दे क्योंकि.....घरों में बेटियां हैं... '  इससे बड़ा जनाक्रोश का उदाहरण और क्या हो सकता है। 

तो यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं कि यूपी में सब कुछ ठीक नहीं। हम अपनी बेटियों को एक सुरक्षित माहौल देने में विफल हो रहे हैं। ऐसे बिगड़ते माहौल को संभालने की जवाबदेही आख़िर किसी की तो बनती है। ठीक है उसे संभालने की ओर कदम बढ़ाने का दावा भी किया जा रहा है पर यह देखना होगा कि निर्णायक कदम कहीं दावों की ही भेंट न चढ़ कर रह जाएं क्योंकि मसले बहुत गंभीर मोड़ पर आ पहुंचे हैं।

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