NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
बिहारः फूलगोभी का बीज उगाकर किसानों ने अपना क़िस्मत बदला
फूलगोभी का बीज उगाने वाले किसान संजीव कहते हैं कि उन्होंने गांव के अन्य बेरोज़गार युवाओं के साथ मिलकर साल 2005 अन्नादता कृषक क्लब की स्थापना की और वैज्ञानिक प्रशिक्षण तथा उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके बीज की खेती शुरू की।
मोहम्मद इमरान खान
20 Nov 2019
foolgobhi

चकवारा (बिहार): मनीष कुमार, अरुण कुमार सिंह, दिनेश कुमार और सुनील कुमार अन्य किसानों से बिल्कुल अलग हैं। ये लोग कई एकड़ ज़मीन लीज पर लेकर पारंपरिक फसलों के बजाय फूलगोभी के बीज की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है और उनकी ज़िंदगी में बदलाव आया है।

दर्जनों अन्य छोटे और सीमांत किसान अपने पैतृक गांव वैशाली ज़िले के चकवारा में आज काफी खुश हैं। सुनील कहते हैं, "फूलगोभी के बीज की बुवाई ने गांव का चेहरा ही बदल दिया है क्योंकि यह काफी लाभ देने वाला है।"

अरुण कहते हैं कि वे किसान जो दशकों तक बुनियादी ज़रुरतों की पूर्ति के लिए संघर्ष करते रहे उनके लिए फूलगोभी के बीज का उत्पादन काफी बेहतर साबित हुआ है। इसने धान, गेहूं या किसी अन्य फसल के विपरीत आमदनी के साथ-साथ बाजार के मामले में भी सफलता हासिल की है।

ये किसान इस गांव के प्रगतिशील किसान संजीव कुमार को इसका श्रेय देते हैं जिन्हें इसका अगुआ माना जाता है।

संजीव कहते हैं, “यह न तो आसान था और न ही समस्याओं से दूर था। शुरू में, केवल कुछ किसानों ने ही फूलगोभी की खेती की क्योंकि किसानों को नुकसान का डर था। कुछ किसानों को जब इससे फायदा हुआ तो इसने दूसरों को प्रेरित किया और इसकी तरफ लोगों का झुकाव होने लगा।”


Capture_13.JPG

संजीव कहते हैं कि उन्होंने गांव के बेरोज़गार शिक्षित युवाओं के एक समूह के साथ मिलकर साल 2005 में नाबार्ड और बैंक ऑफ इंडिया की मदद से अन्नादता कृषक क्लब की स्थापना की और वैज्ञानिक प्रशिक्षण और उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके फूलगोभी के बीज की खेती शुरू की।

चकवारा की तरह वैशाली ज़िले में दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां लगभग 500 किसान फूलगोभी के बीज की खेती कर रहे हैं। वे एजेंटों के माध्यम से देश-विदेश में गुणवत्ता वाले फूलगोभी के बीज की आपूर्ति कर रहे हैं। सुनील कहते हैं, वे सालाना लगभग 10 टन बीज की खेती और आपूर्ति कर रहे हैं जो सीधे या छोटे व्यापारियों द्वारा बेचा जाता है।

संजीव कहते हैं, किसान गुणवत्ता के आधार पर 3000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज बेच रहे हैं।

वे आगे कहते हैं, “निर्यात लाइसेंस की कमी के कारण किसानों ने अब तक मांग के बावजूद विदेशों में सीधे तौर पर बीज की आपूर्ति नहीं की है। कुछ किसानों ने निर्यात के लिए लाइसेंस हासिल करने का आवेदन किया है। हमें इसके मिलने की उम्मीद है।“

संजीव जैसे छोटे और सीमांत किसान जिनके पास बड़ी ज़मीन का अभाव है उन्होंने फूलगोभी के बीजों को उगाने के लिए लीज या ठेके पर ज़मीन ले रखी है। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत ने उन्हें समृद्ध बना दिया है। इसके लिए बीज के बाज़ार का शुक्रिया।

चकवारा और इसके पड़ोसी गांवों जैसे लोधीपुर, रामभद्र, मीनापुर, करनपुरा, नवादा खुर्द, दौलतपुर और सेंदुआरी के कई किसान बीज की खेती के चलते समृद्ध हो गए हैं।

वैशाली में चकवारा और अन्य गांवों के फूलगोभी के बीज ने देश भर में अपना नाम और ब्रांड बना लिया है।

बीज की खेती में अपने नई खोज के लिए कई पुरस्कार प्राप्त करने वाले संजीव कहते हैं कि चकवारा और अन्य गांवों के युवा जिन्होंने बड़े पैमाने पर बीज की खेती को अपनाया है वे सरकारी नौकरियों में कम रुचि रखते हैं या अन्य काम के लिए पलायन करते हैं। उन्होंने कहा, "अधिकांश युवा बीज की खेती में लगे हैं क्योंकि इसमें अवसर और आमदनी किसी भी अन्य काम की तुलना में बेहतर है।"

मौजूदा सर्दी के मौसम में किसानों को सैकड़ों एकड़ ज़मीन में काम करते हुए देखा जा सकता है। चारों तरफ, कई गांवों में फूलगोभी के बीजों के साथ पीले-पीले फूलों को देखा जा सकता है जो यहां खुशी का एक प्रतीक बन गई है।

एक अन्य किसान रंजीत कुमार कहते हैं, “यह हमारी आजीविका का मुख्य स्रोत बन गया है, इसने हमें नाम, प्रसिद्धि और पैसा दिया है। चकवारा में ग्रामीणों की जीवन शैली को देखें। उनके पास किसी भी शहरी इलाके की तरह आरामदायक जीवन के लिए आधुनिक घर हैं जिनमें सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे टेलीविजन, एयर-कंडीशनर, दो और चार पहिया वाहन हैं।”

Agriculture
seed farming
Bihar
chakhwara
sanjeev kumar
example of seed farming

Related Stories

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

बिहारः खेग्रामस व मनरेगा मज़दूर सभा का मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन

यूपी चुनाव : किसानों ने कहा- आय दोगुनी क्या होती, लागत तक नहीं निकल पा रही

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

देशभर में घटते खेत के आकार, बढ़ता खाद्य संकट!

पीएम के 'मन की बात' में शामिल जैविक ग्राम में खाद की कमी से गेहूं की बुआई न के बराबर


बाकी खबरें

  • प्रियंका शंकर
    रूस के साथ बढ़ते तनाव के बीच, नॉर्वे में नाटो का सैन्य अभ्यास कितना महत्वपूर्ण?
    19 Mar 2022
    हालांकि यूक्रेन में युद्ध जारी है, और नाटो ने नॉर्वे में बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जो अभ्यास ठंडे इलाके में नाटो सैनिकों के युद्ध कौशल और नॉर्वे के सैन्य सुदृढीकरण के प्रबंधन की जांच करने के…
  • हर्षवर्धन
    क्रांतिदूत अज़ीमुल्ला जिन्होंने 'मादरे वतन भारत की जय' का नारा बुलंद किया था
    19 Mar 2022
    अज़ीमुल्ला ख़ान की 1857 के विद्रोह में भूमिका मात्र सैन्य और राजनीतिक मामलों तक ही सिमित नहीं थी, वो उस विद्रोह के एक महत्वपूर्ण विचारक भी थे।
  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: महंगाई-बेरोजगारी पर भारी पड़ी ‘नमक पॉलिटिक्स’
    19 Mar 2022
    तारा को महंगाई परेशान कर रही है तो बेरोजगारी का दर्द भी सता रहा है। वह कहती हैं, "सिर्फ मुफ्त में मिलने वाले सरकारी नमक का हक अदा करने के लिए हमने भाजपा को वोट दिया है। सरकार हमें मुफ्त में चावल-दाल…
  • इंदिरा जयसिंह
    नारीवादी वकालत: स्वतंत्रता आंदोलन का दूसरा पहलू
    19 Mar 2022
    हो सकता है कि भारत में वकालत का पेशा एक ऐसी पितृसत्तात्मक संस्कृति में डूबा हुआ हो, जिसमें महिलाओं को बाहर रखा जाता है, लेकिन संवैधानिक अदालतें एक ऐसी जगह होने की गुंज़ाइश बनाती हैं, जहां क़ानून को…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मध्यप्रदेश विधानसभा निर्धारित समय से नौ दिन पहले स्थगित, उठे सवाल!
    19 Mar 2022
    मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट सत्र निर्धारित समय से नौ दिन पहले स्थगित कर दिया गया। माकपा ने इसके लिए शिवराज सरकार के साथ ही नेता प्रतिपक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License