NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
बजट में महिला श्रमिकों की उपेक्षा
हालांकि वित्त मंत्री ने महिला श्रमिकों के नाम घोषणा की लेकिन उनके दावों का खोखलापन इस तथ्य में निहित है कि बजट में महिला श्रमिकों के 'वास्तविक मामलों' को संबोधित नहीं किया गया।
अर्चना प्रसाद
14 Feb 2018
बजट 2018

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अपने प्रस्तावना में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने लिखा "इस साल के सर्वे के आवरण का (गुलाबी) रंग महिलाओं के ख़िलाफ हिंसा ख़त्म करने के लिए बढ़ते आंदोलन के समर्थन के प्रतीक के रूप में चुना गया था।" मोदी सरकार के आख़िरी पूर्ण बजट से एक दिन पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बजट में महिला श्रमिकों की उचित और वास्तविक मामलों को लेकर कुछ संवेदनशीलता दिखाई देगी जिनकी संख्या अनौपचारिक रोज़गार में अधिक है और इन महिला श्रमिकों के मामलों को पिछले कुछ दशकों में महिला संगठनों ने लगातार उठाए हैं। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ - यद्यपि वित्त मंत्री ने महिला श्रमिकों के नाम पर कई उपायों की घोषणा की; उनके दावों का खोखलापन इस तथ्य में निहित है कि बजट में महिला श्रमिकों के 'वास्तविक मामलों' को संबोधित नहीं किया गया।

निरंतर अनौपचारिकता की समस्या की उपेक्षा

इस साल के बजट की मुख्य विशेषताओं में से एक औपचारिक क्षेत्र में "रोज़गार सृजन" पर तथाकथित फोकस करना रहा है। वित्त मंत्री का दावा है कि महिलाएं रोज़गार सृजन की मुख्य लाभार्थी होंगी और साथ ही कई उपायों की घोषणा की जो औपचारिक क्षेत्र में महिलाओं को रोज़गार देने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करेगा। इनमें से कुछ उपाय मातृत्व देखभाल को लेकर हैं जिसका भुगतान 12वें सप्ताह से बढ़ाकर 26वें सप्ताह तक करने के संदर्भ में है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार अगले तीन वर्षों में नए कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का 8.33 फीसदी और वस्त्र, चमड़ा और फुटवियर क्षेत्रों में 12 फीसदी योगदान देगी। इन तीन क्षेत्रों में से वस्त्र तथा फुटवियर क्षेत्रों में भारी संख्या में महिला श्रमिक हैं।

इस वास्तविकता से बिल्कुल अलग बात यह है कि इन बड़े दावों को मदद करने के लिए वस्तुतः कोई आवंटन नहीं हुआ है, ये बजट बड़ी आसानी से इस तथ्य की उपेक्षा करते हैं कि महिला कार्य बल का लगभग 84.8 प्रतिशत या तो स्वयं नियोजित है या सरकार के ही 2015 अनुमान के अनुसार आकस्मिक काम करती हैं। इसलिए महिला कर्मचारियों में से केवल14.2 प्रतिशत महिलाएं वैतनिक नौकरियों या संविदा कार्य क्षेत्र में काम करती हैं, जो कि इन प्रस्तावों से प्रभावित होने जा रहा है, भले ही भविष्य में इस उद्देश्य के लिए बजट वास्तव में आवंटित किया जाता है। यह देश की पूरी महिला आबादी का लगभग 4 प्रतिशत है।

इसलिए प्रस्तावित ईपीएफ और मातृत्व पात्रता प्रस्तावों के आसपास बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया तथ्य महज़ एक धोखा है जो मुख्य मुद्दों को अस्पष्ट कर रहा है, जो कि महिला श्रमिकों का विरोध करते हैं। इनमें से अधिकांश अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती हैं। लोकतांत्रिक महिला संगठन मांग करते रहे हैं कि अनौपचारिक क्षेत्र की महिला कर्मचारियों को श्रम मंत्रालय के तहत पंजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से 'श्रमिक' के रूप में मान्यता दी जाए। इससे उन्हें चिकित्सा, भविष्य निधि, पेंशन सहित अन्य लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह केवल ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से महिला श्रमिकों के सबसे असुरक्षित वर्गों को कुछ सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। यह वर्तमान वित्त मंत्री द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। ऐसा लगता है उनका मानना है कि मुद्रा ऋण के माध्यम से छोटे उद्यमियों को वित्तपोषण के जरिए स्व रोजगार का सृजन नौकरी सृजन की समस्या का समाधान है।

महिला श्रमिक तथा सूक्ष्म उद्यम

बजट में सबसे बड़ी सफलता के रूप में सूक्ष्म, मध्यम तथा लघु उद्यमों (एमएसएमई) को दी जाने वाली सहायता को प्रचारित किया गया। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र रोज़गार पैदा करेगा और इसके विकास का इंजन सूक्ष्म इकाइयों के विकास और पुनर्वित्त एजेंसी (मुद्रा योजना) होंगे। उन्होंने कहा कि इन सूक्ष्म इकाइयों में से 76 प्रतिशत महिलाओं की हैं और इस तरह यह 'महिला सशक्तीकरण' का एक बड़ा स्रोत हो सकता है। यह निष्कर्ष एक निजी परामर्श एजेंसी (स्कॉच) के एक अध्ययन पर आधारित लगता है जो दावा करता है कि इस योजना के तहत 55 मिलियन नई नौकरियां पैदा की गई हैं। यह अशुद्ध मुल्यांकन उस समझ पर आधारित है कि 'स्वयं रोजगार' एक 'बेहतर कार्य' है। ये आकलन इस तथ्य से विवादास्पद हो सकता है कि 2016-17 के दौरान किसी एक लाभार्थी को दिया गया औसत ऋण 44,000 रुपए था और नए उद्यमों को औसतन 70,000 रुपए का ऋण मिला। हालिया एक अध्ययन के अनुसार कोई भी इस योजना के तहत दिए गए ऋण के औसत परिमाण के साथ नियोजित नहीं किया जा सकता है। महिलाओं के मामले में भी गैर-कृषि का लगभग दो-तिहाई और कृषि उद्यम के लगभग आधे एकल व्यक्ति के स्वामित्व वाले हैं और संस्थान चलाते हैं जो अवैतनिक पारिवारिक श्रम के माध्यम से निरंतर रखे जाते हैं। रोज़गार की ऐसी परिस्थितियों में काम कर रहे श्रमिकों को 'असुरक्षित श्रमिक' कहा जाता है जिनके पास 'उचित कामकाजी परिस्थितियां' नहीं है। वर्तमान सरकार की नीति लाभकारी रोज़गार के लिए अवसर प्रदान करने के बजाय इस स्थिति को आगे बल देने की है।

इस संदर्भ में हम पूछ सकते हैं: नौकरी सृजन के इस तरह के एक असंतुलित मार्ग पेश करके हासिल करने की आख़िर सरकार मंशा क्या है? इस प्रश्न का उत्तर बजट भाषण में संलग्न है जहां 21 आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने का लक्ष्य है और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 9 लाख ग्रामीण स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उन्हें स्टार्टअप ग्राम उद्यमों के साथ जोड़ने का लक्ष्य है। यह स्पष्ट है कि इस कार्यक्रम के एक बड़े हिस्से को वित्तपोषित करने के लिए मुद्रा योजना के ज़रिए निजी वित्तीय संसाधनों को संगठित किया जाएगा। यह समझना महत्वपूर्ण है कि मुद्रा बैंक ग्रामीण विकास के लिए निजी वित्तीय संसाधनों के लिए मार्ग बनाने का एक तंत्र है। सार्वजनिक क्षेत्र और व्यावसायिक वाणिज्यिक बैंकों के अलावा2016-17 में इस योजना के माध्यम से वितरित किए गए ऋणों का 40 प्रतिशत से अधिक योगदान माइक्रो-फाइनांस संस्थानों ने किया। कोई माइक्रो-फाइनांस कंपनी मुद्रा बैंक के माध्यम से वित्त प्राप्त करती है और फिर ऋण लेने वाली ग़रीब महिलाओं को ऋण देती है। इन कंपनियों द्वारा ब्याज दरें 20 से 33 प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से लगाई जाती है। यही मुद्रा ऋण सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों से 11-13.75 प्रतिशत की ब्याज दर से ली जा सकती है। हालांकि मुद्रा जैसी वित्तपोषण योजनाओं के लिए छोटे आवंटन से पता चलता है कि इसके द्वारा किए गए उपायों को दमनकारी निजी सूक्ष्म वित्त संस्थानों के साथ मिलकर महिला श्रमिकों को संघटित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मौजूदा बजट में सरकार द्वारा प्रस्तावित उपायों से यह भी पता चलता है कि महिला श्रमिक पहले से कहीं ज्यादा ख़राब स्थिति में खुद को पाने जा रही हैं। इसलिए लोकतांत्रिक आंदोलन सरकार के वास्तविक इरादों को उजागर करने के क्रम में इन उपायों के प्रभाव पर नज़र रखेगा और दस्तावेज़ तैयार करेगा और इन नव-उदार संरचनात्मक परिवर्तनों के ख़िलाफ़ महिलाओं को संगठित करेगा।

बजट 2018
महिला मज़दूर
महिला सशक्तिकरण
मोदी सरकार
अरुण जेटली

Related Stories

किसान आंदोलन के नौ महीने: भाजपा के दुष्प्रचार पर भारी पड़े नौजवान लड़के-लड़कियां

सत्ता का मन्त्र: बाँटो और नफ़रत फैलाओ!

जी.डी.पी. बढ़ोतरी दर: एक काँटों का ताज

5 सितम्बर मज़दूर-किसान रैली: सबको काम दो!

रोज़गार में तेज़ गिरावट जारी है

लातेहार लिंचिंगः राजनीतिक संबंध, पुलिसिया लापरवाही और तथ्य छिपाने की एक दुखद दास्तां

माब लिंचिंगः पूरे समाज को अमानवीय और बर्बर बनाती है

अविश्वास प्रस्ताव: दो बड़े सवालों पर फँसी सरकार!

क्यों बिफरी मोदी सरकार राफेल सौदे के नाम पर?

अविश्वास प्रस्ताव: विपक्षी दलों ने उजागर कीं बीजेपी की असफलताएँ


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License