NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिहार चुनाव : भारत के पहले सोलर बिजली गाँव में बिजली स्टेशन ही बंद पड़ा है
बिहार के धरनई गाँव में कोई भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं करता है क्योंकि सौर माइक्रोग्रिड लंबे समय से बंद पड़ी है और स्थानीय लोग पावर स्टेशन की इमारतों का इस्तेमाल पशु बांधने के लिए कर रहे हैं।
मोहम्मद इमरान खान
21 Oct 2020
Translated by महेश कुमार
सौर ग्रिड पावर स्टेशन में भैंसे बांधी जा रही हैं
सौर ग्रिड पावर स्टेशन में भैंसे बांधी जा रही हैं। फ़ोटो: मोहम्मद इमरान ख़ान

धरनई (बिहार): "सौर ऊर्जा जैसा कुछ भी नहीं बचा है यहाँ, सब खत्म हो गया है", उक्त बात  बिहार के एक किसान उमेश सिंह ने कही। वे अपने गांव धरनई की सौर ऊर्जा के के प्रति कतई भी आशान्वित नहीं हैं, यह वह गाँव है जो देश का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव बना था। लेकिन अब सौर ऊर्जा से चलने वाले गांव का टैग केवल कागजों पर ही रह गया है। वर्तमान में, गांव के अधिकांश घर रोशनी और अन्य उद्देश्यों के लिए सामान्य बिजली ग्रिड से जुड़े हुए हैं।

जुलाई 2014 में शुरू होने के बाद से ही हम सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को लेकर बहुत खुश थे; यह गांव के लिए बड़ी बात थी क्योंकि पिछले तीन दशकों से यहां व्याप्त अंधकार को इसने समाप्त किया था। शुरुआती वर्षों में इसने काम किया लेकिन दो साल बाद निराशा हाथ लगने लगीं। पिछले दो वर्षों से अधिक समय से, सौर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन बंद पड़ा है “ उक्त बातें उमेश ने कही जो 60 के दशक की शुरुआत से धरनई निवासी हैं। 

एक अन्य निवासी, रविंद्र कुमार उर्फ नारायणजी, धरनई में अपने घर के बाहर एक साथी के साथ बैठे हुए कहते हैं कि, “सौर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन को केवल एक शो-पीस यानि दिखावे की तरह बना कर रख दिया गया है। इसकी बैटरी लाइफ खत्म हो गई है और सारा सामान भी बेकार हो गया है। आज के समय गांव में एक भी घर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है क्योंकि सौर-माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन की बैटरी काम नहीं कर रही है। बैटरी का जीवन समाप्त हो गया है लेकिन इसे बदला नहीं गया है।”

रविंदर आगे बताते है कि सौर ऊर्जा महंगी होने (9 रुपये प्रति यूनिट की दर) के बावजूद, कई ग्रामीणों ने इसका इस्तेमाल रिनुवेबल ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किया था। “शुरुआत में, 400 से अधिक घर सौर ऊर्जा से जुड़े और बाद में यह संख्या कम हो गई। कागज पर, 100 से अधिक घर अभी भी सौर ऊर्जा से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि सोलर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन से एक भी घर को बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है क्योंकि वह बंद पड़ा है।

उमेश और रविंदर के विपरीत, जो प्रमुख जाति भूमिहार से संबंध रखते हैं, वहीं पास के मुसाहर टोली जो मुसाहरों की खास बस्ती है और जो तबका सबसे अधिक हाशिए पर हैं के एक भूमिहीन दलित, नरेश मांझी अलग ही कहानी बताते है। उन्होंने कहा कि उनके घर में तो सौर ऊर्जा कनेक्शन ही नहीं है। “लेकिन सौर ऊर्जा से हमारी सड़के रोशन हुई थी जो हमारे जैसे गरीबों के लिए एक दुर्लभ बात थी, सौर ऊर्जा को धन्यवाद। लेकिन अब सब खत्म हो गया है, ” जोड़ते हुए उन्होंने कहा।

1_24.png
धरनई गांव में नरेश मांझी। फ़ोटो: मोहम्मद इमरान ख़ान

यह अविश्वसनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित सोलर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन की दो निकटवर्ती इमारतों का इस्तेमाल स्थानीय निवासी अपने पशु बांधने के लिए कर रहे हैं, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि संबंधित अधिकारियों ने स्टेशन का दौरा करना बंद कर दिया है। दो भैंसें एक इमारत में और दूसरी दो भैंसें दूसरी इमारत की लोहे की ग्रिल से बंधी देखी गईं। ताजा गोबर और मूत चारों ओर बिखरा हुआ था, यह नज़ारा बिजली स्टेशन की उपेक्षा की दुखद कहानी बयान कर रहा था। 

धरनई पंचायत के अंतर्गत बिष्णुपुर गाँव के एक युवा विक्की कुमार ने बताया कि, “सोलर माइक्रोग्रिड पॉवर स्टेशन बहुत पहले बंद हो गया था, इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है और सरकार की ओर से कोई दौरा नहीं करता है। कुछ स्थानीय निवासी इमारत के बाहरी हिस्से को पशु बांधने के लिए इस्तेमाल करते हैं।"

2_20.png
धरनई गांव में विक्की कुमार। फ़ोटो: मोहम्मद इमरान ख़ान

सौर बिजली सामान्य बिजली से महंगी है 

विक्की ने याद दिलाया कि जब सौर ऊर्जा शुरू की गई थी, तो उसके गांव के उपयोगकर्ताओं की संख्या बड़ी थी। सोलर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन, धरनई से सटे बिष्णुपुर के सामने स्थित है। “हमने भी इसका इस्तेमाल किया लेकिन यह महंगी थी। सौर ऊर्जा अच्छी है और पर्यावरण के अनुकूल भी है। जब हमारा गाँव बिजली ग्रिड से जुड़ गया जो बहुत सस्ती बिजली उपलब्ध कराती है, धीरे-धीरे लोग सौर ऊर्जा से पल्ला झाड़ने लगे। सौर ग्रिड स्टेशन बंद होने से पहले, केवल दर्जनों ही उपयोगकर्ता बचे थे।”

धरनई के गाँव के ही एक अन्य युवा सचिन कुमार ने बताया कि सरकार को ग्रामीणों के लिए सौर ऊर्जा पर सब्सिडी देनी चाहिए। काफी लोगों ने “बिजली ग्रिड से जुड़ने के बाद, सौर ऊर्जा से दामन तोड़ दिया है। एक निजी स्कूल के शिक्षक सचिन ने बताया कि हम यह समझने में नाकाम रहे कि सौर ऊर्जा वाले सबसे पहले गांव की इतनी उपेक्षा क्यों की गई और सरकार ने इसे नजरअंदाज कैसे कर दिया।

3_17.png
धरनेई गांव में सचिन कुमार। फ़ोटो: मोहम्मद इमरान ख़ान

धरनई पंचायत के मुखिया (ग्राम पंचायत के प्रमुख) अजय सिंह यादव ने स्वीकार किया कि बैटरी की कमी के कारण सौर ऊर्जा स्टेशन काम नहीं कर रहा था। "हम बैटरी की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं और प्रक्रिया चल रही है।" पावर स्टेशन बंद क्यों हुआ इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था।

कैसे धरनई पहला सौर ऊर्जा वाला गाँव बना

गैर-लाभकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया के प्रयासों के कारण धरनई सौर ऊर्जा से जुड़ा था। यह ग्रीनपीस, भागीदार संगठनों (पर्यावरण और ऊर्जा विकास केंद्र) (सीईईडी) और बीएएसआईएक्स (BASIX) (एक आजीविका प्रचार संस्थान) के साथ आने से हुआ जिन्होंने एक विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली (DRES) के माध्यम से गांव और ग्रामीणों के जीवन को बदल दिया था। सोलर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन की शुरुआत 20 जुलाई 2014 को लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से की गई थी। 

धरनई को देश भर के हजारों गांवों के लिए एक मॉडल बनना था।

तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो वर्तमान में भी सीएम हैं, ने अगस्त के पहले सप्ताह में धरनई का दौरा किया था- 2014 में गाँव के पूरी तरह से सौर ऊर्जा से जुड़ जाने के दो हफ्ते बाद, धरनई में सौर ऊर्जा से प्रभावित होकर, नीतीश ने तब कहा था, "सौर ऊर्जा ही एकमात्र समाधान है और मैं इस अनन्त व्यवहार्य मॉडल को सफलतापूर्वक स्थापित करने की चुनौती को स्वीकार करता हूँ और इसके इसके लिए ग्रीनपीस की प्रशंसा और सराहना करता हूं।"

लेकिन अब ऐसा लगता है कि 2015 की शुरुआत में नीतीश के सत्ता में लौटने और उसी साल के अंत में हुए चुनावों में फिर से चुने जाने के बाद, उन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शायद ही कुछ किया हो।

सौर माइक्रोग्रिड पावर स्टेशन के कार्यालय की दीवार पर लगे बोर्ड के अनुसार, यह स्टेशन 100 किलोवाट की क्षमता के साथ शुरू हुआ था और 2,400 गाँव वालों के 450 घरों, 50 वाणिज्यिक संचालन, 60 स्ट्रीट लाइट, दो स्कूल, एक प्रशिक्षण केंद्र और एक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा को रोशन करता था। यह बैटरी बैकअप सिस्टम सुनिश्चित करता है कि हर समय बिजली उपलब्ध रहे। 

ग्रीनपीस के एक पूर्व कर्मचारी ने कहा कि धरनई को इस परियोजना के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि यह कृषि को मुख्य व्यवसाय बनाए रखने की जरूरतों के अनुकूल था और यहां  स्कूल, स्वास्थ्य सुविधा, एक आंगनवाड़ी (सामुदायिक चाइल्डकैअर केंद्र), एक बाज़ार और सामाजिक बुनियादी ढांचा भी था यानि लगभग 400 घर। “ग्रामीणों द्वारा सौर ऊर्जा का स्वागत किया गया क्योंकि यह एक सपना था जो सच हो रहा था और अंधेरे के स्थान पर रोशनी का आगमन हो रहा था। इसने सभी के जीवन को बदल दिया क्योंकि इसने सभी को, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को एक नया अवसर प्रदान किया,” एक पूर्व कर्मचारी ने कहा।

4_7.png

फ़ोटो: मोहम्मद इमरान ख़ान

हालांकि, राज्य स्तर पर, सरकार ने रिनुवेबल ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए बिहार अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (BREDA) की स्थापना की है। बिहार अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (BREDA) वर्तमान में सीएपीएएक्स (CAPEX) (कैपिटल एक्सपेंडिचर) मॉडल के तहत सोलर पंप और रूफटॉप इंस्टॉलेशन की परियोजनाओं को लागू कर रहा है। बिहार के नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, फ्लोटिंग पावर प्लांट्स और ग्राउंड माउंटेड ग्रिड-टाइड सोलर पावर प्लांट्स जैसी कई अन्य परियोजनाएं अनुमोदन के विभिन्न चरणों में हैं। वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन पर बढ़ती चिंताओं के कारण स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल मानव जाति की भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए व्यवहार्य समाधानों में से एक है।

पटना से लगभग 71 किलोमीटर दूर धरनई गाँव जहानाबाद जिले के मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र (आरक्षित) के अंतर्गत आता है। पिछले विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यह सीट जीती थी। इस बार, राजद ने अपने मौजूदा विधायक को टिकट देने से इनकार कर एक युवा चेहरे सतीश कुमार को मैदान में उतारा है, जो गरीबों के लिए सड़क पर लड़ने वाले के नाम से लोकप्रिय हैं। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी एनडीए के सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (एचएएम) के उम्मीदवार देवेंद्र कुमार मांझी हैं जो पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के दामाद हैं।

ऊंची जाति का बड़ा तबका मांझी के नाम से उत्साहित नहीं है, फिर ओबीसी यादव, मुस्लिम और दलित भी कम उत्साहित हैं। इस प्रकार, राजद की एचएएम पर बढ़त है और उसके पास सीट को दोबारा जीतने का अच्छा मौका है क्योंकि सीपीआई-एमएल सहित वामपंथी दल महागठबंधन का हिस्सा हैं, जिसमें राजद और कांग्रेस भी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar Elections: India’s First Solar-Powered Village Now has a Defunct Power Station

Bihar Elections 2020
Bihar Polls
Bihar Solar Power
Dharnai
jdu
RJD
Grand Alliance
Nitish Kumar
renewable energy
Solar Microgrid

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

बिहार : सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 1.10 करोड़ बच्चों के पास किताबें नहीं

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

तेजप्रताप यादव की “स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स” महज मज़ाक नहीं...

बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती

कहीं 'खुल' तो नहीं गया बिहार का डबल इंजन...


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License