NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चार न्यायाधीशों ने खुले आम सुनाई अपनी व्यथा
ये इतिहास में पहेली बार हुआ है की न्यायाधीशों ने प्रेस कांफेरेस बुलाकर अपनी समस्याएं बतायीं
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Jan 2018
indian judges

उच्चतम न्यायालय के चार जजों ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखे एक ख़त ज़रिए आरोप लगाये है कि  न्यायालय में संस्थागत और कार्यप्रणाली से जुड़ी में अनियमितताएँ हैं I यह चार जज हैं : जस्टिस जे. चेल्मेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ़ I ख़त में बताया गया है कि उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों के चार्टर अपनाये और ‘इनकी जड़ें एंग्लो सैक्सन न्यायशास्त्र में हैं’ I   

ख़त के अनुसार जिस पहले सिद्धांत पर इससे असर पड़ा है वह यह कि मुख्य न्यायधीश को उच्च न्यायतंत्र को ठीक से चलाने के लिए ‘मास्टर ऑफ़ द रोस्टर’ बनाया गया है I प्रशासनिक और न्यायिक तौर पर मुख्य न्यायाधीश की स्थिति ‘फर्स्ट अमंग एक्व्ल्ज़’ (समान लोगों में प्रथम) की है I इसका मतलब है कि संवैधानिक कर्तव्यों और प्रशासनिक कार्यों को छोड़कर बाकि सभी लिहाज़ से मुख्य न्यायधीश उच्चतम न्यायालय के अन्य जजों के बराबर ही है I हालांकि, प्रशासनिक कार्यों के लिए भी एक परिपाटि मौजूद है इसलिए यहाँ भी वह ‘सुपीरियर’ नहीं हैं I

ख़त में जिस दूसरे सिद्धांत का ज़िक्र किया गया है वह यह कि कोई भी अथोरिटी किसी मसले की जाँच के लिए खुद को नियुक्त नहीं कर सकती जबकि किसी उचित बेंच को सुनवायी करनी चाहिए I इसका मतलब कि अगर किसी मामले की सुनवायी के लिए कोई खास जज बेहतर है तो उसकी जगह किसी दूसरे जज को वह मामला नहीं मिलना चाहिए I    

ख़त में एक वाकिये का ज़िक्र किया गया जहाँ एक केस की सुनवायी के दौरान एक ख़ास प्रश्न का पर निर्णय दिया गया I लेकिन जब एक दूसरे केस में वही प्रश्न पर फिर से सुनवायी की गयी I पहला निर्णय पाँच जजों की संवैधानिक पीठ ने दिया और दूसरे केस की सुनवायी एक दो जजों की एक डिवीज़न बेंच के सामने हुई I यह मामला जजों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ था I 

Indian judiciary
judges
Supreme Court
Indian justice system

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License