NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
भारत
राजनीति
...पता चला कि सांप्रदायिकता का ज़हर लोगों में कितना गहरा उतर गया है!
फिर वो हुआ जो पहले सुना था, देखा कभी नहीं था। दंगाई फल लूट कर लाते और पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों को खिलाने लगे। यहाँ पता चला कम्प्लिसिटी (Complicity) क्या होती है। फिर कुछ पुलिस वालों के पास गया तो पता चला सांप्रदायिकता इनमें कितनी गहरी उतर चुकी है।
रवि कौशल
25 Feb 2020
Delhi Violence

(न्यूज़क्लिक के रिपोर्टर रवि कौशल ने सोमवार, 24 फरवरी को दिल्ली की हिंसा को बेहद क़रीब से देखा। वे कुछ पीड़ितों के घर भी गए। जब तक वे घर लौटे आधी रात हो चुकी थी। लेकिन उनकी आँखों में नींद नहीं थी। उन्होंने रात करीब एक बजे सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर अपने अनुभव साझा किए। कुछ नई जानकारियों के साथ उनकी यह पोस्ट आपके लिए)

अभी अभी उत्तर पूर्वी दिल्ली के चाँद बाग़ से आ रहा हूँ। दिमाग़ कुछ ख़ाली सा हो गया है। सुबह ऑफ़िस में था जब कुछ कॉल आने शुरू हुए कि चाँद बाग़ में हालात ख़राब होने वाले हैं। दंगाइयों की एक भीड़ चाँदबाग़ के धरना स्थल की ओर बढ़ रही है। पहले लगा कि शायद अफ़वाह है। फिर एक साथ कई फ़ोन आए कि जल्दी आइए। मैं ऑफ़िस से निकला और कश्मीरी गेट पहुँचकर बाहर निकला ही था कि पता चला मुस्लिम समाज का एक ख़ास जलसा चल रहा है। इसे इस्तेमा कहा जाता है। हज़ारों लोग पैदल ही अपने अपने घरों को जा रहे थे। 

जब गाड़ी शास्त्री पार्क की ओर बढ़ी, तो आसमान में धुएँ का एक ग़ुबार उठता दिखा। पहले लगा कहीं आग लगी हुई है। किसी तरह खज़ूरी पहुँचा। खज़ूरी चौक पर एक हिंसक भीड़ कुछ दुकाने तोड़ रही थी। फिर भड़काऊ नारे लगने शुरू हुए। इसी बीच थोड़ा आगे बढ़ा तो पाया कि एक लड़का अपने परिचितों को समझा रहा था कि सामने से जाने के बजाय गलियों में से जाना आगे हालात ख़राब है।

थोड़ा पैदल चलने के बाद स्पष्ट हुआ कि एक कोने की दुकान में आग लगा दी गयी है। धुआँ धू धू कर उठ रहा था। चौक के सामने से लगातार पत्थर चल रहे थे। इसी बीच पाया कि कुछ दंगाई दूसरी दूकानों में आग लगा रहे थे। इन दंगाइयों की उम्र 14 से 18 साल होगी। मैंने कोशिश की कि कुछ वीडियो लूँ। अचानक एक दंगाई मेरी तरफ़ लपका और बोला वीडियो डिलीट कर वरना अंजाम ठीक नहीं होगा। मैं पीछे की तरफ़ भागा। इसी बीच दंगाई फलों की रेहड़ियां लूटते रहे।

फिर वो हुआ जो पहले सुना था, देखा कभी नहीं था। दंगाई फल लूट कर लाते और पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों को खिलाने लगे।

यहाँ पता चला कम्प्लिसिटी (Complicity) क्या होती है। फिर कुछ पुलिस वालों के पास गया तो पता चला सांप्रदायिकता इनमें कितनी गहरी उतर चुकी है। एक पुलिस वाला कहता कि अगर ये दंगाई न होते तो सामने वाले दंगाई उन्हें मार देते।

इसी बीच दिल्ली फ़ायर सर्विस की एक गाड़ी काफ़ी देर बाद आई। इसके कर्मचारियों ने आग बुझाने की नाकाम कोशिश की। इतने में दिल्ली पुलिस की अतिरिक्त टुकड़ी पहुँची। लेकिन दंगा बदस्तूर जारी रहा। थोड़ी देर बाद दंगाइयों को पीछे धकेला गया। इससे पहले कोने की दुकान बालाजी स्वीट्स में आग लगाई जा चुकी थी। इसी दुकान के सामने आज़ाद चिकन कॉर्नर धू धू कर जल रहा था। चौक पर एक मज़ार है। नाम पता नहीं किसकी। ये भी आग के हवाले थी । इसी बीच पुलिस ने किसी को दबोचा ही था कि मेरा साथी शूट करने के लिए दौड़ा। 

पुलिस की गिरफ़्त में इस आदमी को कई लोगों ने घेर लिया और मारने लगे। शूट चल ही रहा था कि मेरे साथी पर एक लाठी से हमला हुआ। हम सन्न रह गए। मैंने मेरे साथी को पीछे किया। थोड़ी देर बाद पता चला कि इंडियन ऑइल का पेट्रोल पंप। मारुति सुज़ुकी का शो रूम को आग के हवाले किया जा चुका था।

हम बड़ी हिम्मत करके आगे बढ़े तो पाया कि चाँद बाग़ के धरना स्थल आग में ख़त्म हो चुका था। जब हम अंदर की तरफ़ बढ़े तो एक लड़के ने बताया कि एक गर्भवती महिला के साथ मार पीट हुई है। जब हम घर पहुँचे तो पाया कि इनके सर पर गहरी चोट थी। इनके बाँह और बाक़ी अंगों पर बेंत के निशान थे। महिला बता रही थी कि दंगाइयों ने उनका सर कुचलने की कोशिश की। हम आगे निकले तो जगह जगह हमें रोक कर पहचान पत्र जाँचा गया, कहा गया कि सच्ची ख़बर दिखाना। 

इसी बीच किसी ने बताया कि मुस्तफ़ाबाद में एक लड़के के गोली लगने से मौत हो चुकी है। जब हम इस लड़के के घर पहुँचे तो पूरा परिवार बिलख कर रो रहा था। ये लड़का ऑटो चलाता था। दो महीने पहले ही इसकी शादी हुई थी। इस्तेमा के बाद घर आ रहा था जब इसको गोली मार दी गई। इस लड़के का भाई जिसकी उम्र दस साल होगी रो रोकर एक सवाल पूछना चाहता है। “वो मेरे भाई से क्या लेना चाहते है।”

यहाँ से आगे बढ़े तो पता चला कि इलाक़े के सारे छोटे अस्पताल घायलों से पटे पड़े है। हम मदीना चेरिटबल अस्पताल पहुँचे तो एक आदमी मिले उन्होंने बताया कि पुलिस ने इन्हें इतनी बुरी तरह से मारा की इनकी एक आँख चली गई है। एक डॉक्टर ने बताया कि उनके पास 40 से ज़्यादा घायल आए थे। उन्होंने कहा आप आगे जाइए अल हिंद हॉस्पिटल। वहाँ कुछ लोग मिलेंगे। हम यहाँ पहुँचे तो लोग आरोप लगाने लगे पुलिस एम्बुलेंस को आने नहीं दे रही है। घायल लोग अपने मोटर साइकिल पर ही अस्पताल जा रहे थे। हम अंदर गए तो एक डॉक्टर ने एक आदमी का अंगूठा दिखाया। ये उसके हाथ से अलग हो चुका था। 

शूट करके हम बचते बचाते इस इलाक़े से निकले। दंगाई अभी अभी सड़क पर थे। हालाँकि अब संख्या कम थी। थोड़ा चलने के बाद एक ऑटो वाला मिला। ये शेयर ऑटो था जिसमें पाँच लोग बैठे। इसमें बैठा एक आदमी कुछ कुछ बोलने लगा। हम सुनते रहे। पता चला कि सांप्रदायिकता का ज़हर लोगों में कितना गहरा उतर गया है। ये अब पीढ़ियों तक रिस रिस कर जाएगा। कश्मीरी गेट उतरने पर मैं और मेरे साथी निशब्द और ख़ाली हो चुके थे।

Delhi Violence
CAA
NRC
Anti CAA
Pro CAA
communal violence
Communal riots
Amit Shah

Related Stories

हिमाचल प्रदेश के ऊना में 'धर्म संसद', यति नरसिंहानंद सहित हरिद्वार धर्म संसद के मुख्य आरोपी शामिल 

दुर्भाग्य! रामनवमी और रमज़ान भी सियासत की ज़द में आ गए

न्यायपालिका को बेख़ौफ़ सत्ता पर नज़र रखनी होगी

पश्चिम बंगाल में जाति और धार्मिक पहचान की राजनीति को हवा देती भाजपा, टीएमसी

दिल्ली दंगा: पुलिस पर कोर्ट के आदेश के बाद भी आरोपपत्र पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं देने का आरोप

किसानों के समर्थन में ‘भारत बंद’ सफल, बीजेपी शासित राज्यों में भी रहा असर, कई नेता हिरासत में या नज़रबंद रहे

उत्तर प्रदेश: निरंतर गहरे अंधेरे में घिरते जा रहे हैं सत्य, न्याय और भाईचारा

दिल्ली दंगों से फैले ज़हर के शिकार हुए कारवां के तीन पत्रकार

दिल्ली: सबसे बड़े कोविड सेंटर में दुष्कर्म का मामला, आख़िर सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे?

दिल्ली हिंसा: मकान में आग लगाकर बुजुर्ग महिला की हत्या में दो भाई गिरफ़्तार


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License