इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव की सबसे सुंदर और सबसे अच्छी बात अगर पूछी जाए तो वह यही है कि इस बार तमाम कोशिशों के बावजूद चुनाव में सांप्रदायिकता का कार्ड चल नहीं पा रहा है।
इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव की सबसे सुंदर और सबसे अच्छी बात अगर पूछी जाए तो वह यही है कि इस बार तमाम कोशिशों के बावजूद चुनाव में सांप्रदायिकता का कार्ड चल नहीं पा रहा है। मुख्यमंत्री के अस्सी-बीस जैसे जुमलों के बावजूद चुनाव हिंदू-मुस्लिम के तौर पर ध्रुवीकृत नहीं हो पाया है और हर चरण में महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दे प्रमुख बने हुए हैं। खेती-किसानी, गन्ना मूल्य और एमएसपी का मुद्दा जहां पहले-दूसरे दौर में हावी रहा, वहीं तीसरे दौर में हाथरस कांड और आलू किसानों की बदहाली मुद्दा रही। चौथे-पांचवे दौर में लखीमपुर हिंसा और छुट्टा पशु से फ़सलों की तबाही जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।