NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छात्रों ने आरोप लगाए; यौन उत्पीड़न मामलों को हल करने में डीयू की आंतरिक समीति अक्षम हैं
समीति की इस अक्षमता ने ज़्यादातर मौको पर शिकायतकर्ताओं को अंततः पुलिस के पास ही जाने को मजबूर किया है।



न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 May 2018
यौन शोषण
Image Courtesy: DNA

चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में 10 अंकों का एक प्रश्न में दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन विभाग में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का कारण बनी, जब जाँचकर्त्ताओं ने अपने आंतरिक मूल्यांकन पत्रों के लिए प्रस्तुत प्रस्तुतियों पर एक नोट लिखने के लिए कहा।

छात्रों ने आरोप लगाया कि चूंकि प्रत्येक छात्र को अपनी आंतरिक मूल्यांकन परीक्षाओं के लिए अलग-अलग विषय दिए गए थे और जवाब देने से अप्रत्यक्ष रूप से उन छात्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जो रसायन विभाग के प्रमुख रमेश चन्द्रा के खिलाफ विरोध कर रहे थे, जिन्हें यौन उत्पीड़न के मामलों में आरोपित किया गया है।

चन्द्रा, जिन्हें आंतरिक शिकायत समीति की जाँच का सामना करना पड़ा, उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने छात्र और एक अन्य सहयोगी का यौन उत्पीड़न किया  है। 118 छात्रों के एक समूह ने चन्द्रा को अपने परीक्षा पत्रों का मूल्यांकन न करने के लिए परीक्षाओं के डीन को अनुरोध करते हुए एक पत्र लिखा था। दिलचस्प बात यह है कि चन्द्रा के खिलाफ इस तरह के गंभीर आरोपों के बावजूद वह अभी भी कार्यरत हैं।

इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI), दिल्ली के सचिव प्रशांत मुखर्जी ने कहा कि गंभीर आरोपों के बीच अपने कार्यालय में चन्द्रा की निरंतरता प्राकृतिक न्याय का मज़ाक है। इससे छात्रों को मामला वापस लेने की धमकी दी जाएगी।

मुखर्जी ने कहा, "जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो हमने सत्ता में गठबंधन देखा है। आंतरिक शिकायत समीतियाँ प्रशासन का हिस्सा हैं। जब प्रशासन के किसी भी सदस्य के खिलाफ आरोप होते हैं तो यह गठबंधन सुनिश्चित करता है कि जाँच से कोई कष्ट ना हो"|

शिक्षकों ने ज़ोर दिया कि पूछताछ होने तक चन्द्र को अस्थायी रूप से अपने पद से पीछे हटने के लिए कहा जाना चाहिए था। पूर्व कार्यकारी परिषद के सदस्य आभा हबीब ने कहा, "विज्ञान में, प्रयोगशाला संस्कृति सुनिश्चित करती है कि अधिकांश छात्र आरोप नहीं लगायें क्योंकि वे अंक के लिए अपने शिक्षकों पर निर्भर हैं।"

उन्होंने ने आगे कहा, "दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर यूनियन ने यौन उत्पीड़न के मामलों को हल करने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए कुलपति को लिखा है। विश्वविद्यालय में महिला छात्रों की संख्या बढ़ी है और तंत्र की कमी उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित करती है।"

न्यूज़क्लिक द्वारा भेजे गए सवालों के जवाब में, चन्द्रा ने आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा, "आरोप झूठे थे। किसी भी छात्रा ने कोई आरोप नहीं लगाया है। आरोप असत्य हैं और हमारी वरिष्ठ महिला प्रोफेसरों में से एक ने कहानियाँ बनाई हैं। छात्रों ने ऐसी कोई शिकायत करने से इंकार कर दिया है।"

महिला छात्रों को लेकर यौन शोषण का कोई एकलौता मामला नहीं, हाल के वर्षों में छात्रों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन गया है | चाहे वो होली के समय छात्रों पर वीर्य फेकने का मसला हो या फिर दौलत राम में शिक्षक पर यौन शोषण का आरोप हो| इन सभी मामलों को हल में विश्वविद्यालय प्रशासन असफल रहा है|

इसी क्रम में बीते दिनों रामलाल आनंद कॉलेज एक महिला छात्रा के साथ जब वो वाशरुम पहुंची, वहाँ पहले से अंदर मौजूद कॉलेज के एक कर्मचारी ने उसे दबोच लिया| उसे टॉयलेट के अंदर ले जाकर बंधक बना लियाI उसके साथ रेप की कोशिश करने लगा| छात्रा के साथ उसकी हाथापाई होने लगी| छात्रा किसी तरह उसके चंगुल से भाग गई| अभी मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया है आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है|

परन्तु इस तरह के मामलों के निवारण के लिए पुलिस के  बजाय संस्थान के अपने आंतरिक समीतियों को मजबूत करना चाहिए लेकिन उन्हें लगतार कमज़ोर किया जा रहा है|

यौन उत्पीड़न के मामलों का निवारण करने का दुर्व्यवहार रिकॉर्ड

दिल्ली विश्वविद्यालय में महिला छात्रों और संकाय सदस्यों ने लगातार यौन उत्पीड़न के आरोप में आंतरिक शिकायत समीति में भरी हुई है। लेकिन समीतियों ने मामलों के समाधान में असमर्थता दिखाई है, शिकायतकर्त्ताओं को पुलिस से संपर्क करने के लिए मजबूर कर दिया है।

प्रशांत मुखर्जी ने कहा, "ज़्यादातर विभागों में समीति ने छात्र सदस्यों को नहीं चुना है। यह विशाखा दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन है।"

हबीब ने कहा, "आरोप काफी पुराने हैं। उनका निवारण समय पर किया जाना चाहिए था।"

वरिष्ठ संकाय सदस्यों का सुझाव है कि जाँच समयबद्ध होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि शिकायतकर्त्ता को न्याय मिल जाए और अगर शिकायत समीति आरोपी को दोषी नहीं पाती है तो उसे जल्द ही दोबारा से नौकरी पर लौटने दिया जाये|

आंतरिक शिकायत समीति
दिल्ली विश्वविद्यालय
आन्दोलन
DU Internal Committee
यौन उत्पीड़न

Related Stories

5 सितम्बर : देश के लोकतांत्रिक आंदोलन के इतिहास में नया अध्याय

हिमाचल प्रदेश: एंबुलेंस सेवा पूरी तरह से ठप

महिला मज़दूर जो वाल मार्ट और अन्य ब्रांड के कारखानों में काम करती हैं वे रोज़ हिंसा का सामना करती हैं : एक रिपोर्ट

यह दोहराव हास्यास्पद होगा ?

मोदी सरकार की विश्वविद्यालयों की 'स्वायत्तता' की अवधारणा, उच्च शिक्षा के लिए बुरी खबर

निजीकरण, उच्च शिक्षा के व्यावसायिकरण के खिलाफ़, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सरकार कि नीतियों खिलाफ पांचदिवसीय हड़ताल शुरू की

23 मई को देश भर में 100 से अधिक वामपंथी संगठन करेंगे 'पोल खोलो हल्ला बोलो' आन्दोलन

जेएनयू छात्रों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ #SuspendJohri अभियान चलाया

जेएनयू के शिक्षक पर 7 छात्राओं ने लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप

UGC पर हल्ला बोल : DUTA का सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License