NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
चीन ने रूस के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत किया
चीन और रूस की साझा गश्त का लेना-देना सीधे तौर पर अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा बनाए जा रहे क्षेत्रीय रणनीतिक ढांचे से है।
एम. के. भद्रकुमार
26 Dec 2020
चीन रूस

22 दिसंबर को पूर्वी चीन सागर और जापान सागर के ऊपर रूस और चीन ने साझा रणनीतिक हवाई गश्त का आयोजन किया। इस गश्त को एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र की भूराजनीति में बेहद ठोस वक्तव्य माना जा रहा है। चीनी विश्लेषकों ने संकेत दिए हैं कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में "नियमित" भी हो सकते हैं।

इस मौके पर मंगलवार को चीन और रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक साझा घोषणा भी की। चीन ने परमाणु शस्त्र ले जाने में सक्षम चार H-6K रणनीतिक बमवर्षक विमानों को रूस के विख्यात दो Tu-95 बमवर्षक (NATO ने इसका नाम 'बियर' रखा है) विमानों के साथ साझा गश्त में हिस्सा लेने के लिए भेजा था। यह दोनों देशों के बीच "वार्षिक सैन्य सहयोग योजना" का हिस्सा है।

घोषणा में कहा गया कि "साझा गश्त का उद्देश्य नए युग में रूस-चीन समग्र रणनीतिक सहयोग की साझेदारी को विकसित करना और दोनों देशों की सेनाओं के बीच रणनीतिक सहयोग व साझा ऑपरेशन की क्षमताओं को बढ़ाना है, ताकि वैश्विक रणनीतिक स्थिरता की रक्षा की जा सके।"

दिलचस्प है कि एक महीने पहले ही 6 नवंबर को रूस की वायुसेना के दो टुपोलेव Tu-95MS बमवर्षकों ने जापान सागर और उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर के ऊपर 8 घंटे तक उड़ान भरी। तब रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया था, "अपनी उड़ान के कुछ हिस्से में दोनों बमवर्षकों के साथ सुखोई-35S फाइटर जेट्स ने भी उड़ान भरी।"

यह साफ है कि चीन के साथ साझा गश्त का कार्यक्रम रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा के नज़रिए से बेहद जरूरी नहीं है। लेकिन इससे दिया गया संदेश बेहद अहम है। चीन और रूस की साझा गश्त का लेना-देना सीधे तौर पर अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा बनाए जा रहे क्षेत्रीय रणनीतिक ढांचे से है।

19 दिसंबर को USS मस्टिन ने ताइवान जलडमरूमध्य (स्ट्रेट) के बीच से यात्रा की थी। 20 दिसंबर को ताइवान ने प्राटस द्वीप में "लाइव-फॉयर" अभ्यास किया था, साथ ही 27 दिसंबर को अगला कार्यक्रम करने की योजना है। प्राटस द्वीप चीन की मुख्यभूमि से करीब 300 किलोमीटर दूर है। यह द्वीप दक्षिण चीन सागर के मुहाने पर रणनीतिक स्थिति में मौजूद हैं। यहां से चीनी तेल टैंकर और जहाज प्रशांत महासागर में जाते हैं।

पिछले हफ़्ते ताइवान ने अपने पहले मिसाइल कॉर्वेट का विमोचन किया है। इसे ताइवान का मीडिया "एयरक्रॉफ्ट कैरियर किलर" के तौर पर पेश कर रहा है। बता दें हाल में चीन की नौसेना के एयरक्रॉफ्ट कैरियर शैंडोंग (घरेलू तौर पर निर्मित पहले एयरक्रॉफ्ट कैरियर) ने बोहाई सागर में अपनी तीसरी ट्रॉयल पूरी की है। यह 23 दिनों में होने वाली तीसरी ट्रॉयल है। 

इसी महीने USS मैकिन आईलैंड और USS सोमरसेट (LPD 25) की मौजूदगी वाले एक "अमेरिकी एम्फीबियस रेडी ग्रुप (ARG)" ने दक्षिण चीन सागर में गश्त मारी थी। समूह ने गश्त के दौरान आकस्मिक "लाइव फॉयर" अभ्यास भी किया। जबकि यह योजना का हिस्सा नहीं था। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने गुस्से में ARG को "अमेरिका द्वारा ताकत दिखाने वाले कदम" के तौर पर बताया था, अख़बार ने कहा था कि इस कदम से "क्षेत्रीय स्थिरता" को नुकसान हो सकता है। अख़बार के मुताबिक़, "चीन को दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिका से टकराने के लिए तैयार रहना चाहिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्हाइट हॉउस में किसका शासन है।"

जापान ने भी हाल में हलचल की है। जापान ने अपनी तरह सोचने वाले पश्चिमी देशों को सुदूर पूर्व में सैन्य टुकड़ियों को भेजना का आमंत्रण दिया है। यह कदम इस चीज का इशारा है कि एक स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए यह देश प्रतिबद्ध और संगठित हैं। अमेरिका, फ्रांस और जापान की नौसेना ने फिलिपींस सागर में दिसंबर के महीने में एक समग्र अभ्यास किया था। अब यह नौसेनाएं एंटी-सबमरीन युद्ध पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, इसका एक साझा सैन्य अभ्यास इस साल मई में करने की योजना है। यह अभ्यास जापान के एक बाहरी द्वीप पर होगा। इस अभ्यास में ब्रिटेन भी अमेरिकी नौसेना और जापानी समुद्री आत्मरक्षा फोर्स (JMSDF) के साथ अपना एक एयरक्रॉफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप भेजने की योजना बना रहा है।

जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने पिछले हफ़्ते जर्मनी के रक्षामंत्री एनरग्रेट क्रैम्प-केर्रेनबाउर के साथ बातचीत की। इसमें उन्होंने आशा जताई कि 2021 में होने वाले साझा अभ्यास में जर्मनी के जंगी जहाज़ भी JMSDF के साथ आएंगे। किशी ने कहा कि "अगर जर्मनी के जंगी जहाज दक्षिण चीन सागर को पार करते हैं, तो इससे जहाजों के 'दक्षिण चीन सागर में आवागामन के अधिकार (राइट टू पैसेज)' को बनाए रखने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशों को सहायता मिलेगी।" बता दें इस सागर पर चीन पर अपना दावा करता रहा है। 

इस सबके बीच, अमेरिका की नौसेना ने एक समग्र समुद्री रणनीति को जारी किया है।  उद्देश्य के बारे में यह रणनीति कहती है "आज जब हम नियम आधारित व्यवस्था को बनाए रख रहे हैं और अपने प्रतिस्पर्धियों को हथियारबंद आक्रामकता अपनाने से रोक रहे हैं, तब हमें रोजाना की प्रतिस्पर्धा (चीन के साथ) में ज़्यादा दृढ़ रवैया अपनाना है।" अमेरिकी नौसेना के सचिव ने पहले जंगी बेड़े के दोबारा गठन की मांग की है, जिसका कार्यक्षेत्र "भारतीय और प्रशांत महासागर का संपर्क क्षेत्र होगा।"

अक्टूबर में अमेरिका ने आभासी तरीके से "क्वाड" विदेश मंत्रियों की दूसरी बैठक करवाई थी। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। अमेरिकी गृह विभाग द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ में कहा गया कि चारों देशों ने "उन व्यवहारिक तरीकों पर विमर्श किया...जिनके ज़रिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, बुरी मंशा और दबाव वाली आर्थिक कार्रवाईयों का शिकार देशों को समर्थन किया जा सके।"

इस पर बात पर सिर्फ़ अंदाजा ही लगाया जा रहा है कि बाइडेन प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर क्या रवैया अपनाएगा। अब तक बाइडेन ने क्वाड का जिक्र नहीं किया है, पर वे "हिंद-प्रशांत" वाक्यांश का उपयोग करते रहते हैं। लेकिन "आज़ाद और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र (जैसा ट्रंप बोलते हैं)" के बजाए, बाइडेन "सुरक्षित और खुशहाल" वाक्यांश का इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन यहां काफ़ी कुछ दांव पर लगा हुआ है, इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि चीन और रूस कोई मौका नहीं देंगे। उनकी साझा हवाई गश्त क्षेत्र की रणनीतिक स्थिरता पर उनकी साझा चिंता जताती है। दोनों देश क्षेत्र से बाहर के देशों के बढ़ते हस्तक्षेप को ध्यान में रख रहे हैं। इस हस्तक्षेप से तनाव बढ़ रहा है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा ख़तरा है। इस बीच अमेरिका एशिया में एंटी मिसाईल सिस्टम की तैनाती कर रहा है, साथ ही क्षेत्र में नाटो की तरह के एक सैन्य गठबंधन की वकालत भी कर रहा है।

"चाइनीज़ स्टडीज़ ऑफ सोशल साइंसेज़" में "इंस्टीट्यूट ऑफ रशियन, ईस्टर्न यूरोपियन एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज़" के विख्यात विचारक यांग जिन कहते हैं, "कुलमिलाकर साझा गश्त ने यह इशारा किया है कि "एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ यूरेशिया में शांति-स्थिरता के लिए चीन और रूस काफ़ी ज़्यादा अहम हैं। उनका क्षेत्रीय व्यवस्था को चुनौती देने का कोई इरादा नहीं है। वह उन देशों को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को ख़तरा पैदा कर रहे हैं।" 

यांग के मुताबिक़, चीन के विश्लेषकों ने रूस और चीन के सैन्य गठबंधन के नफ़े-नुकसान पर चर्चा की है। इस पर आम सहमति यह बनी है कि मौजूदा सुरक्षा माहौल को देखते हुए मौजूदा रणनीतिक साझेदारी का ढांचा दोनों देशों की साझा चुनौतियों से निपटने का काम करता है। साथ ही दोनों पक्षों को अपने-अपने हितों को पूरा करने का लचीलापन भी उपलब्ध करवाता है। इतने के बाद यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सैन्य गठबंधन बदतर स्थिति के लिए आखिरी विकल्प है, जब अमेरिका या फिर कोई दूसरा देश युद्ध शुरू करता है, जिससे चीन और रूस को एकसाथ लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 

चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के अख़बार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय लेख में लिखा था, "चीन और रूस का सैन्य गठबंधन बनाने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि दोंनों देश जिन समग्र चुनौतियों का सामना करेंगे, उनका समाधान यह सैन्य गठबंधन नहीं कर सकता है।" लेकिन अमेरिका और उसके मित्र देशों के दबाव की वज़ह से दोनों देशों के समग्र रणनीतिक सहयोग को मजबूत किए जाने के लिए बाहरी बल मिला है। इस रणनीतिक सहयोग में सैन्य सहयोग भी शामिल है। 

संपादकीय के मुताबिक़, "जब तक दोनों देश रणनीतिक तौर पर सहयोग करते हैं औऱ चुनौतियों का साझा सामना करते हैं, तब तक वे एक प्रभावी भयादोहन पैदा करते रहेंगे। दोनों देश खास चुनौतियों से निपटने के लिए एक ताकत बन सकते हैं, जिससे उन्हें दबाने की कोशिशों का प्रतिरोध हो सकता है और अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय असभ्य व्यवहार को रोका जा सकता है।"

अगर बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिका रूस को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा मानता है, तो निश्चित ही अमेरिका-रूस-चीन का त्रिकोण बदल जाएगा। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि चीन, रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी की नज़दीकियों को बढ़ाए रखने और इसे लगातार मजबूत करने का इशारा कर रहा है, ताकि अमेरिका के दबाव का सामना किया जा सके, भले ही बाइडेन चीन के साथ अपने तनाव को भविष्य में कम कर लें।

चीन के विदेश मंत्री और उनके रूसी समकक्ष सर्जी लेवरोव के बीच 22 दिसंबर को हुई लंबी बातचीत से भी रणनीतिक साझेदारी पर इस जोर का पता चलता है। इसके बारे में सिन्हुआ के हवाले से पीपल्स डेली में भी बताया गया था। 

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

China Strengthens Military Coordination With Russia

China-Russia
Asia-Pacific Region
vladimir putin
Xi Jinping
US Navy Amphibious Ready Group
Japanese Maritime Self-Defense Force
Indo-Pacific region

Related Stories

नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर

यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस को शीर्ष मानवाधिकार संस्था से निलंबित किया

बुका हमले के बावजूद रशिया-यूक्रेन के बीच समझौते जारी

रूस-यूक्रेन अपडेट:जेलेंस्की के तेवर नरम, बातचीत में ‘विलंब किए बिना’ शांति की बात

रूस-यूक्रेन युद्धः क्या चल रहा बाइडन व पुतिन के दिमाग़ में

यूक्रेन-रूस युद्ध का संदर्भ और उसके मायने

नवउदारवादी व्यवस्था में पाबंदियों का खेल

'सख़्त आर्थिक प्रतिबंधों' के साथ तालमेल बिठाता रूस  

यूक्रेन के संकट का आईएमएफ कनेक्शन


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License