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कोलंबियाई नेता अपने हाथ देश के श्रमिक वर्ग के खून से रंगना चाहते हैं
एक ऐसा राज्य जो अपने ही लोगों की हत्या करता है, उसके विरोध में लगातार कोलंबियाई जनता सड़कों पर जमी हुई है और विरोध कर रही है।
लौरा कैपोटे, ज़ो एलेक्जेंड्रा
15 May 2021
कोलंबियाई नेता अपने हाथ देश के श्रमिक वर्ग के खून से रंगना चाहते हैं

जब से कोलंबिया में पुलिस और सैन्य बल ने राष्ट्रीय हड़ताल से उत्पन्न बड़े पैमाने पर लामबंदी से निपटने के लिए दमन का सहारा लेना शुरू किया है, तब से प्रदर्शनकारियों पर मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के मामले सामने आ रहे हैं।

कोलंबिया और दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप में मुख्यधारा की मीडिया इन अत्याचारों के प्रति चुनिंदा तौर पर खामोश बनी हुई है, और ऐसे में हालात को जानने या सूचना को साझा करने वालों को मीडिया की नाकाबंदी को तोड़ने के लिए सोशल मीडिया की ओर रुख करना पड़ता है। दिन के दौरान, रंग-बिरंगे मार्च और खुशनुमा लामबंदियों की तस्वीरें साझा की जाती हैं। वहीँ रात के वक्त आतंक की वीडियोज एक चिंताजनक क्रम दिखाई देने लगती हैं: गतिशील एंटी-रायट स्क्वाड (ईएसएमएडी) और पुलिस की ओर से निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की जाती है। गरीब बस्तियों में युवाओं का पीछा करते हुए सुरक्षा बलों के एजेंट या तो उनपर गोली चलाते हैं, या उन्हें गिरफ्तार कर आबादी में दहशत का माहौल पैदा करते हैं। माताएं रोती-बिलखती और चीख पुकार मचाती दिखती हैं क्योंकि उनके बच्चे मार डाले गए होते हैं।

पुलिसिया हिंसा की रिपोर्ट पर नजर रखने वाले दो मानवाधिकार संगठन, टेम्बलोरेस और इन्डेपाज़ के मुताबिक, 28 अप्रैल से 8 मई तक राज्य सुरक्षा बलों की हिंसक कार्यवाही की वजह से कम से कम 47 लोग मारे जा चुके हैं। इसके अलावा 963 लोगों को मनमानेपूर्ण तरीके से हिरासत में ले लिया गया है, 28 लोग आँखों से संबंधित चोटों के शिकार हो  चुके हैं और यौन हिंसा जैसे अपराधों के कुल 12 लोग शिकार हो चुके हैं। कुल मिलाकर उन्होंने पुलिस हिंसा से जुड़े 1,876 मामलों को दर्ज किया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रदर्शनकारियों के ऊपर सुरक्षा बलों द्वारा निरंतर सुनियोजित हमलों के अलावा, जो लोग इन लामबंदियों में सहयोग या सत्यापन की भूमिका निभा रहे थे - जैसे कि मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों, चिकित्सा सेवा कर्मियों- इन सभी को भी हमलों में लक्षित किया जा रहा है और पुलिस द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। 3 मई की रात को कैली में संयुक्त राष्ट्र के सत्यापन मिशन में शामिल होने वाले एक कोलंबियाई मानवाधिकार रक्षकों के समूह के कार्यकर्ताओं के खिलाफ सशस्त्र हमले की व्यापक पैमाने पर निंदा की गई थी। लेकिन इसे कोई अपवादस्वरुप घटना मानने के बजाय इसे राज्य दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों के खिलाफ राज्य की आतंक और डराने-धमकाने वाली रणनीति का हिस्सा समझा जाना चाहिए। 

कई रातों तक आतंक के बाद जाकर आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी टूटी। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने 4 मई की सुबह को एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा है कि कैली में यह जो कुछ घटित हो रहा है, उस पर “गहराई से चिंता व्यक्त करता है”। वहां पर “करों में सुधार” के खिलाफ विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा गोली चलाई गई, जिसमें कई लोगों मार डालने और घायल कर देने की सूचनाएं हैं।” अंतर्राष्ट्रीय निकाय ने कोलंबियाई प्रशासन को याद दिलाया है कि वह “हर व्यक्ति के जीवन के अधिकार और सुरक्षा के दायित्व के साथ-साथ मानवाधिकारों की रक्षा एवं शांतिपूर्ण सभा करने की आजादी के अधिकार के अभ्यास को मुहैय्या कराने के प्रति जिम्मेदार है।” संयुक्त राष्ट्र की इस घोषणा के बाद यूरोपिय संघ, अमेरिका और अन्य लोग हालात की निंदा करने में शामिल हुए, और कोलंबियाई सरकार से सड़कों से सेना को वापस लेने और नागरिक आबादी के खिलाफ हिंसा को खत्म करने का आह्वान किया है।

हालांकि सुरक्षा बलों को वापस लेने या उनकी हिंसात्मक कार्यवाहियों पर अंकुश लगाने की कोशिश के बजाय राष्ट्रीय सरकार एवं स्थानीय प्रशासन ने दमन को और तेज कर दिया है, और अपने संचार माध्यमों का इस्तेमाल यह समझाने के लिए करना शुरू कर दिया है कि विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले लोग हिंसक गुण्डे हैं, ताकि प्रशासन के हाथों यदि उन्हें कुछ हो भी जाता है तो उसे उचित ठहराया जा सके। 

विरोध प्रदर्शनों के पीछे की प्रेरणा क्या थी?

28 अप्रैल को कोलंबिया में शुरू होने वाली राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान एक विधेयक के खिलाफ संघर्ष के लिए किया गया था, जिसके चलते रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं, सार्वजनिक सेवाओं, और तमाम अन्य चीजों के अलावा पेंशन पर करों में वृद्धि होने जा रही है। यह एक ऐसा विधेयक था जिसका सीधा असर उस मजदूर वर्ग पर पड़ने वाला है, जो पहले से ही महामारी और लॉकडाउन के प्रभावों से पीड़ित है। जहाँ एक तरफ कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक ने घोषणा की कि वे विधेयक को वापस ले लेंगे, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि एक नए विधेयक को पेश किया जाएगा जिसे कथित तौर पर अन्य राजनीतिक दलों के साथ तैयार किया जाएगा। किसी भी सूरत में ये कर सुधार तो मात्र एक शुरुआत भर हैं। कोलम्बिया में पिछले तीन दशकों से नवउदारवादी आर्थिक मॉडल को मजबूती प्रदान की जाती रही है। राज्य, नागरिकों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं आवास जैसी बुनियादी अधिकारों की गारंटी के प्रति उत्तरदायी नहीं है।

अक्टूबर 2020 में क्षेत्रीय विकास सूचकांक द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार- लातिनी अमेरिकी देशों में कोलंबिया इस क्षेत्र के सबसे असमान देशों में से एक है और इसके अपने क्षेत्रों के विकास में सबसे बड़ा अंतर मौजूद है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रशासनिक विभाग (डीएएनए) ने 29 अप्रैल 2021 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लगभग 2.1 करोड़ लोग, या आबादी का कुल 42.5 प्रतिशत हिस्सा गरीबी में जी रहा है, जो कि पिछले वर्ष से 6.8 प्रतिशत ज्यादा है। उनकी और से यह भी पुष्टि की गई है कि 74 लाख लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं। डीएएनइ से प्राप्त आंकड़े यह भी संकेत देते हैं कि 49.2 प्रतिशत कामगार वर्ग सिर्फ अनौपचारिक तौर पर कार्यरत है, लेकिन कारपोरेशन फॉर पॉपुलर एजुकेशन एंड रिसर्च – नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट (सीईडीआईएनएस) की निदेशक मिलेना ओचोआ के मुताबिक, वास्तविक संख्या 70 प्रतिशत के आसपास होनी चाहिए।

कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए अपनाए गए प्रतिबंधात्मक उपायों के कारण व्यापक आबादी बुरी तरह से प्रभावित हुई है, विशेषकर जब सरकार ने आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए न के बराबर काम किया है। एक अन्य डीएएनइ रिपोर्ट से पता चलता है कि मार्च 2020 से लेकर अप्रैल 2021 तक, कोविड-19 से मारे जाने वाले 87.3 प्रतिशत लोग तीन सबसे निचले पायदान वाले सामाजिक-आर्थिक तबकों में से थे। 10 मई तक, मात्र 5 करोड़ की आबादी होने के बावजूद, यह एंडीयन देश पुष्टि किये गए कोविड-19 के 30,02,758 मामलों के साथ वैश्विक स्तर पर 12वें स्थान पर था, और इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या के मामले में 77,854 के साथ 11वें स्थान पर था।

सरकार का इरादा इन कमजोर क्षेत्रों से संसाधनों को इकट्ठा कर अपने राजकोषीय घाटे को हल करने का है। लेकिन उदाहरण के लिए उसे एवल समूह के लुईस कार्लोस सर्मिएन्तो जिनके पास कोलंबिया में बैंकिंग व्यवस्था के एक-तिहाई हिस्से पर आधिपत्य है, या एलेजान्द्रो सैंटो डोमिंगो जो कि कई दूर-संचार कंपनियों, बीयर कंपनी अन्हयूसेर-बुस्च इनबेव और कई माल के मालिक हैं; या चीनी कंपनियों और टीवी चैनलों के मालिक कार्लोस अर्दिला लुले से संसाधनों को इकट्ठा करने में कोई रूचि नहीं है। 

कोलम्बिया: नरसंहार वाला राज्य 

कोलंबिया में पिछले 60 वर्षों से लगातार आंतरिक सशस्त्र संघर्ष के दौरान मानवधिकार संगठनों, ट्रेड यूनियनों, और सामाजिक आंदोलनों को कोलंबियाई राज्य द्वारा आंतरिक दुश्मनों के तौर पर वर्गीकृत किया जाता रहा है। कोलंबियाई राज्य ने आंतरिक राजनीतिक एवं सामाजिक संघर्ष को हमेशा एक शत्रु समूह के साथ युद्ध के तौर पर बर्ताव किया है। इसने संगठित लोगों के खिलाफ जवाबी-कार्यवाई वाली नीति को विकसित किया है, जिसमें विपक्ष के विभिन्न संगठनात्मक स्वरूपों से सभी लोकतांत्रिक स्थानों को छीनने और प्रतिक्रिया देने के बजाय आपराधीकरण करने और राजनीतिक उत्पीड़न को अंजाम दिया है। 

राज्य द्वारा चलाए जा रहे संवाद के मुताबिक, कोलंबिया जिसे पिछले छह दशकों से भी अधिक समय से झेल रहा है वह सामाजिक मूल के साथ संघर्ष नहीं है। बल्कि यह कोलंबिया के खिलाफ अपराधियों द्वारा छेड़ा गया युद्ध है, जिससे यह पीड़ित है, जैसा कि दो राक्षसों के सिद्धांत में प्रतिपादित किया गया है कि लातिनी अमेरिका और कैरिबियाई द्वीप को सीआईए द्वारा संचालित ऑपरेशन कोंडोर के क्रियान्वयन के दौरान नुकसान उठाना पड़ा था। राज्य का यह शत्रु नाम में बदलाव करता रहता है जो निश्चित तौर पर संयोगवश नहीं बल्कि अमेरिकी विदेश नीति पर पेंटागन के झुकाव के चलते है। पूंजीवादी और भू-स्वामियों की सत्ता के राजनीतिक विरोधियों को सबसे पहले “साम्यवाद के खिलाफ युद्ध”, फिर “ड्रग तस्करी के खिलाफ युद्ध” और अंत में “आतंकवाद के खिलाफ युद्ध” के नाम पर उनका आपराधिककरण किया गया है। इन झूठे बहानों का सहारा लेकर कोलंबियाई राज्य ने भारी मात्रा में अमेरिकी समर्थन के साथ, सैन्य प्रशिक्षण से लेकर राज्य की दमनकारी तंत्र को उन्नत करने के लिए ठोस वित्तपोषण के जरिये असमानता और निरंकुशतावादी शासन को बदलने की चाहत रखने वाली सभी सांगठनिक परिक्रियाओं पर सुनियोजित रूप से हमले किये हैं। समूचे इतिहास में इसने इस विपक्ष को किसी भी कीमत पर राजनीतिक भागीदारी को सीमित करना चाहा है, जिसमें संगठनों को तहस नहस करने से लेकर उन्हें पूरी तरह से नेस्तानाबूद करना शामिल है। 

इसे हम कोलंबिया के 20वीं शताब्दी के दौरान विविध दुखद अनुभवों में परिलक्षित होते देख सकते हैं: एक गुरिल्ला नेता ग्वाडालुपे साल्सेडो जिनके साथ राज्य ने सैन्य-विघटन के लिए किये गए एक समझौते उल्लंघन किया था और इसका अंत 1957 में उनकी हत्या से कर दिया था। 1980 और 1990 के दशक के पेट्रियोटिक यूनियन, ए लुचार, और अन्य आंदोलनों एवं राजनीतिक दलों, जो 1980 के दशक के दौरान शांति समझौतों से उभरे थे, के राजनीतिक नरसंहार में देखा जा सकता है, जिसमें राज्य ने सैन्य योजना रेड डांस के जरिये गाँव-देहातों और कोलंबिया के शहरों में मौजूद इन आंदोलनों और राजनीतिक दलों के कम से कम 4,000 सदस्यों का कत्लेआम कर दिया था। यह क्रम आज भी जारी है, 2016 से अब तक राजनीतिक कारणों से सामाजिक एवं राजनीतिक नेताओं की इस बीच में 1,000 से अधिक की संख्या में हत्याएं की जा चुकी हैं। 

कोलंबियाई राज्य के लिए किसी भी प्रकार के विरोध की अभिव्यक्ति को गैर-आधिकारिक तौर पर युद्ध का उद्घोष माना जाता है, जिसे किसी भी सूरत में निपटाने की कोशिश की जाती है। इसे चाहे राज्य के स्वंय के दमनकारी तंत्र के जरिये या समानांतर सैन्य बलों के जरिये अंजाम दिया जाता है। कोलंबिया में समानांतर सैन्यवाद एक राज्य नीति का अंग रही है, जहाँ विभिन्न सरकारों की मिलीभगत और वित्तपोषण के सहयोग से कई अलग-अलग अवैध सशस्त्र ढाचों को तैयार किया गया है, जो उन “गंदे कामों” को करने के लिए जिम्मेदार हैं। ये काम सिद्धांत रूप से राज्य के लिए वर्जित हैं, लेकिन वह इसे किसी न किसी प्रकार से अंजाम देता है। यही कारण है कि हम राज्य बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की सैकड़ों शिकायतें देखते हैं। 

इस रौशनी में कोई भी व्यक्ति वर्तमान में जारी राष्ट्रीय हड़ताल के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही चरम हिंसा को भलीभांति समझ सकता है। सड़कों पर लोगों का यह जमावड़ा राज्य के लिए एक समूह की “गुंडागर्दी और आतंकवाद” से अधिक कुछ नहीं है। सामाजिक विरोध प्रदर्शनों के साथ सैन्य उपचार वह केन्द्रीय समस्या है जो इस तथ्य के साथ पनपती है कि अन्य देशों के विपरीत कोलंबिया में, सुरक्षा और सैन्य बलों को उसी दमनकारी बल के हिस्से के तौर पर माना गया और रक्षा मंत्रालय के अधीन रखा गया है। वास्तव में देखें तो वे नागरिक विरोध प्रदर्शनों के साथ उसी प्रकार से बर्ताव करते हैं, जैसा कि वे युद्ध के मैदान में करेंगे। इस विचार को सिर्फ इसी तरह से समझा जा सकता है कि कैसे नेशनल पुलिस प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करती है, कैसे रिहायशी पड़ोस के उपर से हेलीकॉप्टरों को उड़ाया जाता है, और कैसे इस राष्ट्रीय हड़ताल के सन्दर्भ में भारी संख्या में लोगों को हिरासत में रखने से लेकर यातनाएं देने और गायब कर दिए जाने से संदर्भित किया जा सकता है।

बदलाव की हवाएं: उरिबिस्ता-विरोधी कोलंबिया 

समूचे कोलंबिया की सड़कों पर और छोटे कस्बों के चौक पर और शहरों में सामाजिक विद्रोह की चिंगारी असल में कई वर्षों से स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी बुनियादी अधिकारों की गारंटी कराने के बजाय सैन्यीकरण को तरजीह देने के परिणामस्वरूप उभरी है। सामाजिक आंदोलन का आपराधिककरण करने से लेकर सामाजिक नेताओं और मानवाधिकारों के रक्षकों को आतंकी करार दिया गया है, बिना किसी सजा के भय के उनकी हत्याएं करने और नागरिकों की राजनीतिक भागीदारी को हतोत्साहित करने के हर संभव प्रयास किये जाते हैं। कोलंबिया में आज जो देखने को मिल रहा है वह एक अभूतपूर्व गोलबंदी है, जो एक समूची पीढ़ी के राजनीतिकरण करने के लिए पर्याप्त है, कि नवउदारवाद खुद के बजाय सभी को गैर-राजनीतिक और उदासीन बने रहते देखना चाहता है।

कोलंबिया में सामाजिक और राजनीतिक संकट एक स्नोबाल की तरह आकार ले रहा है और आज जन आंदोलनों से देश की दिशा में सकारात्मक बदलाव को पैदा करना संभव दिख रहा है। इवान ड्यूक और अल्वारो उरीबे की उरिबिस्ता सरकार के नेतृत्व में राज्य, ऐसा लगता है कि अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी है, इस विशाल जनसमूह बदलाव एवं रूपांतरण की आकांक्षा के उत्सव को एक क्लासिक नुस्खे: दमन, हत्या, कैद,धमकियों और भय के जरिये निपटने में लगी है। उरिबिस्टा सरकार हर उस चीज को ध्वस्त करने में व्यस्त है जिसे वह अपनी राह में रोड़ा पा रही है। 

लेकिन इस सबके बावजूद सभी उम्र के कोलंबियाई संगठन, प्रतिरोध और ख़ुशी के साथ जवाब दे रहे हैं। तिरंगे झंडों के साथ उन्होंने सड़कों को पाट डाला है और न्याय के लिए आवाज उठाते हुए वे आपस में एक दूसरे को गले लगा रहे हैं। वे सामुदायिक किचन का आयोजन कर रहे हैं, इस हिंसक दमन के दौर में वे एक दूसरे की देखभाल में लगे हैं, और मिलकर साल्सा और जोरोपो नाच-गा रहे हैं।

क्यूबाई गायक-गीतकार सिल्विओ रोड्रिग्ज का गीत  के शब्द कुछ इस तरह हैं “यह युग एक दिल को जन्म दे रहा है”। कोलंबिया में आम लोग एक नए देश को जन्म दे रहे हैं। राज्य की रणनीति अब काम नहीं आ रही है। आज बदलाव की जिजीविषा, औपनिवेशिक कोलंबिया के युद्ध जैसे हालत से आगे बढ़कर, सभी के लिए भयमुक्त, गरिमामय, मानवीय कोलंबिया में रूपांतरित होने के लिए कृत संकल्प है।

लौरा कैपोटे एक कोलंबियाई पत्रकार और कोलंबिया के पेट्रियोटिक मार्च की कार्यकर्ता हैं। आप अल्बा मोवीमिएंतोस की सदस्या हैं और ट्राइकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के ब्यूनस आयर्स कार्यालय में कार्यरत हैं। 

ज़ो एलेक्जेंड्रा एक पत्रकार और पीपल्स डिस्पैच की सह-संपादक हैं। वे लातिनी अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र के सामाजिक आंदोलनों और वामपंथी राजनीति को कवर करती हैं।

इस लेख को ग्लोबट्रोटर द्वारा  प्रकाशित किया गया था। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

Colombia’s Leaders Want to Stain Their Country with the Blood of the Working Class

colombia
Association of Peasants of Colombia
Colombia Assassination

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