NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रवीश कुमार की क़लम : गोदी मीडिया की ग़ुलामी से बाहर आएं, समझें कि राजदीप के साथ क्या हुआ
“ग़ुलाम मीडिया के रहते कोई मुल्क आज़ाद नहीं होता। गोदी मीडिया से आज़ादी ही नई आज़ादी लाएगी”
रवीश कुमार
29 Jan 2021
गोदी मीडिया

“ग़ुलाम मीडिया के रहते कोई मुल्क आज़ाद नहीं होता। गोदी मीडिया से आज़ादी ही नई आज़ादी लाएगी”

मेरी यह बात लिख कर पर्स में रख लें। गाँव और स्कूल की दीवारों से लेकर बस, ट्रैक्टर और ट्रक के पीछे भी लिख कर रख लें। इसका मीम बना कर लाखों लोगों में बाँट दें। मेरी राय में सच्चा हिन्दुस्तानी वही है जो गोदी मीडिया का ग़ुलाम नहीं है। गोदी मीडिया के ज़रिए जनता को राजनैतिक रूप से ग़ुलाम बनाया जा रहा है। यह उसी ग़ुलामी का चरम है कि जनता का एक बड़ा हिस्सा उन किसानों को आतंकवादी कहने लगा है जिन्हें अन्नदाता कहते नहीं थकता था। इसकी ताक़त ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश हुकूमत से भी दस गुना है। गोदी मीडिया ने पाँच साल में ही जनता को ग़ुलाम बना दिया है।

आप पूछेंगे कैसे? गोदी मीडिया ने जनता को सूचनाविहीन कर दिया है। सूचनाविहीन जनता ग़ुलाम ही होती है। गोदी मीडिया सरकार से सवाल नहीं करता है। सरकार की तरफ़ से जनता के बीच काम करने वाला नया लठैत है। यह सरकार की सरकार है। इसे पुलिस से लेकर तमाम एजेंसियों का सहारा मिलता है। इसका काम है सही सूचनाओं को आप तक नहीं पहुँचने देना। सूचनाओं का पता नहीं लगाना। इसकी जगह झूठ फैलाना। फेक न्यूज़ फैलाना और आपके भीतर लगातार धारणाओं का निर्माण करना। सूचना और धारणा के बीच बहुत फ़र्क़ होता है। गोदी मीडिया सूचना की जगह धारणाएँ बनाता है जैसे किसान आतंकवादी हैं और कोरोना तब्लीग जमात से फैला है। यह जिस तरह से अल्पसंख्यक का शिकार करता है उसी तरह से बहुसंख्यक के उस हिस्से का भी करता है जो हक की लड़ाई लड़ते हैं। जो सरकार से सवाल करते हैं ।

कई सौ चैनल, हिन्दी के अख़बार और आई टी सेल का खेल एक है। जनता तक वैसी सूचना मत पहुँचने दो जिससे वह सतर्क हो जाए। सवाल करने लगे। उसे झाँसे में रखो। आज देश में भयंकर बेरोज़गारी है। सैकड़ों आंदोलन के बाद भी भर्ती परीक्षा की हालत ठीक नहीं है। गोदी मीडिया ने इस मुद्दे को ख़त्म कर दिया। इसकी जगह लगातार लोगों को एक धर्म के नाम पर डराता रहा और एक झुंड को धर्म का रक्षक बना कर पेश करता रहा। गोदी मीडिया ने बेरोजगार नौजवानों को भी सांप्रदायिक बनाया है। धर्मांध बनाया है। पूरा प्रोजेक्ट ऐसा है कि जनता एक धर्म से नफ़रत करती रहे और सवाल करने के लायक़ न रहे।इसलिए लगातार धारणाओं की सप्लाई की जाती है। सूचनाओं की नहीं।

जैसे अंग्रेज सूचनाओं को पहुँचने से रोकते थे। पत्रकारों को जेल भेजते थे। उसी तरह से आज हो रहा है। सूचना लाने वाला पत्रकार जेल में है। उसके ख़िलाफ़ मुक़दमे हो रहे हैं। आई टी सेल ऐसे पत्रकारों को बदनाम करता है ताकि उसके झाँसे में आकर जनता या उनका झुंड पत्रकार पर हमला कर दे। अंग्रेज़ी हुकूमत प्रेस का गला घोंटती थी। आज की सत्ता गोदी मीडिया के ज़रिए प्रेस और जनता का गला घोंटती है। आप मेरी बात लिख कर रख लें। या तो भारत की जनता अगले सौ साल के लिए ग़ुलाम हो जाएगी या अपनी आज़ादी और स्वाभिमान के लिए गोदी मीडिया के प्रभाव से बाहर आने की अहिंसक और वैचारिक लड़ाई लड़ेगी। नहीं लड़ेगी तो उसकी क़िस्मत। ग़ुलामी तो ही है।

राजदीप सरदेसाई के साथ हुआ उसे इसी संदर्भ में देखें। गोदी मीडिया के बाक़ी एंकर लगातार झूठ और सूचनाविहीन धारणाएँ फैलाते हैं उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होती है। कभी माफ़ी नहीं माँगते। तब्लीग जमात के कवरेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट और बांबे हाईकोर्ट की टिप्पणी पढ़िए। गोदी मीडिया ने कितना ख़तरनाक खेल खेला। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। कोई अफ़सोस नहीं कि भूल हुई है।

प्रेस के काम में गलती होती है। तरीक़ा है कि आप सफ़ाई दें और अफ़सोस ज़ाहिर करें। राजदीप से जो हुआ वह गलती थी। जो दोबारा नहीं दोहराई गई। तब्लीग, सुशांत सिंह राजपूत के केस में जो हुआ वो प्रोपेगैंडा था। क्योंकि एक दिन नहीं कई हफ़्ते चला। दोनों में अंतर है। लेकिन राजदीप की सैलरी बंद कर दी गई। एंकरिंग से हटा दिया गया। अब FIR की जा रही है। क्या आप इस खेल को समझ पा रहे हैं?

किसी भी घटना में कई तरह के दावे होते है। उन दावों की रिपोर्टिंग अपराध है? सोच समझ कर पेश करनी चाहिए लेकिन राजदीप ने पुलिस का भी मत दिया था। राजदीप ने इन दानों को लेकर महीनों कार्यक्रम नहीं चलाया जो गोदी मीडिया करता है और जहां वे काम करते हैं वो भी गोदी मीडिया ही है। संदेश साफ है अब सिर्फ़ पुलिस जो कहेगी वही रिपोर्ट करना होगा वर्ना FIR होगी। इसे ग़ुलामी नहीं तो और क्या कहते हैं?

न्यूज़लॉड्री के आयुष तिवारी का यह लेख पढ़िए। आपको खेल समझ आ जाएगा। आपको ग़ुलामी दिख जाएगी । आज पत्रकारों के लिए नौकरी असंभव हो चुकी है। एक ही रास्ता है। चुप रहो। समझौता करो लेकिन कहाँ तक। इसलिए गोदी बनो। वरना बाहर का रास्ता खुला है ।

(रवीश कुमार वरिष्ठ पत्रकार और मशहूर टीवी एंकर हैं। उनकी यह टिप्पणी उनके आधिकारिक फेसबुक पेज से साभार ली गई है।) 

Godi Media
Rajdeep Sardesai
farmers protest
Tractor March

Related Stories

ज़ोरों से हांफ रहा है भारतीय मीडिया। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पहुंचा 150वें नंबर पर

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

कैसे चुनावी निरंकुश शासकों के वैश्विक समूह का हिस्सा बन गए हैं मोदी और भाजपा

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

आर्थिक मोर्चे पर फ़ेल भाजपा को बार-बार क्यों मिल रहे हैं वोट? 

किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी एक आशा की किरण है


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License