प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक और लेखक एजाज़ अहमद का 10 मार्च की सुबह अमेरिका में उनके घर पर निधन हो गया। अहमद का लंबे समय से इलाज चल रहा था और वे कुछ दिन पहले ही अस्पताल से वापस कैलिफोर्निया में अपने घर आए थे।
अहमद ने 'इन थियरी : क्लासेज़, नेशंस, लिटरेचर' जैसे किताबें लिखी थीं। अहमद का जन्म 1941 में अविभाजित यूपी में हुआ था, वे कई साल तक भारत में ही रहे थे।
अहमद अमेरिका और कनाडा के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विजिटिंग प्रोफेसर थे। वे 2017 से कैलिफोर्निया में रह कर काम कर रहे थे।
एजाज़ अहमद मार्क्सवादी कममुनिस्ट पार्टी से क़रीबी तौर पर जुड़े रहे थे। माकपा ने उनकी मौत पर दुख ज़ाहिर करते हुए ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
माकपा ने लिखा है कि उनका दिल भारत वापस आने का था, मगर अफ़सोस है कि ऐसा नहीं हो सका।
जन नाट्य मंच ने एजाज़ अहमद के निधन पर दुख ज़ाहिर करते हुए लिखा है, "एजाज़ साहब बौद्धिक दुनिया का एक बड़ा नाम थे, लेकिन वे लोगों से बहुत सहजता से बात करते थे। उनकी यही सहजता उनके लेखन में भी साफ़ झलकती थी जिससे उनके विचार लोगों तक आसानी से पहुँच पाते थे। हमेशा बड़े प्यार और सुलूक से मिलने वाले एजाज़ साहब निहायत ही हसीन और हलीम इन्सान थे। हमने उन्हें कभी भी 'आप' से 'तुम' तक पहुंचते नहीं देखा। लोगों में उनकी ख़ास दिलचस्पी के चलते वे हर किसी से बात करने का कोई न कोई मुद्दा ढूंढ ही लेते थे। उनसे हुए आख़िरी इंटरव्यू पर छपी किताब 'नथिंग ह्यूमन इज़ एलियन टू मी' उनके दानिशमंद ज़हन और ख़ूबसूरत व्यक्तित्व को ज़ाहिर करती है। अपने आख़िरी वक्त तक फ़ासीवाद के ख़िलाफ़ मुस्तैद और जन-जन की हिमायती इस आवाज़ को जन नाट्य मंच सलाम करता है।"