मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के किसान पिछले 3 साल से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। इन किसानों का कहना कि उन्हें इस व्यवस्था की वजह से बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां पहले तो फसल का सौदा कर लेती हैं, लेकिन जब उसका मूल्य देना होता है तो न सिर्फ आनाकानी करती हैं, बल्कि ज़्यादातर मामलों में फसल खरीदती ही नहीं हैं। किसानों का ये भी कहना है कि उन्हें कंपनियों द्वारा ही तय किए गए उर्वरक इस्तेमाल करने पड़ते हैं, भले ही जमीन की उर्वरता पर असर पड़े और अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी फसलें नहीं खरीदी जाती। पेश है न्यूज़क्लिक की ग्राउंड रिपोर्ट