NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री की नाक के नीचे मीडिया संस्थानों में वेतन कटौती और बर्ख़ास्तगी, DUJ , NAJ ने की निंदा  
नेशनल एलायंस ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (NAJ) और दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (DUJ)  ने कहा, ऐसे समय में जब पत्रकार घातक महामारी को कवर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं,  इस तरह के कदम उनके मनोबल को तोड़ने वाले हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Apr 2020
media salary cut in lockdown

दिल्ली: कोरोना के संकट काल में भी देश में नियोक्ता अपने कर्मचारियों को बर्खास्त और वेतन कटौती कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार प्रधानमंत्री ने भी अपील की है कि स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के इस समय में नियोक्ता अपने कर्मचारियों को नौकरी से न निकालें और न ही उनका वेतन काटें, लेकिन इसके बाद भी मीडिया हाउस, जो दिन भर दूसरों को शिक्षा देते हैं, के मालिक कर्मचारियों को बर्ख़ास्त कर रहे हैं, उनके वेतन में कटौती कर रहे है और कई जगह बिना वेतन जबरदस्ती छुट्टियों पर भेज रहे हैं। ये सब प्रधानमंत्री के नाक के नीचे किया जा रहा हैं।  ये सब कोई छोटे संस्थान नहीं बल्कि बड़े बड़े संस्थानों में हो रहा है।
 

सोमवार को, ऐसी खबरें आईं कि टाइम्स ऑफ इंडिया, न्यूज नेशन और द क्विंट ने कर्मचारियों की छंटनी कर दी है, जबकि इंडियन एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड नौकरी बचाते हुए वेतन में कटौती कर रहा है।

गहरे स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के समय नौकरियों  को इस तरह से छीने जाने पर सवाल उठाते हुए, नेशनल एलायंस ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (NAJ) और दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (DUJ) ने रोष व्यक्त किया है।
दोनों संगठनों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है,“मीडिया के मालिक दावा कर रहे हैं कि वे लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हैं, कि प्रसार और विज्ञापन गिर गए हैं और इसलिए वे ये सब करने को मज़बूर हैं। हम मानते हैं कि लॉकडाउन छंटनी और मनमाने वेतन कटौती का बहाना मात्र है। कोरोना हमला एक राष्ट्रीय संकट है और इस संकट से निपटने के दौरन होने वाले नुकसान को कर्मचारियों पर डालने के बजाय मीडिया कंपनियों और उनके शेयरधारकों को इसका बोझ उठाना चाहिए।”

 

 उन्होंने आगे कहा, "यह निंदनीय है कि सबसे अमीर मीडिया कंपनी, टाइम्स ऑफ इंडिया समूह ने भी कर्मचारियों को निकालने का निर्णय किया है, जबकि वो  इस संकट के दौरान कर्मचारियों के  खर्च को आसानी से उठा सकता है। कर्मचारी पर जो खर्च होता है, वो कंपनी द्वारा अर्जित किये जाने वाले भारी मुनाफे का एक छोटा हिस्सा होता है। बर्खास्त किए गए लोगों में अब वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने दो दशकों से उनके लिए काम किया है, कंपनी के विकास और कमाई में अपना योगदान दिया है।”
 

सोमवार को, जर्नलिस्ट नोना वालिया, जिन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक टाइम्स ऑफ़ इंडिया के साथ काम किया है, उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा: "टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रविवार पत्रिका की पूरी टीम को काम छोड़ने के लिए कहा गया हैं। मेरे बॉस पूनम सिंह से एक फोन आया। एक कंपनी से 24 साल बाद बर्खास्त हुई हूँ, जहाँ मैंने दो दशकों से अधिक समय तक प्रेम के साथ काम किया।"

कई लोगों का कहना है कि ऐसे समय में जब बाज़ार में कोई रोज़गार उपलब्ध नहीं है,  ऐसे में कर्मचरियो पर इस तरह का हमला 'क्रूर' कदमों में से एक है।

DUJ और NAJ के अनुसार, “इंडियन एक्सप्रेस समूह ने दस से तीस प्रतिशत तक वेतन कटौती को लागू किया है। द क्विंट ने अपने आधे कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है और बाकी लोगों के वेतन में कटौती की है। कई दैनिक समाचार पत्रों के प्रिंट संस्करणों के बंद होने की भी खबरे आ रही हैं।”
 

यदि समाचार पत्र उद्योग हर दिन आमदनी खो रहा है तो दोनों संगठनों ने कहा कि जैसा कि भारतीय समाचार पत्र सोसाइटी ने केंद्र सरकार को लिखा है,  उसे अख़बार की कीमतों की अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और विज्ञापन राजस्व पर पूरी तरह से निर्भर होना चाहिए। यह अब अख़बारी कागज पर 5% सीमा शुल्क हटाने, दो साल की कर माफ़ी, डीएवीपी विज्ञापन दरों में 50% की वृद्धि और प्रिंट मीडिया के लिए बजट खर्च में 100% की बढ़ोतरी के रूप में एक सरकारी मदद चाहता है, लेकिन सवाल यह है की ये कर्मचारियों को क्या दे रहा है?

पहले भी कहा गया था कि मीडिया उद्योग ने बड़े पैमाने पर छंटनी करने के लिए नोटबंदी  के फैसले का दुरुपयोग किया था। आज फिर मीडिया कंपनियां लॉकडाउन को लॉकआउट में बदलने की धमकी दे रही हैं।”
यह मांग करते हुए कि मीडिया संगठन पीएम की अपील पर ध्यान दें और कर्मचारियों को नौकरी और वेतन बहाल करे। बयान में बताया गया है कि देश भर लॉकडाउन में सैकड़ों पत्रकार वर्तमान में वायरस के संक्रमण और प्रभाव के बारे में ख़बर देने के लिए अपने जीवन और अपने चाहने वाले व्यक्तियों को जोखिम में डाल रहे हैं।  


इस बयान में यह भी कहा गया है कि “मुंबई में टाइम्स टीवी स्टूडियो के कुछ कर्मचारी कथित तौर पर वायरस संपर्क में आए हैं और उनके सहयोगियों को काम को करने के लिए एक अलग स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है। पत्रकार आज अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं और आज उन्हें उनके काम के लिए समर्थन करने जरूरत हैं। इसके बजाय, अचानक भुगतान में कटौती और बर्खास्तगी  मीडियाकर्मियों  के मनोबल को तोड़ रही है।”

Media Jobs
Media Sackings
DUJ
NAJ
times of india
QUINT
INDIAN EXPRESS

Related Stories

देश में पत्रकारों पर बढ़ते हमले के खिलाफ एकजुट हुए पत्रकार, "बुराड़ी से बलिया तक हो रहे है हमले"

UNI कर्मचारियों का प्रदर्शन: “लंबित वेतन का भुगतान कर आप कई 'कुमारों' को बचा सकते हैं”

पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का एक साल: आज भी इंसाफ़ के लिए भटक रही हैं पत्नी रिहाना

मीडियाकर्मियों पर चौतरफ़ा हमला : डीयूजे

COVID-19: पत्रकारों को निकालने, सैलरी काटने का नया बहाना

इंडिया का Black काल

कॉरपोरेट का सात खून माफ़ !

"प्रस्तावित लेबर कोड श्रम कानून को बर्बाद कर देगा"  

मेडिकल उपकरण बाजार में ‘डरावना भ्रष्टाचार’


बाकी खबरें

  • राज वाल्मीकि
    दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!
    27 May 2022
    दलित परिप्रेक्ष्य से देखें तो इन आठ सालों में दलितों पर लगातार अत्याचार बढ़े हैं। दलित हत्याओं के मामले बढ़े हैं। दलित महिलाओं पर बलात्कार बढ़े हैं। जातिगत भेदभाव बढ़े हैं।
  • रवि शंकर दुबे
    उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान
    27 May 2022
    उत्तर प्रदेश की आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट समेत 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान होंगे।
  • एजाज़ अशरफ़
    ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है
    27 May 2022
    आपातकाल के ज़माने में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने ग़लत तरीक़े से हिरासत में लिये जाने पर भी नागरिकों को राहत देने से इनकार कर दिया था। और अब शीर्ष अदालत के आदेश से पूजा स्थलों को लेकर विवादों की झड़ी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत
    27 May 2022
    महाराष्ट्र में 83 दिनों के बाद कोरोना के 500 से ज़्यादा 511 मामले दर्ज किए गए है | महराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है की प्रत्येक व्यक्ति को सावधान और सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना…
  • एम. के. भद्रकुमार
    90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात
    27 May 2022
    रूस की सर्वोच्च प्राथमिकता क्रीमिया के लिए एक कॉरिडोर स्थापित करना और उस क्षेत्र के विकास के लिए आर्थिक आधार तैयार करना था। वह लक्ष्य अब पूरा हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License