NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
देशभर में बच्चा चोरी की अफवाह और 'भीड़' का पागलपन
देश के विभिन्न इलाकों में भीड़ द्वारा बच्चा चोर बताकर बेगुनाहों पर हमले अचानक तेज हो गए हैं। आश्चर्य यह कि कोई नहीं जानता कि बच्चा कहां और किसका चोरी हुआ।
अमित सिंह
06 Sep 2019
mob violence
प्रतीकात्मक तस्वीर

बच्चा चोरी की अफवाह के चलते अनजान लोगों के साथ भीड़ की मारपीट की घटनाएं जारी हैं। ताजा मामला राजस्थान के अलवर का है। यहां बीटेक के एक छात्र को भीड़ ने एक खंभे के साथ बांध दिया और फिर उसकी बुरी तरह पिटाई की। यह छात्र कश्मीर के सोपोर का रहने वाला है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और छात्र को बचाया। घटना की जांच की जा रही है।

पिछले दिनों दिल्ली के हर्ष विहार में भीड़ ने एक मूक-बधिर गर्भवती महिला को इतना पीटा कि उसकी जान जाते-जाते बची। हरियाणा के रेवाड़ी में बच्ची के मामा पर ही भीड़ ने धावा बोल दिया।

गाजियाबाद के लोनी में अपने पोते को लेकर जा रही एक बुजुर्ग स्त्री को लोगों ने इस शक में मार-मारकर अधमरा कर दिया कि वह बच्चे को चुराकर ले जा रही है।

संभल में भतीजे को अस्पताल ले जा रहे एक शख्स को भी इसी संदेह में पीटा गया।

सुल्तानपुर में बच्चा चोरी के आरोप में एक महिला की पीट पीटकर हत्या कर दी गई। अमेठी जिला में भीड़ ने बच्चा चुराने वाला समझकर एक मजदूर को पीटकर मार डाला, जबकि आठ अन्य घायल हो गए।

बलिया में भीख मांगने वाली महिला को लोगों ने बच्चा चोर समझकर घेर लिया और उसकी पिटाई कर दी।

नोएडा की खोड़ा कॉलोनी में भी शुक्रवार देर रात कुछ लोगों ने एक व्यक्ति पर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर उसे पीट दिया। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि आरोप गलत है।

गोरखपुर के शेखुपुरवा मोहरीपुर में मानसिक रूप से कमज़ोर महिला को ग्रामीणों ने पीटकर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस पड़ताल में जुटी है।

कानपुर में भी ऐसे ही आरोप में दो बुजुर्गों की पिटाई की गई। भीड़ ने बच्चा चोरी के आरोप में घेर लिया और उनके आधार कार्ड भी देखे। कानपुर का होने का सबूत देने के बाद भी उनेक साथ जमकर मारपीट की गई।

एटा में भी एक ऐसी घटना घटी है। अधेड़ उम्र की एक महिला को बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने पीट दिया और वीडियो भी वायरल किया। वीडियो में महिला खुद को बेगुनाह बताती रही लेकिन उसके बावजूद भीड़ उसे पीटती रही और सिर मुंड़वाने की कोशिश की।

देश के सबसे बड़े राज्य में हालात इतने खराब हो गए हैं कि डीजीपी ओपी सिंह द्वारा अफवाह फैलाने व हिंसा करने वालों पर रासुका लगाने का आदेश भी दिया गया है। दिप्रिंट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के आईजी लाॅ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार के मुताबिक पिछले एक महीने में अब तक ऐसे 37 मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है जिसमें 140 आरोपियों की पुलिस ने गिरफ्तारी भी की है।

ऐसा नहीं है कि बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ द्वारा पिटाई की घटनाएं सिर्फ यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में हो रही हैं। ऐसी घटनाओं की सूचना देश के लगभग हर हिस्से से आ रही है।

झारखंड के गिरिडीह में एक बैंक के बाहर बच्चे को रोते देख उसके साथ खेल रही महिला को भी भीड़ ने बच्चा चोर की अफवाह में पिटाई कर दी। मामले की जांच के बाद गलतफहमी की बात सामने आई है।

बिहार के गया जिले में तीन लोगों को बच्चा अपहरण के आरोप में पीटा गया। तनकुप्पा थाना के एसएचओ विकास चंद्र ने पीटीआई से कहा कि तीनों लोग गया शहर के रहने वाले हैं।

इससे पहले 9 अगस्त को पटना में ऐसी ही एक घटना में भीड़ के पीटे जाने से एक व्यक्ति की मौके पर मौत हो गई थी। उस समय वहां पुलिस ने 22 लोगों गिरफ्तार किया था। उस मामले में अभी भी बिहार पुलिस की जांच जारी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल हर जगह से ऐसी खबरें सामने आई हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के अलग-अलग इलाकों में इस तरह की घटनाओं में एक अगस्त से अब तक 25 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। तो वहीं, एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की है।

गौरतलब है कि इस तरह की घटनाएं पिछले कई सालों से हो रही हैं लेकिन बीच-बीच में इनमें भयानक तेजी देखने को मिलती है।

सबसे खराब बात यह है कि लगभग हर जगह इसका पैटर्न समान है। पहले किसी इलाके में एक व्हाट्सऐप मैसेज वायरल होता है, जिसमें वहां बच्चा चोर गिरोह सक्रिय होने की बात कही जाती है। यह भी कि यह गिरोह बच्चों की चोरी करके उनके अंग बेचता है या मासूमों के साथ गलत काम करता है।

मैसेज को प्रामाणिक बनाने के लिए वीडियो भी दिखाए जाते हैं। इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में बच्चा चोरी रोकने के लिए बनाई गई डॉक्यूमेंट्री तक शामिल हैं। इन डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को अपने तरीके से एडिट किया गया है। नतीजा यह कि जहां-तहां शरारती तत्व किसी डरे हुए या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को भी बच्चा चोर बताकर उस पर हमला कर दे रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोई नहीं जानता कि बच्चा कहां और किसका चोरी हुआ। लोग इसका पता लगाने की कोशिश भी नहीं कर रहे। बस चोरी का हल्ला उठता है और सभी आक्रामक हो उठते हैं। यह पूरे तरीके से डर का एक खेल है। इसका असर यह होता कि कई जगह लोगों ने अपने छोटे बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। कहीं-कहीं ग्रामीण प्राथमिक विद्यालयों की छोटी कक्षाएं खाली दिखने लगी हैं।

दरअसल बच्चा चोरी की बात फैल जाने से एक भय का वातावरण बनता है, जिसकी अभिव्यक्ति भीड़ की हिंसा के रूप में होती है।

इन सबके बीच भीड़ की हिंसा पर लगाम लगा पाने में बेअसर कानून व्यवस्था ने आग में घी का काम किया है। हमारे देश में हर व्यक्ति निजी स्तर पर कानून से डरता है लेकिन भीड़ का हिस्सा बनते ही वह कानून को अपनी जेब में समझने लगता है। उसे लगता है कि सामूहिक रूप से किए गए कृत्य के लिए किसी को कोई सजा नहीं मिलती।

यह बात कई मामलों में सच भी साबित होती दिख रही है। भीड़ द्वारा पिटाई की घटनाओं में आरोपी छूटते नजर आ रहे हैं इससे सबका हौसला बढ़ा हुआ है। राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन भी इसके खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। इसका फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। भीड़ खुद कानून हाथ में लेने पर उतारू हो गई है।

हिंदी के वरिष्ठ व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने 1991 में अपने लेख 'आवारा भीड़ के ख़तरे' में ऐसी भीड़ का जिक्र किया था।

उन्होंने लिखा था, 'दिशाहीन, बेकार, हताश, नकारवादी, विध्वंसवादी बेकार युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती है। इसका प्रयोग महत्वाकांक्षी खतरनाक विचारधारावाले व्यक्ति और समूह कर सकते हैं। इस भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी ने किया था। यह भीड़ धार्मिक उन्मादियों के पीछे चलने लगती है। यह भीड़ किसी भी ऐसे संगठन के साथ हो सकती है जो उनमें उन्माद और तनाव पैदा कर दे। फिर इस भीड़ से विध्वंसक काम कराए जा सकते हैं। यह भीड़ फासिस्टों का हथियार बन सकती है। हमारे देश में यह भीड़ बढ़ रही है। इसका उपयोग भी हो रहा है। आगे इस भीड़ का उपयोग सारे राष्ट्रीय और मानव मूल्यों के विनाश के लिए, लोकतंत्र के नाश के लिए करवाया जा सकता है।'

यही बात आज हम सबके सामने आ रही है। दरअसल भीड़ की हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बच्चों की चोरी और इससे जुड़ी अफवाहबाजी, दोनों पर एक साथ पूरी सख्ती से सक्रिय हुआ जाए।

mob lynching
mob voilence
Rumor of child theft
Political Party
social organization
Fear atmosphere

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

बिहार: बीफ खाने के नाम पर खलील की हत्या, परिवार का आरोप; उच्च-स्तरीय जांच की मांग

यूपी चुनाव पांचवा चरण:  दाग़ी और करोड़पति प्रत्याशियों पर ज्यादा विश्वास करती हैं राजनीतिक पार्टियां

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

बिहारः नगर निकाय चुनावों में अब राजनीतिक पार्टियां भी होंगी शामिल!

झारखंड : मॉब लिंचिंग क़ानून के बारे में क्या सोचते हैं पीड़ितों के परिवार?

झारखंड : नागरिक समाज ने उठाई  ‘मॉबलिंचिंग विरोधी क़ानून’ की नियमावली जल्द बनाने की मांग

पलवल : मुस्लिम लड़के की पीट-पीट कर हत्या, परिवार ने लगाया हेट क्राइम का आरोप


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License