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देविंदर सिंह और नावेद की गिरफ्तारी के बाद शोपियां से भागे आतंकवादी
नावेद की गिरफ्तारी के बाद आईजीपी कुमार का कहना है कि इसकी गिरफ्तारी के बाद जैसे ही यह खबर फैली, शोपियां में आतंकवादी अपने ठिकाने छोड़ भागने में कामयाब रहे। हमने मौके से बड़ी मात्रा में खाने के समान बरामद किए हैं।
अनीस ज़रगर
14 Jan 2020
Translated by महेश कुमार
terrorist

श्रीनगर: घटनाओं में आए एक नाटकीय मोड़ के तहत जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक डिप्टीएसपी रैंक के अधिकारी को पहली बार दक्षिण कश्मीर के कुलगाम से एक पुलिस में रहे सिपाही और बाद में बने आतंकवादी के साथ गिरफ्तार किया गया है। इसकी सूचना पुलिस ने रविवार को दी।

इस अधिकारी की पहचान उप पुलिस अधीक्षक देविंदर सिंह के रूप में की गई है जो वर्तमान में विभाग में सुरक्षा प्रभाग में तैनात था। सिंह को दो आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक की हिज्बुल मुजाहिदीन संगठन के चोटी के कमांडर सईद नवीद उर्फ नावेद बाबू के रूप में पहचान की गई है।नावेद एक ऐसा आतंकवादी है, जिसकी पुलिस को तलाश थी, जिसने दक्षिण कश्मीर के अशांत शोपियां जिले में आतंकवादी संगठन का नेतृत्व सँभाला हुआ था।

एक वक़्त जेएंडके पुलिस में कास्टेबल रहे नावेद उस क्षेत्र में कथित रूप से नागरिक हत्याओं में  शामिल रहा है जिसमें अक्टूबर महीने में पांच गैर-स्थानीय मजदूरों की हत्या भी शामिल है जिस घटना ने पूरे क्षेत्र को सदमें में डाल दिया था।

आईजीपी कश्मीर विजय कुमार के अनुसार गिरफ्तारी के बाद से नावेद और सिंह दोनों से फिलहाल पूछताछ की जा रही है और जांच अभी जारी है।2017 में आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने वाले नावेद हिज्बुल के शीर्ष कमांडर रियाज नाइकू के बाद दूसरी कमान के रूप में उभरे हैं, जो अगस्त महीने में अनुच्छेद 370 के निरस्त्रीकरण के बाद दक्षिण कश्मीर में सेब व्यापारियों पर हमले या अपहरण को अंजाम देने में आगे थे। सेब की फसल को इस क्षेत्र में नावेद के निर्देश पर नहीं उठाया गया था।

आईजीपी कुमार ने कहा कि तीनों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर और जम्मू के बीच गिरफ्तार किया गया जहां से वे राष्ट्रीय राजधानी के लिए रुखसत हो रहे थे।सिंह एक विवादास्पद आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल थे। 2001 के संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु ने भी आरोप लगाया था कि सिंह ने उन्हे फंसाया है। बाद में गुरु को फरवरी 2013 में हमले में शामिल होने के दोषी के रूप में फांसी दे दी गई थी।आईजीपी कुमार का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी के बाद जैसे ही यह खबर फैली शोपियां में आतंकवादी अपने ठिकाने छोड़ भागने में कामयाब रहे। हमने मौके से बड़ी मात्रा में खाने के समान बरामद किए हैं।

उसी समय पुलिस को पुलवामा के त्राल इलाके में आतंकवादियों के होने की खबर भी मिली थी, जिसके बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। आईजीपी कुमार के अनुसार, जो तीन आतंकवादी थे – वे इसी इलाके के मोस्ट वांटेड थे, इनमें उमर फैयाज उर्फ हमद खान भी शामिल थे।खान अप्रैल 2016 में हिज्बुल में शामिल हुआ था और तभी से वह क्षेत्र में सैन्य अभियानों का मुख्य निशाना रहा था। उसके इशारे पर हिज़्ब ने 2018 में दक्षिण कश्मीर में पुलिस कर्मियों के परिवार के सदस्यों के कई अपहरण को अंजाम दिया था।

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CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License