NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली की जनता ने चुना राष्ट्रवाद के वादों को
दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनावों में, आप ने दिल्ली में कुल 70 सीटों में से 67 सीटें जीती थीं। उस चुनाव में बीजेपी, एक साल पहले केंद्र में भगवा पार्टी की प्रचंड जीत के कारण 'मोदी लहर' के बावजूद केवल तीन सीटें जीतने में सफ़ल रही। कांग्रेस शून्य पर सिमट गई। लोकसभा चुनावों में दिल्ली में इन तीनों दलों का प्रदर्शन भी एक संकेत है। इस चुनाव में कांग्रेस अपने खोय जनाधार का कुछ हिस्सा वापस पाने में सफ़ल हुई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 May 2019
Delhi Chunao

भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर आज शाम 5 बजे तक दिखाए गए रुझानों के अनुसार, यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अपनी 2014 की जीत को दोहरा रही है। दिल्ली में सभी सात सीटों पर एक बार फिर बीजेपी क़ब्ज़ा कर रही है। मोदी लहर और राष्ट्रवाद पर भरोसा करते हुए, भाजपा ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा था, जबकि आम आदमी पार्टी दिल्ली में पूर्ण राज्य के मुद्दे पर अभियान चलाती रही और “स्वच्छ राजनीति” का वादा करती रही। लेकिन आप पर कांग्रेस के शीला दीक्षित और अरविंदर सिंह लवली जैसे दिग्गज भारी पड़ रहे थे। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर 12 मई को एक ही चरण में मतदान हुआ था जिसमें चाँदनी चौक, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली, ईस्ट दिल्ली, नई दिल्ली, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली, वेस्ट दिल्ली और साउथ दिल्ली शामिल थे और गुरुवार को नतीजे घोषित किए गए। 

आज शाम 5 बजे तक दिखाए गए रुझानों के अनुसार,
 
पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविंदर सिंह लवली से 2,05,639 मत से आगे हैं। इस सीट पर आप उम्मीदवार आतिशी तीसरे स्थान पर हैं। 

स्टार उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा के मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित से 3 लाख वोटों से आगे चल रहे हैं। उत्तरी पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में जहाँ गायक हंस राज हंस आप के गुगन सिंह से 4.5 लाख से अधिक मतों के अंतर से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में उम्मीदवारों के बीच का अंतर बेहद स्पष्ट हो जाता है की यहाँ लड़ाई एकतरफ़ा थी। भाजपा के परवेश साहिब सिंह वर्मा और कांग्रेस के महाबल मिश्रा के बीच पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में 4 लाख से अधिक मतों के अंतर के साथ वोटों का अंतर बेहद कम है। भाजपा चाँदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र पर अपने गढ़ को बनाए रखने का भी लक्ष्य बना रही है, हालांकि सात सीटों में से सबसे कम मतों का अंतर 1 लाख से थोड़ा अधिक है।

2019 के चुनावों में, भाजपा ने दिल्ली में सभी सात सीटों पर फिर से अपनी 2014 की रैली को दोहराया है। मनोज तिवारी, मीनाक्षी लेखी, डॉ हर्षवर्धन और परवेश साहिब सिंह वर्मा जैसे उम्मीदवारों के साथ अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखा है। दिलचस्प बात यह है कि उम्मीदवारों के मार्जिन में 2014 में  वोटों के मुक़ाबले भारी बढ़ोतरी हुई है।

दिल्ली में चर्चा लंबे समय से चल रही है कि कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की विफ़लता ने भाजपा को भारी जीत दिलाई। दोनों पार्टियाँ सीट बंटवारे को लेकर किसी समझौते पर नहीं पहुँच सकीं और अलग-अलग चुनाव लड़ीं। आप और कांग्रेस का मतदाता आधार काफ़ी हद तक एक जैसा है और गठबंधन बनाने में उनकी विफ़लता विनाशकारी साबित हुई है। लेकिन अगर हम आज के परिणाम को देखें तो साफ़ दिख रहा है कि अगर आप और कोंग्रस के वोट जोड़ दिये जाएँ फिर भी वो भाजपा से काफ़ी पीछे हैं। 

दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनावों में, आप ने दिल्ली में कुल 70 सीटों में से 67 सीटें जीती थीं। उस चुनाव में बीजेपी, एक साल पहले केंद्र में भगवा पार्टी की प्रचंड जीत के कारण 'मोदी लहर' के बावजूद केवल तीन सीटें जीतने में सफ़ल रही। कांग्रेस शून्य पर सिमट गई। लोकसभा चुनावों में दिल्ली में इन तीनों दलों का प्रदर्शन भी एक संकेत है। इस चुनाव में कांग्रेस अपने खोय जनाधार का कुछ हिस्सा वापस पाने में सफ़ल हुई है।

Delhi
delhi election
AAP
manoj tiwari
Arvind Kejriwal
sheila dixit
Congress
BJP
delhi east

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग


बाकी खबरें

  • शीला जिओ, मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी
    28 May 2022
    लैटिन अमेरिका को बाहर रखने और उसके ख़िलाफ़ आक्रामकता की अमेरिकी नीति को जारी रखने के बाइडेन की ज़िद ने उनके शिखर सम्मेलन को शुरू होने से पहले ही नाकाम कर दिया है।
  • शिव इंदर सिंह
    मोदी का ‘सिख प्रेम’, मुसलमानों के ख़िलाफ़ सिखों को उपयोग करने का पुराना एजेंडा है!
    28 May 2022
    नामवर सिख चिंतक और सीनियर पत्रकार जसपाल सिंह सिद्धू का विचार है, “दिल्ली के लाल किले में गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशपर्व मनाने का मोदी सरकार का मुख्य कारण, भाजपा के शासन में चल रहे मुस्लिम…
  • ज़ाहिद खान
    देवेंद्र सत्यार्थी : भारत की आत्मा को खोजने वाला लोकयात्री
    28 May 2022
    जयंती विशेष: ‘‘सत्यार्थी जी निरंतर गाँव-गाँव भटककर, लोकगीतों के संग्रह के जरिए भारत की आत्मा की जो खोज कर रहे हैं, वही तो आज़ादी की लड़ाई की बुनियादी प्रेरणा है...’’
  • अभिवाद
    केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 
    28 May 2022
    थ्रीक्काकर सीट से जीते यूडीएफ़ के विधायक के निधन के बाद हो रहा उप-चुनाव, 2021 में एलडीएफ़ की लगातार दूसरी बार ऐतिहासिक जीत के बाद, पहली बड़ी राजनीतिक टक्कर के रूप में महत्वपूर्ण हो गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज
    28 May 2022
    देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 16 हज़ार 308 हो गयी है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License