NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली:भू-जल का गिरता स्तर चिंता का कारण है
जल माफियाओं और बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनीयां जो सबसे ज्याद भू-जल का दोहन करती है उनपर करवाई की जगह अवैध कॉलनी में रह रहे गरीब लोगों पर करवाई कर रही हैं |
मुकुंद झा
09 May 2018
water

दिल्ली में गिरता भू-जल स्तर चिंता का करण है लेकिन सरकार इसके प्रति सजग और गंभीर नहीं दिख रही है | सरकार इस समस्या के हल की जगह पर केवल दिखवा कर रही है | जल माफियाओं और बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनीयाँ  जो सबसे ज़्यादा भू-जल का दोहन करती है उनपर कार्यवाही की जगह अवैध कॉलनी में रह रहे गरीब लोगों पर करवाई कर रही है | वास्तविकता  यह भी है कि उन कॉलनीयों में रह रहे लोगों के पास भू-जल के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है | सरकारों की विफलताओं के करण आज तक इन जगहों पर पानी की सप्लाई नहीं पहुँच पाई है जिस कारण ये लोग समर सिबल या हैंड पम्प का प्रयोग कर भू-जल को निकालकर प्रयोग करते हैं |

दिल्ली में भू-जल संकट


टाइम्स नाउ के अनुसार दिल्ली, जो पहले से ही एक गंभीर पेयजल संकट का सामना कर रही है, भूजल के स्तर के रूप में एक और गंभीर स्थिति की ओर बढ़ रही है, जो पिछले दो दशकों में निरंतर घट रही है, जिसके परिणामस्वरूप 90% शहर को अर्ध-संकटमय या संकटमय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

दिल्ली में भूजल के गिरते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालत यह है कि राष्ट्रपति भवन व उसके पास भी भूजल का स्तर काफी नीचे आ गया है।

राष्ट्रीय राजधानी के नवीनतम सर्वेक्षण, जो 1 9 मार्च, 2018 को जारी किया गया था, ने कहा कि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में कुछ स्थानों पर जल स्तर,जमीन स्तर से 20 से 30 मीटर नीचे चला गया है। सर्वेक्षण ने भूजल स्तर में बढ़ती नाइट्रेट सामग्री को भी रेखांकित किया, जिससे यह मानव उपभोग के लिए अयोग्य बना। शाहदरा और कांजावाला के कुछ इलाकों में, नाइट्रेट सामग्री को 1,000 मिलीग्राम / लीटर से अधिक पाया गया है, |

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पानी का स्तर 0.5 मीटर से 2 मीटर प्रति वर्ष से कम हो रहा है और अगर रोक नहीं है तो ये एक गंभीर संकट हो सकता है।

जल संकट के कारण

भूगर्भ जल को रीचार्ज करने के लिए वर्षा का पानी तालाबों, कुओं, नालों के जरिये धरती के भीतर इकट्ठा होता है, लेकिन अधिकांश तालाब अवैध कब्जों के कारण नष्ट हो गए हैं तो कुओं का भी अस्तित्व नष्ट हो चुका है। नालों में बारिश के पानी की बजाय शहरों और कारखानों का जहरीला पानी बह रहा है। नदियां बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी हैं। इस कारण वाटर रीचार्ज नहीं हो रहा। सरकारी स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्लांट लगाने की योजना है, लेकिन वो हक़ीकत से काफ़ी दूर है |

ढंचागत विकास में भू-जल का दोहन

दिल्ली में पिछले कुछ वर्षो में बड़े-बड़े भवन निर्माण बढ़े है | बड़ी–बड़ी निर्माण कंपनीयां दिल्ली में बड़े-बड़े माँल और काम्प्लेक्स सोसाइटी का निर्माण में अवैध तरीके से भू-जल का प्रयोग कर रहे है | इसके सस्थ ही इनमें बड़े –बड़े सुमिंग पूल का निर्माण करते है | इनमे भी भू-जल का भरी दोहन होता है |

सरकार की नाकामी  के करण

भू-जल के दोहन को रोकने की ज़िम्मेदारी सबसे अधिक सरकार की जिसमें वो पूरी तरह से नाकाम रही हैं | जैसे की उपर कहा गया है की किस तरह से निजी निर्माण कंपनी भू-जल का दोहन कर रही हैं सरकार का उनपर कोई अंकुश नही है |

सरकार की ही विफलता है की दिल्ली के एक बड़े हिस्से तक पानी की सप्लाई नही पहुँच पाई है | जिस करण वंहा के लोग बोरिंग या समर सिबल के जरिए जल निकलने को मज़बूर है | उनके पास इसके आंलावा कोई और चार नही है की भूगर्भ से जल का दोहन करे |

अब सरकार राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(NGT) के डंडे के बाद दिल्ली के कई इलाको में बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समरसिबल और बोरबेल को सील कर रही है जिस कारण वंहा के नागरिको के लिए भरी जल संकट पैदा हो गया है |

वही दूसरी तरफ ऐसी  कोई खबर नही आती की कभी किसी बड़े कंपनी पर भू-जल के दोहन के कारण कभी कोई करवाई हुई हो | जबकी एक कटु सत्य है की सबसे ज्यादा भू-जल का दोहन ये निजी कंपनीयां ही करती है |

सरकार के साथ आम लोगों की भी ज़िम्मेबारी है की जल के दोहन को रोक सके परन्तु अधिकतर देखा जाता है की लोगों में भी इसके प्रति जागरूकता का आभाव दिखता हैं |इस पर  भी सरकार को ध्यान देना पड़ेगा नही तो आने वाल समय और भी कठिन होगा |

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि वजीराबाद और नजफगढ़ झील के निकट क्षेत्र के बाढ़ के मैदानों को एक स्थायी आधार पर पानी निकालने के लिए खोजा जा रहा है। इसने कहा, दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भट्ठी खानों और नहर प्रणाली के माध्यम से, भूजल पुनर्भरण के लिए पूर्व व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया है।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है की “ये समस्या बहुत ही गंभीर है इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की और वास्तविक रूप से एक जल नीति को लागु करने की आवश्यकता है” |

गिरता भूजल
दिल्ली
दिल्ली नगर निगम
जल

Related Stories

दिल्ली: दिव्यंगो को मिलने वाले बूथों का गोरखधंधा काफी लंम्बे समय से जारी

जंतर मंतर - सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा धरना-प्रदर्शन पर लगी रोक हटाई

दिल्ली के मज़दूरों की एक दिवसीय हड़ताल

क्या भाजपा हेडक्वार्टर की वजह से जलमग्न हो रहा है मिंटो रोड?

दिल्ली का दमकल

दिल्ली: 20 जुलाई को 20 लाख मज़दूर हड़ताल पर जायेंगे

दिल्ली में पानी संकट चरम पर, सरकार को समय पर कदम उठाने चाहिए

दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की माँग पर जनता की राय

दिल्ली में कक्षा 12वीं तक ईडब्ल्यूएस छात्र शिक्षा ले सकतें है?

दिल्ली में एक और फैक्ट्री में लगी आग, 2 मज़दूरों की मौत


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License