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दक्षिणपंथी हत्यारों को अपना आदर्श बनाते हैं !
ब्राजील के उस्त्रा, पाकिस्तान के मुमताज़ क़ादरी और भारत में मालेगांव बम धमाकों से जुड़े लोगों की शान में लोगों का भीड़ में बदल जाना, इस ओर इशारा करता है कि दक्षिणपंथी विचारधारा हत्यारों को अपना आदर्श चुनना क्यों पसंद करती है।
सुभाष गाताडे
09 Oct 2019
ustra
जैसे जैसे ब्राज़ील में धुर दक्षिणपंथियों का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे सेना के अधिकारी उस्त्रा (म्रत्यु 2015 में हुई), जिसने अपने समय में सैकड़ों लोगों को यातनाएं दीं, एक प्रभावी व्यक्तित्व के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. छायाचित्र: विकिपीडिया

“विद्रोही लड़कियों के लिए शुभ रात्रि की कहानियाँ ( गुड नाइट्स स्टोरी ऑफ रेबेल गर्ल्स )” पुस्तक की प्रसिद्धि अपने आप में एक महत्वपूर्ण परिघटना है, जो अपने युवा पाठकों के समक्ष आदर्श महिला का रोल प्रस्तुत करता है। तीन वर्षों के भीतर पूरी दुनिया में यह पुस्तक 47 भाषाओँ में प्रकाशित हो चुकी है और इसकी दस लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं।  

लेकिन इसके तुर्की भाषा में प्रकाशन पर एक बड़ा गतिरोध खड़ा हो गया है। तुर्की सरकार द्वारा गठित एक संस्था जिसका काम अश्लील प्रकाशनों से युवाओं को बचाने का है, ने इस पुस्तक को आपत्तिजनक पाया है। अभी हाल ही में इसने फरमान सुनाया है कि इस तरह की किताबों को आंशिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए और अश्लील साहित्य की श्रेणी में रखा जाए। 

इसके कारण- युवा मष्तिष्क पर ऐसी पुस्तकों का ‘’हानिकारक प्रभाव’ पड़ सकता है। 

अब यह समझ से परे है कि एक ऐसी पुस्तक जो समानता के भाव को आगे बढ़ाने वाली हो, वह एक जागरूक मष्तिष्क पर कैसे “नकरात्मक प्रभाव” छोड़ सकती है, जबकि वास्तविकता में पुस्तक से प्राप्त विचार को गंभीरतापूर्वक आत्मसात कर जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी अपने हित में उपयोगी बना सकते हैं।   किसी अन्य दक्षिणपंथी शासन की ही तरह तुर्की की ऐर्दोगन सरकार में भी कोई फर्क नहीं है और वह इस बात को लेकर पूरी तरह चौकन्ना है कि बच्चे क्या पढ़ें और क्या नहीं। 

ब्राजील के विवादित धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो, जो “ट्रोपिकल क्षेत्र के ट्रम्प” के रूप में भी मशहूर हैं, हाल के दिनों में इन्हीं कारणों से सुर्ख़ियों में थे।  छात्रों और बोल्सोनारो के मध्य बातचीत का एक वीडियो काफी वायरल हुआ है। वीडियो में एक छात्र बोल्सोनारो से जब यह कहता पाया जाता है कि “आप मेरी अध्यापिका को गले लगाने का संदेश भेजो”. तो राष्ट्रपति जवाब में उल्टा सवाल सवाल दागते हैं “क्या तुम्हारी टीचर वामपंथी है?” और सभी लोग ठठा कर हँस पड़ते हैं। बोल्सोनारो कहते हैं “उससे कहना कि वह The Suffocated Truth पढ़े, तत्काल पढ़े। इसमें सिर्फ सच लिखा गया है, वामपंथियों की तरह बकवास नहीं लिखा है.” जिस किताब का जिक्र बोल्सोनारो कर रहे हैं, वह ब्राजील के मिलिटरी अफसर कार्लोस उस्ट्रा ने लिखी है, जिसे 80 के दशक के सैन्य तानाशाही शासन के दौरान सैकड़ों हजारों लोगों को यातनाएं देने का दोषी पाया गया। 

जैसे-जैसे ब्राजील में धुर दक्षिणपंथ अपने उठान पर जा रहा है, उस्ट्रा (जिसकी मृत्यु 2015 में हुई) एक महानायक के रूप में उभर रहा है। बोल्सोनारो उसके लम्बे समय से प्रशंसक रहे हैं और वह 1964 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद स्थापित मिलिटरी शासन के समर्थक हैं। इस शासन के दौरान ब्राजील में सैकड़ों विपक्षी राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतार दिया गया और हजारों लोगों को यातनाएं दी गई। 

पूर्व राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ के कार्यकाल के दौरान ब्राजील में सैन्य तख्तापलट की आधिकारिक स्मृतियों को मनाने की परम्परा पर रोक लगा दी गई।  इस तनाशाही के दौर में एक मार्क्सवादी छापामार के रूप में उन्हें जेल में यातनाएं झेलनी पड़ी थीं। अब देश फिर से में सैन्य शासन की वर्षगांठ मनाने की ओर लौट रहा है। 

बोल्सोनारो क्यों एक घृणा-योग्य इन्सान को आदर्श के रूप में पेश कर रहे हैं?

एक तो इसके जरिये 21 साल के ब्राजीली सैन्य शासन के उस काले इतिहास को धो पोंछ कर साफ़ करने की कवायद दिखती है जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति को बर्खास्त कर जनता के उपर अनेकों अत्याचार किये और कई लोगों को मार डाला। दूसरा, इसके जरिये इस दक्षिणपंथी तर्क को मजबूती दी जा रही है कि सैन्य तख्तापलट के जरिये ब्राजील को “कम्युनिस्टों के कब्जे” में जाने से बचा लिया गया था। तीसरा, इसे रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर अन्य लोगों को आगे भी इसी तरह के कुकर्म करने की “प्रेरणा” मिलेगी। 

लेकिन कैसे कोई जल्लाद और हत्यारा आदर्श बन सकता है? शायद यह उसी तरह काम करता है जैसे कोई आतंकवादी पूरी तरह से निर्दोष लोगों की हत्या करने के बावजूद कुछ लोगों के लिए उनके आदर्श के रूप में नजर आता है।  इसे आप न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में हुए आतंकी हमले में देख सकते हैं जिसमें 49 लोग मारे गए थे।  हमलावर ने दावा किया था कि उसे यह प्रेरणा नॉर्वे के सामूहिक हत्याकाण्ड के अपराधी एंडर्स बेहरिंग ब्रेइविक से प्राप्त हुई, जिसने 22 जुलाई 2011 को ओस्लो में बम फेंककर 77 बेगुनाह लोगों को मार डाला था। 

74 पेज के अपने ऑनलाइन जारी घोषणापत्र में क्राइस्ट चर्च के आतंकवादी ने ब्रेइविक से सम्बन्धित कई उद्धरण दिए हैं।  वह अमेरिकी डायलन रूफ के लेखों से भी प्रेरित हुआ, जिसने 2015 में चार्ल्सटन के ऐतिहासिक चर्च में 9 अश्वेत ग्रामीणों की हत्या की थी। क्राइस्ट चर्च हत्याकांड के 5 महीने बाद अमेरिका के टेक्सास में वाल्मार्ट स्टोर के भीतर एल पासो हत्याकाण्ड हुआ जिसमें 22 लोग मारे गए थे, जिससे तेजी से बढती श्वेत वर्चस्ववादी मानसिकता का पता चलता है. इस हमले के अपराधी, कथित तौर पर क्राइस्ट चर्च हमले से “प्रेरित” बताये जा रहे हैं। 

इसी तरह के तर्क अपने यहाँ दक्षिण एशिया में भी सामने आ रहे हैं। उदहारण के लिए, दंगों में शामिल हत्यारों, आतंकियों या मुख्य साजिशकर्ता के नाम को गौरवान्वित होते देखना अब कोई असामान्य बात नहीं रही।  इसका जीता-जागता उदाहरण पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर को निर्मम तरीके से गोलियों से भून देने वाले मुमताज़ क़ादरी की मजार को एक तीर्थ स्थल में बदलने के रूप में देख सकते हैं। 

क़ादरी की मानें तो, सलमान तासीर ने एक ईसाई महिला आशियाबी का समर्थन कर जिसे गाँव के कठमुल्लों ने ईशनिंदा के आरोप में फंसा दिया था, का समर्थन कर खुद ईशनिंदा का अपराध किया था. इसलिए, क़ादरी ने तर्क दिया कि वह ‘वाजिब उल क़त्ल” या मार दिए जाने लायक था। इस तथ्य के बावजूद कि इस्लामाबाद की आबादी लगभग 16 लाख है, और यहाँ 827 मस्जिदें हैं, जिनमें से कुछ तो धार्मिक और राजनैतिक रूप से काफी महत्व की हैं, लेकिन क़ादरी की कब्र से मज़ार के रूप में तब्दील हो चुके स्थल पर लोगों के आने का सिलसिला खत्म नहीं होता। 

“..क़ादरी जब पहली बार इस्लामाबाद की एक कोर्ट में पेश हुआ, जिसने उसे हिरासत में भेजा दिया तो उपद्रवी भीड़ ने उसकी पीठ पर शाबाशी के रूप में थपकी दी और उसके गालों को चूमा। उसका स्वागत वकीलों द्वारा फूलों की पंखुड़ियों को फेंककर किया गया, जबकि वे उस केस से नहीं जुड़े थे।  करीब 300 वकीलों ने उसका केस मुफ्त में लड़ने की पेशकश की थी। ”

क़ादरी की ही तर्ज पर स्वतंत्र भारत के इतिहास में भी उपेक्षित अध्याय के रूप में, मालेगांव बम धमाके के आरोपियों, जिसमें सेना से जुड़े लोग भी थे, का भी हिंदुत्ववादी संगठनों ने गुलाब की पंखुड़ियों से स्वागत किया जब उन्हें नाशिक और पुणे की अदालतों में पेश किया गया। यह अब सर्वविदित तथ्य है कि पिछले साल हिंदुत्व ब्रिगेड में शामिल सभी बड़े नाम, अपने ही बीच से निकले एक अपराधी के स्वागत समारोह में शामिल थे, जिसने 2002 गुजरात नरसंहार में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया था।  अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस की सशस्त्र शाखा विहिप (विश्व हिन्दू परिषद) से जुड़े नेता केका शास्त्री को सम्मानित किया गया. यह rediff.com को दिए गए उसके एक मीडिया साक्षात्कार के जरिये लोगों को मालूम चला कि गोधरा काण्ड के बाद किस तरह संगठित तौर पर चीजों को अंजाम दिया गया। 

आइये बोल्सोनारो पर लौटते हैं, जहाँ वे कुछ और नहीं बल्कि एक जल्लाद के लिखे को बच्चों को पढने के लिए प्रेरित करते हैं, जो साव पाउलो कांग्रेस से जुडी महिला सांसद सामिया बोम्फिम की प्रतिक्रिया की याद दिलाता है, जो वामपंथी लिबर्टी पार्टी से सम्बद्ध हैं।  वे कहती हैं: “जो लोग इस विद्रूपता को प्रोत्साहित कर रहे हैं, वे तानाशाही के उस दौर अनगिनत परिवारों को जिन कष्टों को भोगना पड़ा उन्हें उस अपराध के भागीदार के रूप में देखना चाहिए।  बोल्सोनारो हमारे कलंकित इतिहास के गटर का पानी पी रहा है.”

भारतीय राजनीति और समाज में दक्षिणपंथी हिंदुत्व के उभार ने “इतिहास की सड़ांध” के दरवाजे खोल दिए हैं। जिस तरह भारतीय सोशल मीडिया साईट ट्विटर पर 2 अक्टूबर को “गोडसे अमर रहे” ट्रेंड करता रहा, उसे देखते हुए लगता है कि भक्तों को जश्न मनाने की खुली छूट है।  यह इस बात का द्योतक है कि सड़ांध काफी गहरे तक समा चुकी है। 

सुभाष गाताडे एक कार्यकर्ता होने के साथ साथ सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और यह उनका व्यक्तिगत मत है। 

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