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ड्रग माफ़ियाओं की चपेट में मध्यप्रदेश
नशे के सौदागरों के बढ़ते नेटवर्क को तोड़ने के प्रयास में लगी मध्यप्रदेश पुलिस के अभियान से पता चलता है कि भोपाल में ड्रग माफ़ियाओं ने बड़ा नेटवर्क बना लिया है। प्रदेश में चलाए जा रहे ऑपरेशन प्रहार एवं राजधानी में मिशन ड्रग्स फ़्री भोपाल के तहत अंतर्राज्यीय गिरोह का भी पता चला है।
राजु कुमार
22 Aug 2019
drugs dealer
Image courtesy: VOX

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल ड्रग माफ़ियाओं के लिए मुफ़ीद जगह बनती जा रही है। राजधानी में ड्रग माफ़िया के फैले जाल को देखकर हर कोई इस बात से डर रहा है कि यदि इस पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया तो मध्यप्रदेश कहीं ‘‘उड़ता पंजाब’’ न बन जाए। यानी जिस तरह से पंजाब की युवा पीढ़ी ने नशे के चपेट में आकर अपना भविष्य बर्बाद कर लिया था, उसी तरह मध्यप्रदेश के युवा भी ड्रग माफ़िया के सॉफ़्ट टारगेट हैं। भोपाल पुलिस इनके नेटवर्क को तोड़ने के प्रयास में लगी है और इस दरम्यान वह न केवल ख़तरनाक ड्रग्स को ज़ब्त कर रही है, बल्कि अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफ़ाश करने में भी लगी है। स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने 20 अगस्त को भोपाल स्टेशन से तीन किलो अल्प्राज़ोलम पाउडर के साथ मां-बेटे को गिरफ़्तार किया। वे उसे बनारस ले जाने वाले थे। इस पाउडर की क़ीमत दो करोड़ रुपए आंकी गई है। 21 अगस्त को भी 375 किलो गांजे के साथ 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। इन्हें पकड़ने के साथ ही पुलिस का दावा है कि उसने अंतर्राज्यीय गिरोह का भांडाफोड़ कर दिया है।

2 अगस्त की सुबह भोपाल के लोग इस ख़बर को सुनकर दंग रह गए कि बीती रात राजधानी भोपाल में 21 किलो गांजा और 900 ग्राम चरस के साथ नशे का धंधा करने वाले महिला पुरुष सहित 31 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। 1 अगस्त को सुबह साढ़े तीन बजे 300 पुलिसकर्मियों ने भोपाल के इतवारा इलाक़े की कंजर बस्ती के दो डेरों पर छापेमार कार्रवाई की। इन डेरों के लगभग 40 घरों में 300 पुलिसवालों ने डेढ़ घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया। पुलिस के अनुसार इन घरों से कुल 21 किलो 50 ग्राम गांजा, 900 ग्राम चरस, 6 पेटी अवैध शराब और लगभग 12 लाख रुपए नक़दी बरामद हुए थे।

पुलिस ने इस मामले में 9 अलग-अलग एफ़आइआर भी दर्ज की। पकड़े गए 31 लोगों में 7 महिलाएं भी थीं। पुलिस ने जब छापा मारा, तो पूरी बस्ती नींद सो रही थी। 3 एसएसपी, 4 सीएसपी और 7 टीआई के साथ इस कार्रवाई के लिए 40 सदस्यीय टीम बनाई गई थी। इस ऑपरेशन में शामिल पुलिसवालों को अंत तक इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। यहां छापा मारने से पहले 15 दिनों से बस्ती की रेकी की गई थी। ऑपरेशन के दरम्यान पुलिस वालों के फ़ोन तक रखवा लिए गए थे। पुलिस ने जब सर्चिंग की तो पहले उसे कुछ भी हाथ नहीं लगा, लेकिन जब उसने ध्यान से देखा, तो कई घरों में पुराने कपड़ों के ढेर दिखे। उन्हें हटाने पर वहां गढ्ढे दिखे। उन गढ्ढों में ड्रग्स छिपाए गए थे।
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अनुमान लगाया जा रहा है कि शहर के एक दर्जन से ज़्यादा इलाक़ों में नशे के सौदागर गिरोह बनाकर सक्रिय हैं। शिकायतों के बावजूद इनके ख़िलाफ़ ठोस कार्रवाई नहीं हो रही थी। यही वजह है कि राजधानी में अंतर्राज्यीय नेटवर्क खड़ा हो गया। भोपाल संभाग के पुलिस महानिरीक्षक योगेश देशमुख ने भोपाल को ड्रग फ़्री करने की मुहिम शुरू की है। वे इस बात की आशंका जताते हैं कि बड़ी कार्रवाइयों के बाद नशा तस्कर अलर्ट हो गए होंगे, लेकिन इसके बावजूद पुलिस उनका नेटवर्क तोड़ देगी। दूसरी ओर भोपाल संभाग की आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव नवोत्थान अभियान चला रही हैं।

इस अभियान के तहत स्कूल एवं कॉलेज के युवाओं को ड्रग्स की चपेट में आने से बचाना है। उन्होंने स्कूल एवं कॉलेज के बाहर एक शिकायत पेटी लगाने के निर्देश दिए हैं, जिसमें नशा एवं नशे के सौदागरों से संबंधी कोई भी जानकारी गोपनीय रूप से छात्र या अन्य लोग डाल सकते हैं। पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर ड्रग्स के तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और नशामुक्ति के प्रति जन जागृति के लिए ‘‘प्रहार एवं प्रतिकार’’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में तस्करी से जुड़े 200 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। 2019 के पहले सात महीने में पूरे प्रदेश में 9.20 किलो स्मैक, 131.6 किलो अफ़ीम एवं उसके 53018 पौधे, 6776 किलो गांजा एवं उसके 44289 पौधे, 3.86 किलो चरस, 26319 किलो डोडा चूरा और नशीली दवाइयों की 47897 शीशी व टेबलेट ज़ब्त किए गए। पिछले 3-4 सालों की तुलना में यह आंकड़ा बहुत ज़्यादा है।

पुलिस के अनुसार, 20 अगस्त को एसटीएफ़ ने यास्मिन पति नूर मोहम्मद उर्फ़ शकुंतला और उसके बेटे शाबिर हुसैन को अल्प्राज़ोलम पाउडर के साथ गिरफ़्तार किया। वे मंदसौर के रहने वाले हैं। वे तस्करी के दरम्यान ट्रेन के एसी कोच से हाई प्रोफ़ाइल तरीक़े से यात्रा करते हैं, जिससे कि पकड़े नहीं जा सकें। दोनों के तार अन्य राज्यों के ड्रग्स तस्करों से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। इस ड्रग्स की सप्लाई होटलों, रेव पार्टियों एवं पर्यटक स्थलों पर किए जाने की बात सामने आई है। यास्मिन इसके पहले बिहार के सासाराम में गिरफ़्तार हो चुकी थी और 8 महीने जेल में रहने के बाद उसने फिर से यह काम शुरू कर दिया। आल्प्राज़ोलम बेहद नशीला एवं सनक बढ़ाने वाला रसायनिक पदार्थ है। अधिकांशतः ख़तरनाक प्रवृत्ति के अपराधी इसका सेवन करते हैं। इसके इस्तेमाल से सीरियल अपराध करने की सनक चढ़ती है। इसका असर भी लंबी अवधि तक रहता है।

भोपाल पुलिस ने 21 अगस्त को भी ड्रग्स माफ़िया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए अंतर्राज्यीय तस्कर गिरोह को गिरफ़्तार किया। 375 किलो गांजा के साथ 5 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। पुलिस का दावा है कि इनके माध्यम से गिरोह से जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने में मदद मिलेगी और एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफ़ाश होगा।

भोपाल ही नहीं, पूरे प्रदेश में नशे के कारोबारियों का जाल फैला हुआ है। कई गंभीर अपराधों की वजह नशाखोरी ही है। महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे अपराधों में भी नशा एक बड़ा कारण है। ड्रग्स माफ़िया के लिए भोपाल इसलिए मुफ़ीद लगता है कि यहां पहले इतनी सघनता से कोई अभियान नहीं चलाया गया और यहां से अन्य राज्यों में मादक पदार्थों को पहुंचाना आसान रहा है। इस अभियान को लगातार चलाने की ज़रूरत है ताकि प्रदेश के युवा नशे के चुंगल न फंस सकें और भोपाल नशे के कारोबारियों का अड्डा ना बन सके।

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