NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
एनआरसी पर पश्चिम बंगाल में बढ़ती बेचैनी
असम के गोवालपाड़ा में बनाया जा रहा विशाल डिटेंशन सेंटर पश्चिम बंगाल में भी बेचैनी पैदा कर रहा है। इस बेचैनी के दो पहलू हैं। एक तो अ-नागरिक करार दिये गये 19 लाख लोगों में से बहुसंख्य बंगाली हैं। दूसरा यह कि पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी लागू करने के लिए भाजपा लगातार अभियान छेड़े हुए है।
सरोजिनी बिष्ट
16 Sep 2019
Protest against NRC
फोटो साभार :  Hindustan Times

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की सूची अब अपने अंतिम रूप में प्रकाशित हो चुकी है। राज्य के 3.30 करोड़ लोगों ने इसमें अपना नाम शामिल करने के लिए आवेदन किया था। 3.11 करोड़ लोगों को तो एनआरसी में जगह मिल गयी है, लेकिन 19 लाख लोगों के आवेदन अस्वीकार कर दिये गये हैं। अब इस 19 लाख की आबादी के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एनआरसी में नाम नहीं होने का मतलब विदेशी करार दिया जाना नहीं है।

सभी के पास फॉरेन ट्रिब्युनल जाने का मौका होगा। ट्रिब्युनल से विदेशी करार दिये जाने के बाद ही किसी को विदेशी नागरिक माना जायेगा। लेकिन अब भी बहुत से सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। मसलन, अगर कोई विदेशी करार दिया गया तो क्या उसे पूरा जीवन जेलखानों या डिटेंशन सेंटरों में बिताना होगा? क्या उसे बांग्लादेश या नेपाल भेजा जायेगा?

असम के गोवालपाड़ा में बनाया जा रहा विशाल डिटेंशन सेंटर पश्चिम बंगाल में भी बेचैनी पैदा कर रहा है।

इस बेचैनी के दो पहलू हैं। एक तो अ-नागरिक करार दिये गये 19 लाख लोगों में से बहुसंख्य बंगाली हैं। दूसरा यह कि पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी लागू करने के लिए भाजपा लगातार अभियान छेड़े हुए है। बंगाल की अपनी सभा में उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह साफ ऐलान कर चुके हैं कि राज्य में उनकी सरकार आने पर एनआरसी लागू की जायेगी और एक-एक घुसपैठिये को चुन-चुनकर बाहर किया जायेगा।

भाजपा के राज्य स्तरीय नेता भी किसी कार्यक्रम में एनआरसी का जिक्र करना नहीं भूलते।

2021 में बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा का पूरा

प्रचार अभियान लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही ध्रुवीकरण पर आधारित है। और इस ध्रुवीकरण में एनआरसी का भी जमकर इस्तेमाल होगा।
पश्चिम बंगाल में एनआरसी पर कांग्रेस दुविधा में फंसी है, जबकि तृणमूल कांग्रेस और माकपा यह कहते हुए एनआरसी का तीखा विरोध कर रहे हैं कि इससे राज्य का आपसी भाईचारा और सौहार्द नष्ट होगा।

एनआरसी के कारण मुसीबत में फंसे लोगों में से बहुसंख्य बंगाली हैं, इसलिए पश्चिम बंगाल में उनके प्रति हमदर्दी होना स्वाभाविक है। लेकिन भाजपा बंगाली पहचान पर धार्मिक पहचान का रंग चढ़ाने में जुटी हुई है। उसका संदेश साफ है कि बांग्लादेश से आये हिंदुओं को शरणार्थी मानकर शरण दी जायेगी, जबकि मुसलमानों को घुसपैठिये के रूप में चिह्नित कर देश से बाहर किया जायेगा। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए पिछले दिनों संसद से सांप्रदायिक रंग में रंगा नागरिकता संशोधन विधेयक भी पारित कर लिया गया है। नया कानून बांग्लादेश और पाकिस्तान से आनेवाले लोगों को शरण देते समय उनका धर्म देखेगा, यानी हिंदुओं को नागरिकता दी जा सकेगी, पर मुसलमानों को नहीं।

असम की आबादी से लगभग तीन गुना ज्यादा आबादी पश्चिम बंगाल की है। अगर बंगाल में एनआरसी लागू हो और यहां भी उसी अनुपात में आवेदन निरस्त हों तो 50 लाख से ऊपर लोग अ-नागरिक या विदेशी करार दिये जा सकते हैं। इससे राज्य में व्यापक उथल-पुथल पैदा हो सकती है। इस उथल-पुथल की एक झलक उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में दिखना शुरू हो गयी है।

दार्जिलिंग के विभिन्न गोरखा संगठनों का दावा है कि डेढ़ से पौन दो लाख के बीच गोरखाओं को असम में एनआरसी से बाहर रखा गया है। उनका कहना है कि एक तो उन्हें देश में अपने लिए अलग राज्य नहीं दिया जा रहा, ऊपर से अब 'विदेशी' बताया जा रहा है। गोरखाओं का कहना है भारत की रक्षा में अपनी कुर्बानी देने का उन्हें जो सिला मिल रहा है वह स्वीकार्य नहीं है।

गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) में सत्तारूढ़ गोरखा जनमुक्ति मोरचा (विनय तामांग गुट) का एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल एनआरसी में अ-नागरिक करार दिये गये गोरखाओं से मिलने और उनके प्रति अपना समर्थन दिखाने असम पहुंच गया है। इसके अलावा गोजमुमो (विनय गुट) इस मुद्दे पर पहाड़ में आंदोलन की तैयारी में जुट गया है। साथ ही उसने चेतावनी दी है कि बंगाल में एनआरसी लागू करने की कोशिश की गयी तो उसका जोरदार विरोध किया जायेगा।

बांग्ला भाषा को अनिवार्य किये जाने के ममता बनर्जी के एक बयान से 2017 में दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में चिंगारी फूट पड़ी थी। इसके बाद तीन महीने से ज्यादा समय तक पहाड़ अशांत रहा था। एक बार फिर डर सता रहा है कि कहीं इस बार एनआरसी को लेकर दार्जिलिंग पहाड़ सुलग न उठे।

फिलहाल, पूरे बंगाल की नजर इस पर लगी है कि असम में एनआरसी के नाम पर जो जिन्न बोतल से बाहर निकला है उसे कैसे काबू किया जाता है। असम के बंगाली हिंदू संगठनों का दावा है कि एनआरसी में अ-नागरिक करार दिये गये 19 लाख लोगों में से 12 लाख हिंदू बंगाली हैं। अगर भाजपा की मानें तो इन सबको शरणार्थी मानते हुए भारतीय नागरिकता दी जायेगी। लेकिन अपने ही देश के जो बिहारी, झारखंडी, गोरखा कागजात के अभाव में नागरिकता विहीन हो रहे हैं, उनका क्या होगा? इसके अलावा लगभग पांच-छह लाख बंगाली मुसलमानों का भविष्य क्या होगा? इन सवालों का जवाब मिले बिना एनआरसी सिर्फ भय और भ्रम फैलाने की कवायद भर बनकर रह जायेगी।

NRC
NRC Process
Assam NRC
Protest against NRC
Bengali Hindu organizations
Congress
CPM
BJP

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License