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अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
एयरलाइन आतंक में एक और जल्दी से भरा जजमेंट
रोबर्ट पैरी
02 Aug 2014

राष्ट्रपति बराक ओबामा व्हाइट हाउस में मंत्रिमंडल कक्ष, सितम्बर 12 को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद, राजदूत सामन्था पावर, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि के साथ बात करते हुए, 2013 (पीट सूजा द्वारा सरकारी व्हाइट हाउस फोटो)

 

बावजूद अमरीकी खुफिया समुदाय में शक के, ओबामा प्रशासन और मुख्य समाचार मीडिया बिना किसी ठोस सबूत के एक और नए फैसले पर पहुँच गए हैं जिसमें वे मलेशियन हवाई जहाज को मार गिराने लिए उक्रेनियन विद्रोही और रूस की सरकार को सीधे तौर पर दोषी ठहरा रहे हैं वैसे ही जैसे उन्होंने पिछली गर्मी  में सीरिया में हुए गैस हमले के लिए दोषी ठहराया था और जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है।

 

दोनों ही मामलों में, तथ्यों की स्वतंत्र जांच के बजाय, राष्ट्रपति बारैक ओबामा का गृह विभाग और मीडिया जो हमेशा से ही इस तरह के मामलों में आक्रामक रहा है, ने बड़ी ही आसानी से मान लिया कि इन दोनों ही हमलों के पदासीन विलेन – सीरिया में बशर-अल-अस्साद और उक्रेन के मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है – जो उपरोक्त मामलों में दोषी हैं। हालांकि अमरीका खुफिया के कुछ विश्लेषक इन दोनों ही लगाए गए आरोपों से सहमत नहीं हैं।

 

ब्रहस्पतिवार को मलेशियन जेटलाइनर को मार गिराए जाने का जहाँ तक सम्बन्ध है, मुझे बताया गया कि सी.आई.ए. के विश्लेषकों ने अमरीकी सेटेलाइट से खोजी गयी फोटो के आधार पर यह बताया है कि जिस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल ने फ्लाइट 17 को मार गिराया वह मिसाइल उक्रेनियन सैनिकों ने सरकारी बेटरी से दागी थी न कि रूस जातीय के विद्रोहियों ने जो की कीव के निजाम के विरुद्ध तभी से संघर्षरत हैं जब 22 फरवरी से उनके निर्वाचित राष्ट्रपति विक्टर यानुकोव्यीच को सत्ता से हटाया गया है।

 

स्रोतों द्वारा शुरुवाती खोज से जो पता चला है उसके मुताबिक़ जो सैनिक सरकारी बेटरी कि देखरेख कर रहे थे उन्होंने उक्रेनियन वर्दी पहनी हुई थी और शायद पी भी रहे थे, लग रहा था जैसे वहां चारो तरफ बीयर के बोतलें फैली पड़ी है। लेकिन स्रोत बताते हैं कि सुचना अभी भी पूरी नहीं है और विश्लेषकों ने इसमें विद्रोहियों का भी हाथ होने कि संभावना से पूरी तरह इनकार नहीं किया है।

 

वाशिंगटन पोस्ट और अमरीका के अन्य मुख्यधारा के मीडिया में एक अलग ही बात पर दबाव दिया गया। रविवार को पोस्ट ने बताया कि “ शुक्रवार को अमरीकी अफसरों ने बताया कि शुरुवाती जांच इस ओर इशारा करती है कि हवाई जहाज को अलगाववादियों ने एस.ए-11, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से उड़ाया।” ओबामा प्रशासन का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है क्योंकि उसने तख्ता पलट का समर्थन किया था तो इसलिए वह इसी फैसले पर पहुँचाना चाहता है और उसका यह फैसला सवालों के घेरे में है।

 

यहाँ तक की 22 फरवरी के तख्ता पलट से पहले, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, अतिरिक्त गृह सचिव, नुलंड और उक्रेन में अमरीकी दूत जेओफ्फेरी प्यात्त खुले तौर पर प्रदर्शनकारियों को यानुकोविच के विरुद्ध प्रोत्साहित कर रहे थे। नुलंड प्रदर्शनकारियों को कुकीज बाँटें गए थे और पप्यात्त से इस बात पर चर्चा करने गए थे कि यानोकोविच को हटाने के बाद किसे नियुक्त करें।

 

जन विद्रोह और नव-नाज़ी सिपाहियों के हिंसक हमले के बाद जब यानुकोविच और उसके अफसरान को वहां से भागने के लिए मजबूर कर दिया गया, गृह विभाग ने तुरंत ही “जायज” नयी सरकार की घोषणा कर दी और उसने नुलंड के चहेते अरेसिंये यात्सेंयुक को नया प्रधानमंत्री बना दिया।

 

तभी से नयी-नयी घटनाएं घट रही है जिसमे क्रिमीआ का रूस में शामिल होना और रुसी नस्ल के लोगों पर ओडेसा और अन्य जगहों पर हमले होना, ओबामा प्रशासन ने हमेशा से ही कीव प्रशासन की सराहना की और मास्को को बदनाम किया। और ब्रह्पतिवार से ही जब मलेशियन जहाज को मार गिराया गया जिसमे 298 लोग मारे गए, इसके लिए उक्रेनियन सरकार और ओबामा प्रशासन ने तुरंत ही विद्रोहियों और रुसी सरकार को दोषी ठहराया, वह भी बिना किसी गंभीर जांच के जिसकी शुरुवात अभी हो रही है।

 

प्रशासन का एक सबसे बड़ा बिंदु बुक एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाईल सिस्टम है, जिसे जाहिर तौर पर जहाज को मार गिराने के लिए इस्तेमाल किया गया, और जोकि “रूस निर्मित” है। लेकिन यह बिंदु भी मज़ाक का पात्र लगता है क्योंकि पूरी उक्रेनियन सेना का पास जो हथियार हैं वे सब “रूस निर्मित” है। उक्रेन 1991 तक सोवियत संघ का हिस्सा रहा है और वह रुसी सेना के हथियारों का लगातार इस्तेमाल करता रहा है।

 

यह भी स्पष्ट नहीं है कि कैसे अमरीकी सरकार इस नतीजे पर पहुंची कि यह बुक मिसाईल सिस्टम के विरुद्ध एस.ए.-11 मिसाईल थी।

 

केस को तोड़ना मरोड़ना

 

अमरीकी अफसरान ने अभी तक जो भी कहा है वह रूस और विद्रोहियों इस हमले में संदिघ्ता को ध्यान में रखने के उद्देश्य से कहा गया – इसे सरकारी ताकतों से दूर रख गया। एस-ए-11 की उच्च तकनीक को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत सामंथा पॉवर ने घोषणा की, “ हम रूस द्वारा तकनिकी सहायता” से इनकार नहीं कर सकते। लेकिन इस वाक्य का मतलब है कि वे किसी दूसरी संभावना से भी इंकार नहीं कर रहे हैं।

 

फिर भी, अमरीका की प्रेस के लेखे जोखे को ध्यान से पढ़ते हुए इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि इस घटना में रूस का हाथ होने कि बयानबाज़ी में कितना गैप है। उदहारण के लिए, द पोस्ट के क्रैग व्हिटलॉक कि रिपोर्ट के मुताबिक़ एयर फ़ोर्स जनरल फिलिप एम्. ब्रीद्लोवे, युरोपे में नाटो के अमरीकी कमांडर, ने पिछले महीने कहा कि “ हमने अभी तक सीमा के आर-पार किसी भी (रुसी) एयर-डिफेन्स वाहन को नहीं देखा है।:    

 

चूँकि बुक मिसाईल सिस्टम काफी बड़ा है और उसे ट्रक पर ही स्थानांतरित किया जा सकता है, यह मुशिकल होगा कि ऐसी किसी भी चीज़ को अमरीकी हवाई निगरानी से छिपाया जा सके जोकि काफी सघन तरीके से उक्रेन-रूस सीमा का पिछले कई महीनों से निगरानी पर रखे हुए है।

 

द पोस्ट ने यह भी रिपोर्ट किया कि “ रियर एडम जॉन किर्बी जोकि पेंटागन का प्रेस सचिव है ने कहा रक्षा अधिकारी ऐसा कोई सबूत नहीं दे पाए जिसमे यह साबित हो कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाईल को रूस से पूर्वी उक्रेन में ट्रांसपोर्ट किया गया हो।

 

अन्य शब्दों में, इस राज का कोई समाधान नहीं निकला। यह हो सकता है कि रुसी विद्रोही – जिन्हें कि उक्रेन वायु सेना से बड़ी बमबारी का सामना करना पड रहा है –वह रूस को इस बात के लिए राज़ी कर ले कि वह उन्हें काँधे से मार करने वाली मिसाईल जिसके जरिए उन्होंने कुछ उक्रेनियन सैनिक विमान गिराए हैं के मुकाबले उन्हें उच्च तकनीक वाले एंटी-एयरक्राफ्ट हथियार उपलब्ध करा दे।

 

यह भी संभव है कि किसी विद्रोही खेमे ने नागरिक विमान को सैनिक विमान समझ लिया हो या रुसी सेना में किसी ने यह समझ कर रोकेट छोड़ दिया हो कि विमान रूस के हवाक्षेत्र में आ रहा है।

 

लेकिन रूस की सरकार और विद्रोही इन सभी संभावनाओं से इनकार करते हैं। विद्रोही कहते हैं उनके पास ऐसी कोई मिसाईल नहीं है जो 33,000 फुट जाकर मलेशियन विमान को मार गिराए। इस घटना में अपना हाथ होने से साफ़ इनकार करने के बाद रूस की सरकार दावा करती है कि उक्रेनियन सेना के पास पूर्वी उक्रेन में बुक-एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम है और उसमे से एक बेट्री का रडार उस दिन सक्रिय भी था जिस दिन विमान को गिराया गया।

 

रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि “ रूस के उपकरणों ने पूरे दिन 17 जुलाई को कुपोल राडार की सक्रियता को पकड़ा, जिसे कि बुक-एम. बेट्री के लिए विकसित किया गया था जोकि स्टैला(एक गाँव जोकि दोनेस्तेक दक्षिण में 30 किलोमीटर दुरी पर है) के नज़दीक है।” आर.टी.रिपोर्ट के मुताबिक़।  

 

दूसरा विकल्प ही बाकी है जिस पर अभी खेल जारी है, उक्रेन की सैनिक इकाई – संभवता बहुत ही खराब ढंग से संचालित है – ने मिसाईल दाग दी या तो जान बूझकर या कहिये दुर्घटनावश। लेकिन इसका विश्वास करना मुश्किल है कि उक्रेनियन सेना क्यों उस विमान पर मिसाईल दागेगी जो रूस की तरफ पुर्वोतार दिशा में जा रहा है।

 

दुबारा से वही प्रचार

 

शायद सबसे बड़ा सवाल यह है कि ओबामा प्रशासन और अमरीकी प्रेस को जल्दी से नतीजे पर पहुँचाने की इस परिपाटी को बंद कर देना चाहिए। यह तो ऐसा है जैसे कि ये लोग “सूचना के लिए युद्ध” छेड़ा हुआ है – जैसे नापसंद राष्ट्रों के विरुद्ध कार्यवाही करने के – बजाय अमरीकी लोगो को सही सूचना जिम्मेदारी के साथ देना।

 

हमने इसी तरह कि कवायद 2002-2003 में भी देखी जब समूचा वाशिंगटन प्रेस इराक के विरुद्ध युद्ध में राष्ट्र्पती डब्लू. जॉर्ज बुश के प्रचार वाहन पर सवार हो गया। झूठ के प्रचारतंत्र की इसी परिपाटी को पिछली गर्मी तक भी जारी रखा गया जब 21 अगस्त को सीरिया में डमासकस के बाहर सरीन गैस का हमला किया गया।

 

जबकि सबूत काफी धुंधले थे, पर जैसे यह विश्वास दिलाने की बाढ़ सी आ गयी थी कि यह सब अस्साद सरकार ने करवाया है। सीरियन सेना को दोषी करार देते हुए, अमरीकी प्रेस ने इस संभावना को पूरी तरह नज़रंदाज़ कर दिया कि यह कृत्य रेडिकल जिहादी विद्रोहियों का है जो अमरीका को हवाई हमले के लिए उत्तेजित करना चाहते थे ताकि वह उनके पक्ष में काम करे, कठीन सबूतों का ध्यान से विश्लेषण या जांच करने के बजाय अमरीका के गृह विभाग और गृह सचिव जॉन केरी ने ये कोशिश की वे ओबामा को सीरिया पर तुरंत बमबारी के लिए राजी करे। 30 अगस्त को केरी ने युद्धरत भाषण दिया और अपने केस साबित करने के लिए सरकार ने उसे एक “सरकारी अस्सेस्मेंट” का दर्ज़ा दिया

 

लेकिन चार पेज का यह दस्तावेज खुद के द्वारा किये गए दोषारोपण के सम्बन्ध में कोई  जांचपरख सबूत पेश नहीं करता है और जल्दी ही यह साफ़ हो गया रिपोर्ट में से उस विरोध को निकाल दिया गया था जिसे अमरीकी खुफिया विश्लेषकों ने शायद उस ओपचारिक रिपोर्ट के साथ संलगन किया था जिसे ख़ुफ़िया समुदाय ने तैयार किया था।

 

बावजूद इसके की उस वक्त मरिकी प्रशासन को युद्ध का तांडव घेरे हुए था, ओबामा ने आखरी वक्त पर युद्ध के लिए मनाही कर दी – और रूस के राष्ट्रपति की मदद से – वे इस संकट के लिए एक प्रस्ताव पर वार्ता कर पाए और उस प्रस्ताव के तहत अस्साद ने सिरिया के केमिकल हथियारों का समर्पण कर दिया, लेकिन सरीन गैस हमले कि उन्होंने अभी भी जिम्मेदारी नहीं ली।

 

अमरीका की मुख्य प्रेस, खासतौर पर न्यू यॉर्क टाइम्स और कुछ गैर सरकारी संगठन जैसे कि ह्यूमन राइट्स वाच सिरियन सरकार कि गलतियों की थीम के बारे में लगातार लिखना जारी रखा। एच.आर.डब्लू. और टाइम्स ने संयुक्त रूप से बड़ी स्टोरी के लिए साझा समूह बनाया और उस स्टोरी में इन्होने दिखाया कि सरीन गैस से भरी दो मिसाईल सीरिया के सैनिक बेस से 9.5 किलोमीटर दूर से वापस आ रही हैं

 

कुछ वक्त तक इस रिपोर्ट को अस्साद के खिलाफ एक केस साबित करने के लिए एक स्लैम-डंक सबूत के तौर पर तब इस्तेमाल किया, जब तक यह स्पष्ट नहीं हो गया की एक रोकेट में सरीन गैस थी और सरीन कि मारक क्षमता कुल दो किलोमीटर दायरे की थी।

 

इस मामले में इन कमजोरियों को जानते हुए भी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने गृह विभाग साथ उस वक्त खड़े दिखाई दिए जब 24 सितम्बर को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की असेम्बली में अपने भाषण में कहा “ यह मानव के चिंतन और इस संस्था की जायज सोच की तौहीन होगी कि हम यह माने कि निजाम के अलावा किसी और ने यह हमला किया।”

 

ओबामा के भाषण को सुनते हुए, मुझे काफी धक्का लगा कि यह कैसे झूठ बोल गया। वह किसी भी बेहतर ढंग से से जानता था कि उसके कुछ वरिष्ठ खुफिया विश्लेषक उन लोगो में से थे जिन्हें सिरियन सरकार के दोषी होने पर शक था। फिर भी उसने कहा कि जो भी हमारे साथ इस प्रचार में शामिल नहीं है वह पागल है।

 

तभी से जांचों से सम्बंधित पत्रकार सेय्मोरे हेर्ष ने अन्य सबूत का खुलासा किया जो यह रेखांकित करता था कि सरीन गैस हमला विद्रोहियों ने इसलिए किया था ताकि ओबामा प्रशासन को हमले के लिए उत्तेजित किया जा सके क्योंकि उसने केमिकल हमला न करने के लिए “रेड लाइन“ अबन दी थी जिसे कतई बर्दास्त नहीं किया जाना था।अब हम वैसा ही कुछ देख रहे हैं जिसमे ओबामा को मिसाईल दागने वालों की पहचान के बारे शक भी है पर बावजूद इस शक के वह इसकी पूरी तोहमत अपनी सहूलियत के हिसाब से रूस और व्लादिमीर पुतिन पर डालना चाहता है।

 

ओबामा ऐसा सोच सकते हैं कि यह एक अच्छा खेल है जहाँ वह अपने आपको एक मज़बूत राष्ट्रपति के रूप में पेश करने कि कोशिश करता है जबकि उसके राजनितिक प्रतिद्विन्दी उसे एक कमज़ोर राष्ट्रपति मानते हैं। वह अपने लिए पी.आर. सुरक्षा पर भी खर्च करते हैं क्योंकि  कहीं ऐसा न हो कि एथनिक रुसी विद्रोही और / या रुसी सैनिक कही दोनों मिलकर घटना की जिम्मेदारी अपने सर पर न ले ले। फिर वह यह कह सकता है कि उसने यह पहले ही कहा था। लेकिन परमाणु लेश रूस के साथ इस तरह का सार्वजनिक दुषप्रचार खतरे से खाली नहीं है। और जैसा कि हम उक्रेन में देख चुके हैं चीज़ें बिना किसी अनुमान के हाथों से बहार जा सकती हैं।

 

गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव नुलंड और अन्य गृह विभाग ने शायद सोचा होगा कि 22 फरवरी के तख्ता पलट को उजागर कर वे अपना करियर बना रहे हैं – और वे शायद सही भी होंगें कि वाशिंगटन अफसरों की नज़रों में उन्होंने अपना स्टेटस बाधा लिया है। लेकिन उन्होंने पश्चिम उक्रेन में “एथ्निकाल्ली प्योर” और पूर्व में रुसी एथनिक के बीच दबी हुयी बहुत पुरानी दुश्मनी को बढ़ा दिया।

 

वे टकराव – जो विश्व युद्ध दुवित्य पहले और बाद में थे – अब वे बड़ी नफरतों में बदल चुके हैं और दोनों और सेंकडों लाशें बिछी हुयी है। नालायक, उक्रेन के छोटे से ग्रह युद्ध ने ही बृहस्पतिवार के आतंक को सम्भव बनाया है।

 

 

आगे शायद ज्यादा नुकसान की संभावना है अगर गृह विभाग का “ राजनयिक-विरोध” शीत युद्ध को वापस जीवित कर देता है। मलेसिया के विमान 17 का गिराया जाना अन्तरराष्ट्रीय भाईचारे को खतरे को एक चेतावनी है। 

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

व्लादमीर पुतिन
विक्टर येनुकोविच
युक्रेन
सीरिया
समैन्था पॉवर
रूस
MH 17
मलेशियन एयरलाइन्स
बशर अल असद
बराक ओबामा

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