कृषि बिलों को लेकर पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, पंजाब में किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में धरने बैठ गए हैं। इसी बीच संसद से पास हुए तीन कृषि बिलों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कृषि बिल कानून बन गए हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी थी।
पंजाब के मुख्यमंत्री धरने पर
पंजाब कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है। राज्य की राजनीति में सक्रिय तीनों ही पार्टियां, सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष में बैठी अकाली दल और आम आदमी पार्टी, नए कानूनों के खिलाफ हैं और तीनों के बीच विरोध के प्रदर्शन को लेकर होड़ लगी हुई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कृषि कानून के विरोध में आज धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यह धरना प्रदर्शन शहीद भगत सिंह नगर में खटकर कलां में किया जा रहा है।
सोमवार को शहीद भगत सिंह की 113वीं जयंती पर अमरिंदर सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद धरना शुरू किया।
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, "मैंने @INCPunjab के अपने सहयोगियों के साथ एसबीएस नगर में खट्टर कलां में किसान विरोधी क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। हमारे अधिकांश किसान छोटे और सीमांत हैं और इस नए किसान बिल से वो बहुत अधिक प्रभावित होंगे। हम पंजाब के किसानों के लिए खड़े हैं और इसका विरोध करने के लिए सबकुछ करेंगे।"
दूसरी ओर किसान क़ानून के विरोध में शिरोमणि अकाली दल एक अक्तूबर को पंजाब में बड़ा किसान मार्च करेगी और राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौपेंगी।
वहीं, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने ग्राम पंचायतों से ग्राम सभा का आयोजन कर कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है। ताकि वह इन्हें सरकार को बढ़ा सकें। साथ ही पंजाब में नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने बताया कि वे बीजेपी नेताओं, सांसदों और मंत्रियों के आवास का घेराव करेंगे।
नेताओं के अलावा पंजाबी सिंगर और ऐक्टर भी किसानों के समर्थन में आए हैं। किसानों के हक की आवाज उठाने के लिए कुछ जाने-माने चेहरे हरभजन मान, रंजीत बावा, हरजीत हरमन, संदीप ब्रार, कंवर ग्रेवाल, लाखा सिधाना बटाला में आज प्रदर्शन करने जा रहे हैं। साथ ही किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वे प्रदर्शन को फीका नहीं पड़ने देंगे।
किसानों की आवाज़ संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कृषि संबंधी कानूनों को लेकर सोमवार को सरकार पर फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि किसानों की आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई।
उन्होंने राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान हुए हंगामे से जुड़ी एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘कृषि संबंधी कानून हमारे किसानों के लिए मौत का फरमान हैं। उनकी आवाज संसद और बाहर दोनों जगह दबाई गई। यहां इस बात का सबूत है कि भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया है।’
कांग्रेस नेता ने जिस खबर का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा था कि सदन में कृषि संबंधी विधेयकों पर मतदान की मांग करते समय विपक्षी सदस्य अपनी सीट पर नहीं थे, लेकिन राज्यसभा टीवी की फुटेज से इसकी उलट बात साबित होती है।
वहीं, एनडीए से अलग हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा तीन कृषि विधेयकों की मंजूरी को ‘दुखद, निराशाजनक और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। एक बयान जारी कर बादल ने कहा कि देश के लिए आज ‘काला दिन’ है क्योंकि राष्ट्रपति ने राष्ट्र के अंत:करण के अनुरूप काम करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें बहुत उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इन तीनों विधेयकों को अकाली दल और कुछ अन्य दलों की मांग के अनुरूप संसद को पुनर्विचार के लिए वापस देंगे।’
देश भर में चल रहे हैं प्रदर्शन
इसी बीच देश के अलग अलग कोनों में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन अभी भी चल रहे हैं। दिल्ली में कुछ किसानों ने सोमवार सुबह विरोध में एक ट्रैक्ट्रर को आग लगा दी। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी किया। प्रदर्शन और ट्रैक्टर जलाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी पंजाब के रहने वाले हैं।
रविवार 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" में तीनों कानूनों का समर्थन किया और कहा कि अब किसानों के पास अपना उत्पाद देश में कहीं भी और किसी को भी बेचने की शक्ति है।
उन्होंने कहा कि 2014 में जब फलों और सब्जियों को एपीएमसी कानून की परिधि से बाहर निकाला था उसके बाद किसानों को अपने फलों और सब्जियों को मंडियों के बाहर भी जहां चाहें वहां बेचने की सुविधा मिली थी।
हालांकि खुद किसान उनकी बातों और दावों को पसंद नहीं कर रहे हैं। कर्नाटक में आज किसान संगठनों का राज्यव्यापी बंद है। कर्नाटक में कई किसान, दलित और कन्नड़ संगठन इस एक दिवसीय बंद को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका असर कर्नाटक के बड़े हिस्से में प्रभावी तौर पर देखा गया, हालांकि मंगलुरु और उडुपी जैसे जिलों में इसका कोई खास असर नहीं नजर आया, क्योंकि इन क्षेत्रों में संघ परिवार के समूहों का प्रभाव है।
दोनों विपक्षी दल, कांग्रेस और जद (एस) ने इन संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन दिया है और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति भी अपने राज्य मुख्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन का आयोजन कर भारत बंद में भाग ले रही है।
राज्यव्यापी बंद को विफल करने के लिए सख्त कदम उठाते हुए कर्नाटक सरकार ने प्रमुख परिवहन निगमों को अपने कार्यों को जारी रखने का निर्देश दिया था, लेकिन बेलागवी, धारवाड़ जैसे कुछ जिलों में किसान और कन्नड़ समर्थक कार्यकतार्ओं ने बस स्टेशनों को सीज कर दिया और वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं दी।
बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंथ ने अपने ट्विटर के माध्यम से कहा कि पुलिस ने सभी उपाय किए हैं और वे उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे, जो शहर में जबरन बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं।
उधर, कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने भई कहा है कि वो इन कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधान सभा में प्रस्ताव ले कर आएंगे।
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ