NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ग्रेटर नोएडा की बिल्डिंगें चुपचाप कब्रगाह में भी बदलती रहती हैं
केवल तात्कालिक फायदा देखते हुए, इन जमीनों पर कई तरह के अवैध इमारतों का बेतरतीब तरीके से निर्माण किया गया है और किया जा रहा है।
अजय कुमार
19 Jul 2018
Greater Noida building collapse and real estate corruption
Image Courtesy : NDTV

कहने वाले कहतें हैं कि अचानक हुई मौतें नियति की देन होती है। लेकिन समझने वालों को समझना चाहिए कि हमारी नियति भी हमारे आसपास के माहौल से निर्धारित होती है। हमारी गलतियों,लापरवाहियों और तात्कालिक फायदों की चाह की वजह से हमें कब्रों की तरफ धकेलती रहती है। ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गाँव में मंगलवार रात एक छह मंजिला बन रही बिल्डिंग, अपने ही बगल में मौजूद एक साल पहले बन चुकी पांच मंजिला, पर बिल्डिंग पर गिर गयी। खबर लिखने तक  बिल्डिंग के मलबें  के चपेट में आने से  नौ लोगों सहित एक साल की बच्ची की मौत हो गयी है। अभी भी बताया जा रहा है कि बिल्डिंग के मलबें में कम से कम 50 लोग फंसे हुए हैं ? नेशनल डिजास्टर रेस्पोंस फ़ोर्स, दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस की टीम बड़ी ही सावधानी से मलबों की छानबीन कर रही है ताकि बची-खुशी जिंदगियों को बचाया जा सके । 

आख़िरकार ऐसा क्यों हुआ होगा ? क्या यह नियति की मंजूरी है ? जवाब यह है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक बिल्डिंग से लिपटकर दूसरे बिल्डिंग की मौजूदगी हमारे बेतरतीब शहरीकरण की स्वाभाविक कहानी बन चुकी है। ऐसे में अगर बड़ी बिल्डिंग की बनावट में लगा कच्चा माल खराब है तो बड़ी बिल्डिंग के ढ़हने पर दूसरी बिल्डिंग के लोग भी तबाही का हिस्सा बन जायेंगे। यह बिल्कुल साधारण सी बात है लेकिन शहरों का प्राशासन इस पर ध्यान नहीं देता है ,जिसका खामियाजा लोगों को अपनी जिंदगी गंवा  कर चुकानी पड़ती है। 

इस मामले पर ग्रेटर नोएडा पुलिस ने कॉन्ट्रैक्टर,सब कॉन्ट्रैक्टर,बिल्डर,प्रॉपर्टी डीलर,आर्किटेक्ट सहित तकरीबन 21 लोगों के  खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। प्राथमिकी के मुताबिक़ ''पांच मजिला बिल्डिंग एक साल पहले ही बनी थी। इस  बिल्डिंग में एक बच्ची के साथ केवल एक परिवार रहता था। छः मंजिला बिल्डिंग अभी बन रही थी। इस बिल्डिंग में काम करने वाले मजदूर रहते थे। बिल्डिंग बनाने में जानबूझकर खराब किस्म के कच्चे माल का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस बात की जानकारी बिल्डिंग बनाने वालों को भी थी। खराब कच्चे माल की वजह से बिल्डिंग गिरी है और  निर्दोषों  को अपनी जान गंवानी पड़ी है।लोकल अथॉरिटी ने कई अंतरालों पर बिल्डरों से इस बारें में शिकायत की थी ,लेकिन उन्होंने इस पर धयान नहीं दिया था।''

शाहबेरी गाँव के इस इलाके के बारें में  गवर्नमेंट कंप्लेंट पोर्टल पर भी शिकायत की गयी थी । इस इलाके के संबंध में कई शिकायती पत्र गवर्नमेंट पोर्टल पर दर्ज है। निर्मल कुमार ने अपने  शिकायती पत्र में लिखा है कि 'मैं आपको शाहबेरी गाँवों में बन रहे बहुमंजिला इमारतों के अवैध निर्माण के बारें में सतर्क करना चाहता हूँ। इस तरह की तक़रीबन 100 इमारतों का निर्माण इस इलाके में किया गया है। बिना किसी ले आउट अनुमोदन,बुनियादी सुविधाओं जैसे सीवर  और सड़क के इंतज़ाम  के यहां पर आठ -नौ मंजिला इमारतों का निर्माण कर दिया गया है। इस तरह का लगातार होता हुआ अनाधिकृत और अवैध निर्माण यहां के निवासियों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा। आपसे निवेदन है कि आप इसे रोकिये अन्यथा स्थिति विस्फोटक हो सकती है।'

यहीं के एक लोकल निवासी की शिकायत है कि 'यहां पर खराब पानी के निकासी के लिए किसी भी तरह की सीवेज लाइन और नाले की व्यवस्था नहीं है।  यहां का खराब पानी बिल्डिंग के नीचे से बहता है, बिल्डिंग के फाउंडेशन को कमजोर करता है ,धीरे-धीरे फाउंडेशन में सड़न पैदा होती है और बिल्डिंग के गिरने की सम्भावना मजबूत हो जाती है।'

इस दुर्घटना की वजह से उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेजी से हो रहे अनाधिकृत कंस्ट्रक्शन पर भी रौशनी पड़ी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ केवल शाहबेरी गाँव की 150 हेक्टेयर जमीन पर अनाधिकृत  कंस्ट्रक्शन की मौजूदगी है। साल 2009 -10  में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने नोएडा एक्सटेंशन के  तकरीबन दर्जन भर गाँवों से 3635 हेक्टेयर जमीन हासिल कर ली। साल 2011 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीनों को किसानों को लौटाना पड़ा। इन जमीनों को अभी भी नोटिफाइड नहीं किया गया है। इस वजह से जमीन का मालिक जिसे मर्जी उसे जमीन बेच सकता है। और अपनी जमीन पर जैसा  चाहे वैसा कंस्ट्रक्शन कर या करवा  सकता है। केवल कुछ दस्तावेजों के अलावा इस पर किसी अन्य तरह की  रोक-टोक नहीं की जाती है। इस तरह से केवल तात्कालिक फायदा देखते हुए, इन जमीनों पर कई तरह के अवैध इमारतों का बेतरतीब तरीके से  निर्माण किया गया है और किया जा रहा है। अगर इनपर नियंत्रण नहीं किया गया तो स्थिति बद-बदतर होती चली जायेगी। माहौल खराब होता जाएगा और ग्रेटर नोएडा की बिल्डिंगें चुपचाप कब्रगाह में भी बदलती  रहेंगी।

greater noida
building collapse
real estate
Corruption
constructions workers

Related Stories

उत्तराखंड के ग्राम विकास पर भ्रष्टाचार, सरकारी उदासीनता के बादल

बिहार में 1573 करोड़ रुपये का धान घोटाला, जिसके पास मिल नहीं उसे भी दिया धान

बढ़ती हिंसा और सीबीआई के हस्तक्षेप के चलते मुश्किल में ममता और तृणमूल कांग्रेस

बिहारः बड़े-बड़े दावों के बावजूद भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम नीतीश सरकार

क्या आपको पता है कि ₹23 हजार करोड़ जैसे बैंक फ्रॉड भी महंगाई के लिए जिम्मेदार है? 

विकास की वर्तमान स्थिति, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव और आम आदमी की पीड़ा

अमित शाह का एक और जुमला: पिछले 7 सालों में नहीं हुआ कोई भ्रष्टाचार!

यूपी: परीक्षाओं का पेपर लीक और रद्द होना योगी सरकार की बड़ी विफलता है!

परमबीर सिंह वसूली प्रकरण: दो पुलिस अधिकारी सात दिनों के लिए सीआईडी हिरासत में भेजे गये

बिहारः खनन विभाग के अधिकारी बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कमाई पर देते हैं ज़ोर


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License