NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गरीबी और कुपोषण ने ले ली दो नौजवान मुसहर भाइयों की जान
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भूख, गरीबी, कुपोषण महादलित मुसहर समुदाय के लोगों की जान ले रहा है। लगातार मौतों ने सरकार के राष्ट्रीय पोषण माह और भोजन की गारंटी योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सिंतबर माह को पोषण माह घोषित किया है।
मनोज कुमार सिंह
17 Sep 2018
जंगल खिरकिया गांव का एक दृश्य।
फोटो : साभार

कुशीनगर के दुदही ब्लाक के रकबा दुलमापट्टी गांव में पांच दिन में एक मुसहर महिला और उसके दो बच्चों की कुपोषण से मौत के बाद पडरौना ब्लाक के जंगल खिरकिया गांव में दो मुसहर भाइयों की कुपोषण से मौत हो गई। इस घटना से नाराज लोगों ने पूर्वांचल किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं के साथ गांव में धरना भी दिया।

दो सप्ताह के अन्दर कुपोषण और कुपोषण जन्य बीमारियों से पांच मुसहरों की मौत के बाद प्रशासन जगा है। डीएम डा. अनिल कुमार सिंह ने दोनों मुसहरों की मौत के बारे में एसडीएम पडरौना से जाँच कर रिपोर्ट देने को कहा है।

सभी मुसहर गांवों में हेल्थ कैम्प लगाने और मुसहरों का स्वास्थ्य परीक्षण करने, उनके गांवों में साफ-सफाई का अभियान चलाने, पोषाहार अभियान/ मेला आयोजित करने, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को  अपनी योजनाएं चलने और सभी मुसहर गांवों को सभी योजनाओं से संतृप्त करने की मांग की है।

जंगल खिरकिया गांव की मुसहर बस्ती में चार भाइयों का बेहद गरीब परिवार रहता है। इस परिवार के मुखिया सुदर्शन की दो दशक पहले मौत हो चुकी है। घर में सबसे बड़े दो भाइयों की शादी हो चुकी है। वे काम के सिलसिले में बाहर चले गए हैं। दो छोटे भाई फेंकू (22) और पप्पू (16) मजदूरी कर किसी तरह जीवन यापन करते थे।

ये दोनों अपनी मां सोनवा देवी के साथ रहते थे। सोनवा देवी ने बताया कि दोनों बेटे ईंट भट्ठे पर काम करते थे। सीजन में ही काम मिलता था। बाकी समय खाली बैठे रहते। घर की हालत खराब है जिसके कारण दो जून की रोटी भी मिलना मुहाल था। दोनों बेटे काफी कमजोर हो गए थे और बीमार रहने लगे थे। पैसे के अभाव में वह उनका ठीक से इलाज भी नहीं करा सकी।

फेंकू की 12 सितम्बर को हालत गंभीर हो गई। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। अगले दिन सुबह उनकी मौत हो गई। उधर उनके छोटे भाई पप्पू की भी तबीयत बिगड़ने लगी। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया जहां रात में उनकी मौत हो गई। परिजनों व गांव के लोगों का आरोप है कि जिला अस्पताल में इलाज में लापरवाही बरती गई।

फेंकू की मौत की खबर मिलने पर पूर्वांचल किसान यूनियन के नेता पप्पू पांडेय गांव पहुंचे और धरने पर बैठ गए। वह मुसहरों के गांवों में तत्काल हेल्थ कैम्प लगाकर सभी का स्वास्थ्य परीक्षण करने और उनका इलाज करने की मांग कर रहे थे। साथ ही वह मुसहरों को सभी योजनाओं से लाभान्वित करने की मांग कर रहे थे। गांव पहुंचे एसडीएम ने उनकी मांग पूरा करने का आश्वासन दिया, तब उन्होंने धरना समाप्त किया।

उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री कुंवर आरपीएन सिंह, पप्पू की मौत की खबर मिलने पर जिला अस्पताल पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की। पूर्व सांसद बालेश्वर यादव और पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह भी जंगल खिरकिया गांव पहुंचे और घटना की जानकारी ली। विपक्ष ने इस मामले को विधानसभा में उठाने की भी घोषणा की है। 

(गोरखपुर न्यूज़ लाइन से साभार)

malnutrition in India
mushar
kushinagar
Death by malnutrition

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

ग्राउंड रिपोर्टः जिस मुसहर बस्ती में 42 दिन पहले मना था मोदी के जन्मदिन का जश्न, उस पर ही चलवा दिया बुलडोज़र

बंपर उत्पादन के बावजूद भुखमरी- आज़ादी के 75 साल बाद भी त्रासदी जारी

भुखमरी से मुकाबला करने में हमारी नाकामयाबी की वजह क्या है?

भूखे पेट ‘विश्वगुरु’ भारत, शर्म नहीं कर रहे दौलतवाले! 

विश्वगुरु बनने की चाह रखने वाला भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107 देशों में 94वें पायदान पर

झारखंड: सरकार बदली लेकिन व्यवस्था नहीं, 6 महीने में दलित परिवार में भूख से तीन मौतें!

कोरोना संकट से भारत में भुखमरी की समस्या कितनी बड़ी है?

कोरोना लॉकडाउन: कुपोषण, ग़रीबी और रोज़ी-रोटी का संकट

वर्ष 2019 में कैसी रही महिलाओं की दुनिया?


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License