NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
"हम अपने देश लौटना चाहते हैं": ‘ग्रेट रिटर्न मार्च’ के दौरान फिलिस्तीनियों पर इज़रायल की गोलीबारी
एक फिलिस्तीनी नागरिक को इज़रायली टैंक ने उड़ा दिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Apr 2018
Palestine

किसी फ़िलिस्तीनी के ज़िंदगी की क़ीमत एक गोली की क़ीमत से कुछ भी ज़्यादा नहीं है। इज़़रायली सेना की तरफ से दागे गए आंसू के गोले का धुंआ साफ दिखाई दे रहा था। 16 लोग मृत पड़े थें। एक को इजरायली टैंक के गोले से उड़ा दिया गया था जबकि अन्य को इज़रायली बंदूकधारियों द्वारा मारा गया था। इतना ही नहीं इज़़रायल ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस का गोला दागने के लिए हवाई ड्रोन भी तैनात कर दिया।

palestine

सत्तर साल पहले इज़रायल की स्थापना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने सेना को आदेश दिया था कि कोई भी फिलिस्तीनी अगर हमारी भूमि को पार करने हिम्मत करता है तो उसे मार दिया जाए। और आज ठीक सत्तर साल बाद इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने गाजा के 'ग्रेट रिटर्न मार्च' में उसी नीति का पालन किया है।

palestine

प्रदर्शनकारी गाजा-इज़राइल सीमा पर विरोध के लिए इकट्ठा हुए और जैसे ही हजारों फिलिस्तीनियों ने 'द ग्रेट रिटर्न मार्च' शुरू किया तो इज़़रायली जवानों ने गोलीबारी की। इस वार्षिक भूमि दिवस मार्च में 45 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है और इस विरोध को 15 मई को समाप्त करने की योजना है। ये दिन नकबा-डे (तबाही का दिन) के तौर पर मनाया जाता है। नकबा-डे उस घटना की याद में मनाया जाता है जब बड़ी संख्या में फिलिस्तीनियों को उस क्षेत्र से बाहर निकाल दिया गया था जिसे वर्ष 1948 में एक अलग देश इज़रायल की घोषणा कर दी गई थी।

palestine

'द ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न' के प्रवक्ता अहमद अबू आर्तेमा ने "कब्ज़ा करने वालों को जनशक्ति का संदेश भेजते हुए" कहा कि इस विरोध में क़रीब 1,50,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। एक बयान में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ यह बताया गया कि घायल हुए 1400 लोगों में से आधे लोगों को इजरायली बंदूकधारियों ने गोली मारी थी।

 

palestine

बयान में आगे कहा गया है कि उत्तरी गाज़ा पट्टी के पूर्वी जबालिया में हुए संघर्ष में 25 वर्षीय मोहम्मद नज्जार को पेट में गोली लगी जबकि रफ़ा में हुए संघर्ष में मोहम्मद मुअम्मर (38) और मोहम्मद अबू (22) की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

 

palestine

अन्य पीड़ितों में अहमद ओदेह(19), जिहाद फ़्रेनेह(33), महमूद सादी रहमी(33), अब्देलफतह अब्देलनबी(22), इब्राहिम अबू शाार(20), अब्देलक़़दिर अल-हवाजिरी, सारी अबू ओदेह, हमदान अबू अमशेह, जिहाद अबू जैमस, बदर अल-सब्बाग़ और नाजी अबू हजैर हैं। विरोध प्रदर्शन शुरू होने से पहले ख़ान यूनुस के पास इज़रायली गोलीबारी में गाज़ा के किसान उमर वहीद और अबू सैमूर भी मारे गए।

ये मार्च वर्ष 1976 में गलील क्षेत्र में भूमि पर इजरायल के कब्ज़ा करने के ख़िलाफ़ आम विरोध के दौरान इज़रायली सेनाओं द्वारा मारे गये फिलीस्तीनियों की याद में निकाला गया है। तब से हर साल कब्ज़े किए गए क्षेत्र और अन्य हिस्सों में फिलिस्तीनियों द्वारा आयोजित किया जाता है जो कि इजरायल के कब्जे और उसके उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध तथा फिलीस्तीनियों की वापसी के अधिकार का प्रतीक है।

इस साल का भूमि दिवस मार्च यूएसए के उस फैसले की पृष्ठभूमि में किया जा रहा है जिसमें उसने जेरूसेलम को इजरायल की राजधानी बनाने की घोषणा की थी। अंतरराष्ट्रीय विरोध के बावजूद यूएस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा किया था कि अमेरिकी दूतावास को नकबा-डे के आसपास तेल अवीव से पवित्र शहर(जेरूसेलम) ले जाया जाएगा। पिछले साल दिसंबर में एक आपातकालीन सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने ट्रम्प के जेरूसेलम के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मतदान किया और इस फ़ैसले को अंतरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन के रूप में घोषित किया। गाज़ा के भीतर ट्रम्प के फ़ैसले का विरोध कर रहे आठ फिलिस्तीनियों को मार दिया गया।

इस अहिंसक मार्च की शुरूआत से पहले इज़रायली सेना ने मार्च को उत्तेजक बताया और सीमाओं पर 100 से अधिक बंदूकधारियों और पैदल सेना के जवानों को तैनात कर दिया। इन जवालों को गोली चलाने की पूरी इजाज़त थी। प्रदर्शनकारियों को ले जाने के लिए बस के मालिकों को धमकी देते हुए, सीओजीएटी के जनरल योअव मोर्देचाई ने अल-हुरा टीवी से कहा कि "मेरे दृष्टिकोण से ...अगर कोई बस कंपनी प्रदर्शनकारियों को सीमा पर ले जाती है तो वह और उसका परिवार व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।"

संयुक्त सूची के अध्यक्ष अयमन ओदेह ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सेना के गोला बारूद के इस्तेमाल करने की निंदा की और कहा:

"गाज़ा के निवासी पुरुष, महिलाएं और बच्चे अपनी आज़ादी की मांग को लेकर मार्च कर रहे हैं और उन्हें क्रूरता का सामना करना पड़ रहा है। इज़रायल के नज़रिए से फ़िलिस्तीनी विरोध का कोई वैध रूप नहीं है। यहां तक कि अहिंसक लोकप्रिय संघर्ष का सामना जब सशस्त्र सैनिकों से होता है तो वे निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने में ज़रा भी संकोच नहीं करते हैं।"

45 दिनों तक चलने वाले इस प्रदर्शन के पहले दिन मारे गए फिलीस्तीनियों की रिपोर्ट सामने आने के बाद चारों तरफ आलोचना शुरू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाज़ा में हुई हत्याओं को लेकर "स्वतंत्र तथा पारदर्शी जांच" की बात कही।

गाज़ापट्टी
इज़राइल
फिलिस्तीन

Related Stories

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फिलिस्तीन पर हुई गंभीर बहस

इज़रायल का ख़ूनी और अमानवीय अतीत


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 1,778 नए मामले, 62 मरीज़ों की मौत
    23 Mar 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.05 फ़ीसदी यानी 23 हज़ार 87 हो गयी है।
  • moon
    संदीपन तालुकदार
    चीनी मिशन में इकट्ठा किये गये चंद्रमा के चट्टानों से शोध और नये निष्कर्षों को मिल रही रफ़्तार
    23 Mar 2022
    इस परिष्कृत चीनी चंद्र मिशन ने चीन और उसके बाहर दोनों ही जगहों पर पृथ्वी या उसके वायुमंडल से बाहर के चट्टानों पर शोध किया है। जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि इससे हमें सौर मंडल के बारे में नयी-नयी…
  • bhagat singh
    हर्षवर्धन
    जाति के सवाल पर भगत सिंह के विचार
    23 Mar 2022
    भगत सिंह के जाति व्यवस्था के आलोचना के केंद्र में पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत है। उनके अनुसार इन दोनों सिद्धांतों का काम जाति व्यवस्था से हो रहे भीषण अत्याचार के कारण उत्पन्न होने वाले आक्रोश और…
  • bhagat singh
    लाल बहादुर सिंह
    भगत सिंह की फ़ोटो नहीं, उनके विचार और जीवन-मूल्यों पर ज़ोर देना ज़रूरी
    23 Mar 2022
    शहादत दिवस पर विशेष: भगत सिंह चाहते थे कि आज़ाद भारत में सत्ता किसानों-मजदूरों के हाथ में हो, पर आज देश को कम्पनियां चला रही हैं, यह बात समाज में सबसे पिछड़े माने जाने वाले किसान भी अपने आन्दोलन के…
  • भाषा
    साल 2021 में दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी : रिपोर्ट
    22 Mar 2022
    साल 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता की स्थिति बयां करने वाली यह रिपोर्ट 117 देशों के 6,475 शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से जुड़े डेटा पर आधारित है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License