NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हरियाणा चुनाव: सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत
बीजेपी का पूरा चुनाव अभियान कश्मीर और पाकिस्तान पर केंद्रित है। लेकिन इन मज़दूरों को इस चुनाव में कश्मीर में घर नहीं हरियाणा में घर और रोजगार चाहिए।
मुकुंद झा
19 Oct 2019
haryana elections

हरियाणा/जींद : हरियाणा की वर्तमान  सरकार द्वारा भले ही  बड़े बड़े दावे किये जा रहे हो कि उनकी 5 साल की सरकार में सभी लोगो को सरकारी योजना का लाभ सीधे बिना किसी लूट के मिल रहा है , लेकिन ज़मीन हकीकत इससे काफी दूर है ,हरियाणा के गाँवो की बड़ी आबादी सार्वजनिक वितरण प्रणाली , उज्ज्वला ,प्रधानमंत्री आवास योजना ,और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) जैसे योजनाओ से बहार है।

जो इसमें शामिल भी है उन्हें भी इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा हैं। कई योजना जैसे मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना में तो अनियमितता  और भ्र्ष्टाचार भी देखने को मिलता है।  

न्यूज़क्लिक ने अपने चुनावी यात्रा के दौरान जींद जिले के कई गाँवो का दौर किया और उनसे इस योजना के बारे में जाना। हम  मनरेगा मज़दूरों से मिले उन्होंने बताया  कि हरियाणा में मनरेगा में भारी भ्र्ष्टाचार है। मनरेगा  मज़दूर दलबीर जो जींद के जुलाना विधनसभा के दोहड़ा गाँवो के निवासी है,  वो कहते हैं कि हमें पुरे साल में 20 से 25 दिनों का ही काम ही दिया जाता है। ये शिकायत लगभग हर मनरेगा मज़दूर की है।वे काम तो चाहते हैं लेकिन उन्हें काम नहीं दिया जाता है। ऐसे में उन्हें दूसरे काम करने पड़ते हैं जैसे खेतो में मज़दूरी आदि जहाँ इनका भारी शोषण होता है। मालिक इन्हे यह कह कर ले जाता है कि उन्हें 300 रूपये देगा लेकिन काम करने के बाद 150 या 200 रुपये देता है।

मनरेगा मज़दूर काम नहीं मिलने से दुखी

 हमें कई ऐसे मज़दूर मिले जिनका मनरेगा के तहत जॉब कार्ड तो बन गया है लेकिन सालों से कभी काम नहीं मिला है। ऐसे ही एक मज़दूर आज़ाद हैं  जिनका 4 लोगो का परिवार है ,उनका लेबर कार्ड एक साल पहले बन गया लेकिन उन्हें काम आज तक नहीं मिला है।मज़दूर काम करना चाहता है लेकिन सरकार उन्हें काम नहीं दे रही है।

इन सभी बातों की पुष्टि सरकारी आकड़े भी करते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 17.13 लाख लोगों ने मनरेगा में आपना नाम दर्ज करा रखा है जबकि सरकार केवल इस वित्तीय वर्ष 2019-20 में अभी तक 2.3 लाख लोगों को ही काम उपलब्ध करा पाई है।  इस तरह सरकार ने 2017 -18 में 3.96 लाख लोगों  को ही काम दिया था। जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में यह घटकर 3.26लाख रह गया था। यानी पिछले सालों में लगातार सरकार मज़दूरों को काम देने में नाकाम रही है।
 
सरकार का यह कहना सच है कि इस दौरान काम मांगने वाले मज़दूरों की संख्या में भी कमी आई है। अगर हम 2017-18 में काम मांगने वाले मज़दूरों की संख्या देखें  तो वो 4.94 लाख थी, जो 2018- 19 में घटकर मात्र 4.13 लाख  रह गई।  इस पर मज़दूरों का कहना  है कि बहुत सारे मज़दूर ने हार मानकर काम माँगना  बंद कर दिया क्योंकि उन्हें काम तो मिलता नहीं तो मांगना क्यों ? इसके अलावा अगर हम सरकार की प्राथमिकता देखे तो वो इस ओर नहीं है।  मनरेगा मज़दूरों ने  बताया कि सरकार ने मनरेगा मज़दूरों के काम को भी छीन लिया है। पहले गाँवों के नहरों की सफाई मनरेगा मज़दूरों से कराई जाती थी लेकिन अब उसे JCB मशीन से कराई जा रही है। अगर हम सरकार की प्राथमिकता भी देखें तो हरियाणा सरकार ने पिछले तीन सालो में मनरेगा के बजट में भी किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की है।
HARYANA (2).PNG
मनरेगा कानून के मुताबिक हर परिवार को कम से कम 100 दिन का काम दिया जाएगा लेकिन हरियाणा में बहुत ही कम परिवार ऐसे हैं जिन्हें पूरे 100 दिन का काम मिला हो। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ हरियाणा में औसतन एक परिवार को इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 23.94 दिनों का काम मिला है। जबकि 2018-19 में 33.73 दिनों का औसत था। कभी भी यह असौत 35 तक भी नहीं पहुंचा है।

graph 1_3.PNG

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस साल पूरे हरियाणा में मात्र 495 परिवारों को ही 100 दिनों का काम मिला है जबकि साल 2018 - 19 में मात्र 3 हज़ार परिवारों को ही 100 दिनों का काम मिला था।  जो कि रोजगार  गारंटी कानून का उल्लंघन है।
image 1_3.PNG
इसमें भी एक रोचक तथ्य निकलकर सामने आया, जब हम जुलाना विधानसभा के देव्रोर गाँव के मनरेगा मज़दूरों के हक़ के लिए लड़ने वाले 74 वर्षीय कार्यकर्ता  हवा सिंह से मिले, जो शिक्षा विभाग से रिटायर हैं। उन्होंने बताया कि उनके गाँव में मनरेगा में भारी भ्र्ष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे गाँवो में गरीब मज़दूर जो काम मांगते हैं, उन्हें तो काम नहीं मिला बल्कि गाँवो के धन्नासेठों को पूरे 100 दिनों का काम मिला है। जबकि नियमित मज़दूर जो काम करते हैं उन्होंने बताया वो कभी काम करने जाते ही नहीं है।

आगे वो बताते हैं कि इसमें भारी घोटाला है।  यह लोग मनरेगा अधिकारी की मिलीभगत से बिना काम किये ही पैसा लेते हैं। वो समझाते हैं कि जैसे कोई काम 50 मज़दूरों का है, वह काम 30 मज़दूरों से कराया जाता है और बचे 20 लोगों का पैसा धन्नासेठों  के खाते में डाल दिया जाता है। इसमें श्रम सहायक ,मनरेगा अधिकारी और सरपंच सभी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि इसको लेकर कई बार शिकायत की है, कभी कोई करवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अब तक  74 से अधिक पत्र मुख्यमंत्री BDO, DC सभी को लिख चुके हैं और 5 बार CM विंडो पर जाकर भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन  कार्रवाई नहीं हुई है।
hr.PNG
लेकिन उन्होंने अभी  भी हार नहीं मानी है, वो कहते हैं कि इस मामले को हाई कोर्ट तक ले जाएंगे। यह सिर्फ इस गाँवो की शिकायत नहीं है, सभी गाँवों से हमें यह शिकायत मिली है। मज़दूरों से अधिक काम लिया जाता है और इस अधिक काम का पैसा घर बैठे अपने लोगो को सरपंच दिलाता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना जमीन से गायब

इसी तरह हम जब जींद के गाँवो में घूम रहे थे तो कई ऐसे जर्जर मकान दिखे जो कभी भी गिर सकते है लेकिन उसमें लोग रह रहे थे। अधिकतर यह घर अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के थे। पंचायत  समिति सदस्य दिनेश ने बताया कि चुनाव से पहले सरकार ने सभी को घर की बात कही थी लेकिन अभी तक किसी को भी प्रधानमंत्री आवास के तहत घर नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ जींद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 7 हज़ार घर पास हुए हैं  लेकिन एक को भी माकन नहीं मिला है।
image 4_0.PNG
लोगो ने बताय सरकार जो पैसा देती है उसमे घर बनाना न बहुत मुश्किल है लेकिन उससे कुछ मदद जरूर हो जाती है। कई लोगो जिनको इस योजन  के तहत पैसे मिले भी है उनकी आखिर किश्त नहीं आई है।

उज्ज्वला गैस योजना का भी हाल बुरा

प्रधानमंत्री की सबसे महत्वकाँक्षी योजना में से एक उज्ज्वला गैस योजना भी लोगो घरो में लकड़ी की चूल्हो में जलती मिली। अधिकतर ग्रमीण इलाकों में लोगो ने गैस  लिया तो लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे है। बल्कि उसे घर में रख दिया है क्योंकि उसको भरने की कीमत बहुत लगती है। एक महिला से हमने पूछा गैस है तो उसका प्रयोग क्यों नहीं करते तो उन्होंने कहा करते जब आप जैसे लोगो आते हैं, तो चाय बना लेते है।
image 3.PNG
इसी तरह जुलाना के एक गाँव कि महिला मीनू जिनके पति एक दिहाड़ी मज़दूर है उंन्होने बताया की उनका राशन कार्ड भी नहीं बना न ही आयुष्मान कार्ड और नहीं कोई अन्य सुविधा मिलती हैं वो जिस घर में रहती थी वो भी सड़क से चार फुट निचे दबा हुआ है।

सरकारों के दबाव एक तरफ जमनी हकीकत कुछ और ही है। लेकिन शायद इनका कोई फर्क सत्ताधारी दल पर नहीं पड़ता  है। इससे निपटने के लिए उसने राष्ट्रवाद और कश्मीर का सहारा  लिया है। बीजेपी का पूरा चुनाव अभियान कश्मीर और पाकिस्तान पर केंद्रित है। लेकिन इन मज़दूरों को इस चुनाव में कश्मीर में घर नहीं हरियाणा में घर और रोजगार चाहिए।

(सभी आंकड़े पीयूष शर्मा के सहयोग से) 

Haryana Assembly Elections
Haryana Assembly polls
BJP
manohar laal khattar
government policies
Pradhan mantri awas yojna
Pradhan mantri Ujjwala yojna

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License