NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे: सिंघू बॉर्डर पर किसानों का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू 
इस दो दिवसीय सम्मेलन में किसान, महिलाओं, युवाओं और मजदूर संगठनों के 1,500 प्रतिनिधि हिस्सा लेने जा रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Aug 2021
किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे: सिंघू बॉर्डर पर किसानों का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू 
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के नौ महीने पूरे होने के अवसर पर, किसान बृहस्पतिवार से सिंघू बॉर्डर पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में किसानों, महिलाओं, युवाओं और मजदूरों के संगठनों के 1,500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन का लक्ष्य केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन को ‘‘गति और विस्तार’’ प्रदान करना है। सम्मेलन में बृहस्पतिवार को तीन सत्र आयोजित होंगे, जिसमें उद्घाटन सत्र सहित औद्योगिक श्रमिकों, कृषि श्रमिक, ग्रामीण, गरीब एवं आदिवासी लोगों पर एक-एक सत्र आयोजित किया जाएगा।
 
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा “इस आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों, और देश में करोड़ों किसान और उनके समर्थक शामिल हुए। इस अद्वितीय आंदोलन ने भारत में किसानों और उनके भविष्य के मुद्दों को सार्वजनिक बहस में सबसे आगे ला दिया है। इस जन आंदोलन ने लोकतंत्र में नागरिक शक्ति में विश्वास बहाल किया है। इसने किसानों को देश में सम्मान हासिल करने में मदद की है। इसने भारत में कृषक समुदायों के बीच जाति, धर्म, क्षेत्र, राज्य और अन्य विविधताओं से ऊपर उठ कर एकता और सद्भाव के बंधन को मजबूत करने में मदद की है।

उन्होंने आगे कहा इस आंदोलन ने किसानों और अन्य आम नागरिकों के समर्थन में, मिलकर काम करने के लिए, देश में विपक्षी राजनीतिक दलों को भी एकीकृत और सक्रिय किया है। इसने ग्रामीण भारत से युवाओं और देश की महिला किसानों को भी जोड़ा है। इसने साबित किया है कि बड़ी कम्पनियों को भी नागरिकों के दबाब से झुकाया जा सकता है। इस आंदोलन ने लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध के नागरिकों के मूल अधिकार को फिर से स्थापित कर दिया है। जबकि आंदोलन का विस्तार हो रहा है, यह देश में किसानों के कई स्थानीय संघर्षों को ऊर्जा और समर्थन प्रदान करने में सक्षम रहा है और कई को सफल समाधान की ओर ले गया है।

किसान संगठनों ने इस आंदोलन को दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लंबा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन बतया। इसके 9 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में, संयुक्त किसान मोर्चा 26 और 27 अगस्त को सिंघु मोर्चा पर अपना अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इस सम्मेलन में भारत के 20 राज्यों के लगभग 1500 प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन का उद्घाटन श्री बलबीर सिंह राजेवाल किया।

सम्मेलन में ‘‘सभी तीन कॉर्पोरेट समर्थक कृषि कानूनों को निरस्त करना, सभी फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए कानूनी गारंटी, बिजली विधेयक 2021 को निरस्त करना और एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक 2021 के तहत किसानों पर कोई मुकदमा ना चलाया जाए’’ के सबंध में चर्चा होने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि किसान पिछले साल नवम्बर से दिल्ली से लगी सीमाओं पर केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बार-बार कानूनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया का मोहताज बनाने का भय व्यक्त किया है। सरकार और किसानों के बीच इस संबंध में 10 दौर की बातचीत हुई, लेकिन दोनों पक्षों के बीच गतिरोध अब भी कायम है।

भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘काफी दुखद है कि नौ महीने हो गए हैं और सरकार बातचीत को अब भी तैयार नहीं है। लेकिन हमें हताश नहीं होना चाहिए। इस सम्मेलन के दौरान हम दिखाएंगे कि नौ महीने में हमने क्या खोया है और क्या पाया है।’’

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm Bills
Farm Laws
9 Months of Farmers protest
kisan andolan
Singhu Border
rakesh tikait
MSP

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    दलितों में वे भी शामिल हैं जो जाति के बावजूद असमानता का विरोध करते हैं : मार्टिन मैकवान
    12 May 2022
    जाने-माने एक्टिविस्ट बताते हैं कि कैसे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी दलित को जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म और आस्था से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,827 नए मामले, 24 मरीज़ों की मौत
    12 May 2022
    देश की राजधानी दिल्ली में आज कोरोना के एक हज़ार से कम यानी 970 नए मामले दर्ज किए गए है, जबकि इस दौरान 1,230 लोगों की ठीक किया जा चूका है |
  • सबरंग इंडिया
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल
    12 May 2022
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ एमपी के आदिवासी सड़कों पर उतर आए और कलेक्टर कार्यालय के घेराव के साथ निर्णायक आंदोलन का आगाज करते हुए, आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की मांग की।
  • Buldozer
    महेश कुमार
    बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग
    11 May 2022
    जब दलित समुदाय के लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के दलित समुदाय में गुस्सा है।
  • Professor Ravikant
    न्यूज़क्लिक टीम
    संघियों के निशाने पर प्रोफेसर: वजह बता रहे हैं स्वयं डा. रविकांत
    11 May 2022
    लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ आरएसएस से सम्बद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता हाथ धोकर क्यों पड़े हैं? विश्वविद्यालय परिसरों, मीडिया और समाज में लोगों की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License