NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी में गोवध संरक्षण कानून का इस्तेमाल निर्दोषों के ख़िलाफ़: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में गोवध संरक्षण कानून के दुरुपयोग और छुट्टा जानवरों की देखभाल की हालत पर चिंता जताई और कहा कि इसका उपयोग निर्दोष लोगों के खिलाफ हो रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Oct 2020
इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में गोवध संरक्षण कानून के दुरुपयोग व बेसहारा जानवरों की देखभाल की स्थिति पर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि मांस बरामद होने पर उसकी फारेंसिक लैब में जांच कराए बगैर उसे गो मांस कह दिया जाता है और निर्दोष व्यक्ति को उस आरोप में जेल भेज दिया जाता है जो शायद उसने किया ही नहीं है।

कोर्ट ने छुट्टा जानवरों की देखभाल की स्थिति पर कहा कि प्रदेश में गोवध अधिनियम को सही भावना के साथ लागू करने की आवश्यकता है। गोवध कानून के तहत जेल में बंद रामू उर्फ रहीमुद्दीन के जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यह टिप्पणी की।

क्या कहा अदालत ने?

अदालत ने कहा, ‘निर्दोष लोगों के खिलाफ इस कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जब भी कोई मांस बरामद होता है तो फॉरेंसिक लैब में जांच कराए बिना उसे गोमांस करार दे दिया जाता है। अधिकतर मामलों में बरामद मांस को जांच के लिए लैब नहीं भेजा जाता। इस दौरान आरोपी को उस अपराध के लिए जेल में जाना होता है, जो उसने नहीं किया होता और जिसमें सात साल तक की सजा है और इस पर विचार प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है। जब भी कोई मांस बरामद होता है, उसका कोई रिकवरी मेमो तैयार नहीं किया जाता और किसी को पता नहीं होता कि बरामदगी के बाद उसे कहां ले जाया जाएगा।’

कोर्ट ने कहा, 'गो संरक्षण गृह और गोशाला बूढ़े और दूध न देने वाले पशुओं को नहीं लेते हैं। इनके मालिक भी इनको खिला पाने में सक्षम नहीं है। वह पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पकड़े जाने के डर से इनको किसी दूसरे राज्य में ले नहीं जा सकते हैं। लिहाजा दूध न देने वाले जानवरों को खुला घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है और वे किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे छुट्टा जानवर चाहे सड़क पर हों या खेत में, समाज को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। इनको गो संरक्षण गृह या अपने मालिकों के घर रखे जाने के लिए कोई रास्ता निकालने की आवश्यकता है।'

उत्तर प्रदेश में कड़े कानून  

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गोवध संरक्षण कानून को कड़ा कर दिया है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसके लिए अध्यादेश का सहारा लिया है। इसी साल की शुरुआत में कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी।

इसके तहत पहली बार अपराध के लिए व्यक्ति को एक लाख से लेकर तीन लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ एक से सात साल की कठोर सजा दी जा सकती है। वहीं, दूसरी बार अपराध करने पर व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ 10 साल सश्रम कारावास की सजा दी जा सकती है।

नए अधिनियम के तहत गायों और अन्य गोजातीय पशुओं के अवैध परिवहन के मामले में चालक, परिचालक और वाहन के मालिक पर आरोप लगाया जाएगा। वाहन के मालिक से एक वर्ष की अवधि अथवा गाय या गोजातीय पशु को छोड़ने (जो भी पहले हो) तक पकड़ी गई गायों के रखरखाव पर होने वाला खर्च वसूल किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून, 1955, छह जनवरी 1956 को प्रदेश में लागू हुआ था। वर्ष 1956 में इसकी नियमावली बनी। वर्ष 1958, 1961, 1979 एवं 2002 में कानून में संशोधन किए गए तथा नियमावली का 1964 व 1979 में संशोधन हुआ। लेकिन कानून में कुछ शिथिलताएं बनी रहीं। प्रदेश के भिन्न-भिन्न भागों में अवैध गोवध एवं गोवंशीय पशुओं के अनियमित परिवहन की शिकायतें प्राप्त होती रहीं हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार इस साल कड़ा कानून लेकर आई।

गोकशी के मामलों में सबसे ज़्यादा लोगों पर एनएसए

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार में इस साल अगस्त तक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किए गए 139 में से 76 यानी आधे से अधिक लोगों पर गोहत्या के आरोप लगे हैं।

आपको बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत कार्रवाई तब की जाती है जब प्रशासन को लगता है कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा और क़ानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है।

इसके तहत उसे बारह महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। हालांकि तीन महीने से ज़्यादा समय तक जेल में रखने के लिए सलाहकार बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है।

गोहत्या के मामलों में इतनी बड़ी संख्या में एनएसए के तहत कार्रवाई के बारे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी का कहना था कि गोहत्या कानून में सख्ती की वजह से ऐसा हुआ है और ज्यादातर मामलों को हाईकोर्ट ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है।

हालांकि अब हाईकोर्ट की इतनी सख्त टिप्पणी के बाद से प्रदेश सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

एनएसए के अलावा इस साल 26 अगस्त तक यूपी गोहत्या संरक्षण कानून के तहत 1,716 मामले दर्ज किए गए हैं और 4,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आंकड़ों से पता चलता है आरोपियों के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने में असफल रहने पर पुलिस ने 32 मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।

(समाचार एजेंसी इनपुट के साथ)

UttarPradesh
Cow slaughter law
Allahabad High Court
National Security Act
NSA
yogi sarkar
Yogi Adityanath
BJP
UP police

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License