NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
स्कूल खुलने तक वार्षिक, विकास शुल्क नहीं लिए जा सकते : उच्च न्यायालय
अदालत ने जुलाई महीने से अगले आदेश तक अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क लेने से स्कूलों को रोक दिया है।
भाषा
29 Aug 2020
दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि मौजूदा लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के बंद रहने तक छात्रों के अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लिए जा सकते।

न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने 25 अगस्त को एक निजी स्कूल के अभिभावकों के संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में स्कूल द्वारा जुलाई से ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक और विकास शुल्क लिए जाने को चुनौती दी गयी है।

अदालत ने जुलाई महीने से अगले आदेश तक अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क लेने से स्कूलों को रोक दिया है।

अदालत ने दिल्ली सरकार और स्कूल को भी एक नोटिस जारी कर अभिभावकों के संगठन की याचिका पर उनका पक्ष जानना चाहा है।

अदालत मामले पर आगे 16 सितंबर को सुनवाई करेगी।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान स्कूल ने दलील दी कि लॉकडाउन खत्म हो चुका है इसलिए वह वार्षिक और विकास शुल्क ले सकता है।

हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने कहा कि शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल के अपने परिपत्र में स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि में वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने को कहा था। यह परिपत्र अब भी लागू है क्योंकि स्कूल खुले नहीं है ।

दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पहली नजर में, मेरी राय में ऐसा लगता है कि मौजूदा लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लिए जा सकते।’’

अदालत ने कहा कि अभिभावकों को ट्यूशन फीस देना होगा।

Delhi High court
Lockdown
Coronavirus
School fee

Related Stories

उत्तराखंड: तेल की बढ़ती कीमतों से बढ़े किराये के कारण छात्र कॉलेज छोड़ने को मजबूर

लॉकडाउन में लड़कियां हुई शिक्षा से दूर, 67% नहीं ले पाईं ऑनलाइन क्लास : रिपोर्ट

शिक्षा बजट: डिजिटल डिवाइड से शिक्षा तक पहुँच, उसकी गुणवत्ता दूभर

दिल्ली : याचिका का दावा- स्कूलों से अनुपस्थित हैं 40,000 शिक्षक, कोविड संबंधी ज़िम्मेदारियों में किया गया नियुक्त

कोविड में स्कूलों से दूर हुए गरीब बच्चे, सरकार का ध्यान केवल ख़ास वर्ग पर

कोरोना और कॉलेज छात्राओं की घर वापसी

कोविड-19 और स्कूली शिक्षा का संकट: सब पढ़ा-लिखा भूलते जा रहे हैं बच्चे

बीच बहस: शिक्षा का भविष्य नहीं हो सकती ऑनलाइन शिक्षा

क्या क्लासरूम शिक्षा का विकल्प हैं एडटेक कम्पनियां?

ग्राउंड रिपोर्ट - ऑनलाइन पढ़ाईः बस्ती के बच्चों का देखो दुख


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License