NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सत्ता की ख़ुशबू : राज्यों में भाजपा की सत्ता हथियाने की लत
राजस्थान की मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल पिछले छह साल में देश में घटने वाली 11वीं ऐसी घटना है जिसमें भाजपा ने बिना चुनाव जीते राज्य में सत्ता हथियाने की कोशिश की है।
सुबोध वर्मा
17 Jul 2020
Translated by महेश कुमार
भाजपा की सत्ता हथियाने की लत
Image Courtesy: The Print

राजस्थान के थका देने वाले राजनीतिक दंगल के बीच जो बात बहुत अदजीक किसी को नज़र नहीं आई, वह यह कि ठीक इस सब के में, आयकर विभाग ने तीन व्यक्तियों से जुड़े चार शहरों में 43 से अधिक घरों और कार्यालयों पर छापे मारे। फिर दो कांग्रेसी नेताओं, यानि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच झगड़े का इससे क्या लेना-देना है? पता यह चला है कि जिन लोगों पर छापा मारा गया था, वे सभी गहलोत के समर्थक थे। इस काम में भारतीय जनता पार्टी का अदृश्य हाथ था, जिसने गहलोत समर्थकों के बीच सरकार को बचाने में मदद करने के लिए डर पैदा करने के लिए किया था। अब तक यह रणनीति काम नहीं कर पाई – वजह साफ है कि विद्रोही पायलट के पास विधानसभा की प्रभावी ताकत को कम करने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है जो संख्या बीजेपी को सत्ता बागडोर हड़पने में मदद करती। इसने पहले कर्नाटक, फिर मध्य प्रदेश में ऐसा हो चुका है। लेकिन राजस्थान में खेल अभी खत्म नहीं हुआ है।

यह कहने की ज़रूरत नहीं है है कि ये सब करने का अवसर किसी अन्य ने नहीं बल्कि खुद मरणासन्न कांग्रेस ने बार-बार दिया है, क्योंकि वह अपने असंतुष्ट धड़ों, गुटबाज़ी से ग्रस्त, साथ ही वह एक मज़बूत मंच पर अपने संगठन को संगठित करने में असमर्थ रही है, अगर लोगों को संगठित करने की बात यहाँ ही छोड़ भी दें। कांग्रेस और बीजेपी की इस गैर-सैद्धांतिक लड़ाई के बीच, लोग अंधकारमय और घृणित भविष्य देख रहे हैं, जिसकी घातक झलक इस महामारी में बड़े ही गलत रूप में दिखाई दे रही है जिस तरह से इसे संभाला जा रहा है।

नीचे एक ऐसी सूची दी गई है जिसमें, एक निर्वाचित गैर-भाजपा राज्य सरकार को गिराकर भाजपा ने सरकार बनाने के लिए 11 बार साजिश रची है। इस कड़ी में आप देख सकते हैं राजस्थान ग्यारहवें स्थान पर है। जैसा कि आप देख सकते हैं, भाजपा ने लोगों के जनादेश के ख़िलाफ़ जाकर इन राज्यों में सत्ता हड़पने के लिए रिश्वतखोरी, धमकी, दोस्ताना राज्यपालों, विधायकों की खरीद आदि गंदी चालों का सहारा लिया है। यह उनके भीतर पनपे घमंड और राजनीतिक सत्ता के प्रति लालच का नतीज़ा है, जो किसी भी तरह की पकड़ से बाहर है, जिसके लिए वे सीबीआई, आईटी विभाग और ईडी, या पुलिस केस, कानून का दुरुपयोग और संवैधानिक मानदंडों के उल्लंघन करने के लिए केंद्रीय सरकारी एजेंसियों को निर्देशित करते है।

यहां यह बताया जा रहा है कि बीजेपी ने कैसे बिना बहुमत जीते 2014 के बाद से विभिन्न राज्यों में कैसे सत्ता हड़पी है।

राजस्थान (2020): आज की खबर के मुताबिक, कर्नाटक और मप्र की तुलना में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को विस्थापित करने में भाजपा असफल रही।

मध्य प्रदेश (2020): कर्नाटक मॉडल के बाद, कांग्रेस के विधायकों के एक वर्ग को अपनी और मिला लिया गया, जिससे विधानसभा की प्रभावी ताकत कम हो गई, उसके बाद भाजपा सरकार ने शपथ ले ली। कांग्रेस से दूर हुए नेता, पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को बाद में भाजपा ने राज्यसभा में मनोनीत कर दिया। 

महाराष्ट्र (असफल प्रयास) (2019): यह भी दो-भाग वाला लापरवाही से भरा काम निकला।

भाग 1: विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना ने बहुमत हासिल किया था, लेकिन दोनों में मुख्यमंत्री कौन बनेगा के मुद्दे पर घमासान हुआ और अलग हो गए। हफ़्ते भर की उन्मत्त बातचीत के बाद, होटलों में विधायकों का छिपाना और उस पर राष्ट्रपति शासन का जादू, 22 नवंबर की रात को तब खत्म हुआ जब शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बीच एक अजीब गठबंधन हो गया था। लेकिन अगली सुबह, भाजपा ने राकांपा के अजीत पवार के विपक्षी गठबंधन को छोड़ने और कथित तौर पर 54 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी। एक गोपनीय समारोह में, राज्यपाल बीएस कोश्यारी (उत्तराखंड के पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री) ने दो सदस्यीय सरकार को शपथ भी  दिला दी थी।

भाग 2: घंटों के भीतर ही यह सरकार गिर गई क्योंकि अजीत पवार के साथ एक भी विधायक या नेता नहीं गया। वह एनसीपी में वापस लौट गए, और शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली नई सरकार ने शपथ ली।

4. हरियाणा (2019): हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को बहुमत हासिल नहीं हुआ, और उसे 90 सदस्यीय सदन में 40 सीटें मिली। इसने नई बनी जननायक जनता पार्टी को चुनाव के बाद गठबंधन में शामिल कर लिया, भले ही जेजेपी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान भाजपा पर गंभीर हमला किए थे। जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया और भाजपा सत्ता में वापस आ गई।

5. कर्नाटक (2018-19): कर्नाटक में भी सत्ता हथियाने का काम दो हिस्सों में खेला गया।

भाग 1 (असफल प्रयास) - 2018: भाजपा ने 224 सदस्यीय विधानसभा में 104 विधायक जीते थे, बहुमत के निशान से कम थे। लेकिन गुजरात के पूर्व भाजपा विधायक वजुभाई वाला ने राज्य के राज्यपाल के रूप में अपनी नई भूमिका में, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) के बड़े गठबंधन की अनदेखी करते हुए सरकार बनाने की दावत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और अगले दिन फ्लोर टेस्ट के लिए निर्देश दे दिया। येदियुरप्पा ने सदन के पटल पर हार झेलने के बजाय इस्तीफा दे दिया और 6 दिन की भाजपा की सत्ता के बाद कांग्रेस-जेडी (एस) की एक नई सरकार बनी।

भाग 2 - 2019: भाजपा ने सत्ता हथियाने का एक नया मॉडल पेश करते हुए, उसने 13 कांग्रेस, 3 जद (एस), और एक कर्नाटक प्रज्ञवन्ता जनता पार्टी के विधायक को विधानसभा से इस्तीफा दिलवा दिया ताकि सदन की ताकत कम हो जाए और भाजपा को बहुमत हासिल हो जाए। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार गिर गई और येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा ने सत्ता में आ गई।

6. मेघालय (2018): भाजपा ने 60 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ दो सीटें जीतीं थी। लेकिन इसने सरकार का हिस्सा बनने के लिए नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ चुनाव बाद गठबंधन कर लिया। फिर, अपने सहायक राज्यपाल, गंगा प्रसाद, जो बिहार के एक पूर्व भाजपा एमएलसी रहे थे, से मदद ली।

7. मणिपुर (2017): भाजपा ने 60 में से 21 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को 28 सीटें मिलीं। लेकिन भाजपा ने दो स्थानीय दलों नेशनल पीपुल्स पार्टी और नागा पीपुल्स फ्रंट और अपने सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के एक अकेले विधायक को लेकर सरकार का दावा कर दिया। भाजपा की पूर्व सांसद और राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने सरकार बनाने के लिए सबसे पहले भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को दावत दे डाली।

8. गोवा (2017): बीजेपी ने कुल 40 में से 13 सीटें जीतीं थी। परिणाम घोषित होने के बाद उन्होंने छोटे स्थानीय दलों के साथ एक गठबंधन बनाया, जो खुले तौर पर उनके खिलाफ चुनाव लड़े थे और सरकार बना ली जबकि इकलौती सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को 17 सीटों के साथ विपक्ष में बैठना पड़ा।

9. बिहार (2015): विधानसभा चुनावों में, 243 सदस्यीय सदन में भाजपा को सिर्फ 53 सीटें मिलीं थी और उनके सहयोगियों के पास दो सीटें गईं। जबकि राष्ट्रीय जनता दल-जनता दल (युनाइटेड)-कांग्रेस गठबंधन जोकि चुनाव से पहले बना गठबंधन था को भारी जी हासिल हुई और 178 सीटें मिली। फिर भी, बीजेपी ने इस मज़बूत गठबंधन को तोड़ दिया, जेडी (यू) और उसके नेता नीतीश कुमार को लालच दिया गया और जुलाई 2017 में गठबंधन सरकार बना ली गई।

10. झारखंड (2014): बीजेपी ने यहाँ 81 सदस्यीय विधानसभा में 35 सीटें जीतीं थी और उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ने 5 सीटें जीतीं थी। वे बहुमत से थोड़े ही दूर थे। इसलिए, उन्होंने कुछ निर्दलीय सदस्यों पर जीत हासिल की और झारखंड विकास मोर्चा के 8 में से 6 विधायकों को लालच देकर अपने में शामिल कर बहुमत हासिल कर लिया।

11. अरुणाचल प्रदेश (2014): बीजेपी ने 11 सीटें जीतीं थी, कांग्रेस ने 42, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल ने 5, और 2 निर्दलीय जीते थे। दो वर्षों के दौरान, संख्या बदलकर: बीजेपी 48; कांग्रेस 1; पीपीए 9; स्वतंत्र 2 रह गए! यानि थोक में दल बदले गए, कुछ वक़्त राष्ट्रपति शासन चला,  एक पूर्व सीएम की मृत्यु हुई, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप हुआ, एक अनिच्छुक राज्यपाल और चार मुख्यमंत्रियों को वापस बुलाने के बाद, अंतत भाजपा ने सत्ता हथिया ली!

इस आलेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

The Scent of Power: A Timeline of BJP’s Power Grab in States

BJP
Rajasthan
sachin pilot
ashok gehlot
Amit Shah
Congress
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश चुनाव: जनता गुस्से में है सरकार की विफलताओं पर
    01 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस बात जनता बेहद गुस्से में है सरकार की विफलताओं को लेकर। चाहे फिर वो कोरोना काल में हुई मौत हो या फिर महंगाई और बेरोज़गारी, सरकार हर मोर्चे पर नाकाम ही नज़र आयी है , ऐसा…
  • Gujara
    दमयन्ती धर
    गुजरात दंगों के 20 साल: विस्थापित मुस्लिम परिवार आज भी अस्थाई शिविरों में रहने के लिए मजबूर
    01 Mar 2022
    20 वर्षों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के बिना ये शिविर हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए स्थायी आवास बन चुके हैं, जो एक बार फिर से विस्थापित कर दिए जाने की आशंका के बीच रहने के लिए मजबूर हैं।
  • BHU hospital
    सोनिया यादव
    यूपी: बीएचयू अस्पताल में फिर महंगा हुआ इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं से और दूर हुए ग्रामीण मरीज़
    01 Mar 2022
    बीते साल नवंबर में ही ओपीडी की फीस बढ़ोत्तरी के बाद अब एक बार फिर सभी जांच सुविधाओं की दर में दो से तीन गुना की बढ़ोत्तरी की गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में…
  • Naveen
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूक्रेन के खारकीव में गोलाबारी में भारतीय छात्र की मौत
    01 Mar 2022
    छात्र का नाम नाम नवीन शेखरप्पा है। वह कर्नाटक के रहने वाले थे।
  • ukraine
    एपी
    ब्रिटेन ने यूक्रेन को उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने के आह्वान को ख़ारिज किया
    01 Mar 2022
    ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम यह (उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित) नहीं करने वाले हैं, क्योंकि हम ऐसी स्थिति में आ जाएंगे, जब हमें रूसी विमानों को मार गिराना हेागा।’’
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License