NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
बिहारः मुज़फ़्फ़रपुर में अब डायरिया से 300 से अधिक बच्चे बीमार, शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में चमकी बुखार के साथ साथ अब डायरिया ने बच्चों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। इस बीमारी से 300 से अधिक बच्चे बीमार हो गए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Apr 2022
bihar
Image courtesy : Hindustan

चमकी बुखार ने अभी बच्चों का पीछा छोड़ा भी नहीं है कि डायरिया और मौसमी बुखार से बिहार के मुजफ्फरपुर में बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं। प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक इन बीमारियों से पीड़ित करीब 300 से अधिक बच्चे मुजफ्फरपुर शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। एसकेएमसीएच में जहां करीब 90 बच्चे भर्ती हैं वहीं केजरीवाल अस्पताल में भी 60 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

इसके अलावा शहर के विभिन्न शिशु रोग विशेषज्ञों के नर्सिंग होम में बच्चों का इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी बढ़ने से बच्चों में डायरिया कॉमन हो गया है। बीमारी की शुरुआत में ही बच्चों को ओआरएस सहित अन्य दवाएं दी जाए तो बच्चा तीन दिनों में स्वस्थ हो जाता है, लेकिन देर करने पर बच्चों की हालत बिगड़ जाती है। ऐसे बच्चों को भर्ती कर इलाज करना पड़ता है। गर्मी और गंदगी के कारण वायरस और बैक्टीरिया का प्रसार अधिक होता है, जो बीमारियां पैदा करता है। अशुद्ध पानी पीने से बच्चों में जांडिस और टायफायड की समस्या भी आ रही है।

शिशु रोग विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से बीमार बच्चों की संख्या तेजी से वृद्धि हुई है। गर्मी अधिक होने के कारण बच्चे डायरिया से सबसे अधिक पीड़ित हो रहे हैं। बच्चों को गर्मी से बचाने के साथ उनके खान-पान और स्वच्छता पर ध्यान रखा जाएगा तो बच्चे बीमार नहीं पड़ेंगे। अभी एइएस (चमकी बुखार) का समय है ऐसे समय में माता-पिता को बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

ज्ञात हो कि चमकी बुखार से पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं। इस बीमारी से बड़ी संख्या बच्चों ने अपनी जान भी गंवा दी है। इस साल भी मुजफ्फरपुर समेत बिहार के अन्य क्षेत्रों में चमकी बुखार के कई मामले सामने आए हैं। जिले में इस बीमारी से दो बच्चों के मौत की भी पुष्टि हो चुकी है। मामले के बढ़ने के साथ लोगों की चिंता भी बढ़ गई है। सरकार और प्रशासन भी सतर्क हो गया है। बता दें कि वर्ष 2019 में इस बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी। उक्त वर्ष पूरे बिहार में करीब 200 बच्चों की मौत हुई थी जबकि मुज़फ़्फ़रपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में करीब 120 बच्चों की मौत हुई थी। कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एसकेएमसीएच स्थित पीआइसीयू वार्ड में पांच जिलों से एइएस पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है। इसमें मुजफ्फरपुर के सात, सीतामढ़ी के दो, वैशाली के एक, मोतीहारी के तीन, अररिया का एक बच्चा शामिल थें।

बता दें कि बीते साल सितंबर महीने में मुज़फ़्फ़रपुर के सरैया प्रखंड की नारगीजीवनाथ पंचायत के धनुपरा मांझी टोला में डायरिया से दो बच्चों की मौत हो गयी थी। वहीं बड़ी संख्या में बच्चों को एसकेएमसीएच व सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन में जिले भर से करीब पचास से अधिक बच्चों को इलाज के लिए एसकेएमसीएच व सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शहर के अन्य अस्पतालों में भी डायरिया से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए दाखिला कराया गया था।

क्या सावधानी बरतें?

शिशु विषेशज्ञों का कहना है कि डायरिया होने पर बच्चों में जी मिचलाने, पेट में मरोड़ होने, लूज मोशन, सूजन, डिहाइड्रेशन, बुखार और मल में खून आने की शिकायत होती है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि बच्चों को उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी भरपूर मात्रा में पिलाया जाए। बाहर की तली भुनी चीजों से परहेज किया जाए। बासी खाना या ऐसी कोई भी चीज बच्चों को न दी जाए खराब हो गई हो। टॉयलेट से आने के बाद हाथों को 20 सेकेंड तक साबुन और पानी से धोएं। खाना बनाने और खाने से पहले और बाद में हाथों को साफ करें तथा खाने और पकाने से पहले कच्चे फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से पानी से धोएं। 

Bihar
muzaffarpur
Diarrhoea
chamki bukhar
Health Sector
Nitish Kumar

Related Stories

बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

बिहारः पिछले साल क़हर मचा चुके रोटावायरस के वैक्सीनेशन की रफ़्तार काफ़ी धीमी

कोरोना महामारी अनुभव: प्राइवेट अस्पताल की मुनाफ़ाखोरी पर अंकुश कब?

बिहार की राजधानी पटना देश में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहर

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

मध्यप्रदेश: सागर से रोज हजारों मरीज इलाज के लिए दूसरे शहर जाने को है मजबूर! 

शर्मनाक : दिव्यांग मरीज़ को एंबुलेंस न मिलने पर ठेले पर पहुंचाया गया अस्पताल, फिर उसी ठेले पर शव घर लाए परिजन

दवाई की क़ीमतों में 5 से लेकर 5 हज़ार रुपये से ज़्यादा का इज़ाफ़ा


बाकी खबरें

  • बी. सिवरामन
    क्या एफटीए की मौजूदा होड़ दर्शाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था परिपक्व हो चली है?
    15 Apr 2022
    अक्सर यह दावा किया जाता है कि मुक्त व्यापार समग्र रूप से तथाकथित 'राष्ट्रीय हितों' की पूर्ति करेगा। यह बकवास है। कोई भी एफटीए केवल निर्माताओं, अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों, खनिकों और खनिज निर्यातकों तथा…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    अब भी संभलिए!, नफ़रत के सौदागर आपसे आपके राम को छीनना चाहते हैं
    15 Apr 2022
    हिंसा को स्वीकार्य बनाने के लिए कट्टरपंथी शक्तियों द्वारा संचालित मानसिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शायद पूर्ण हो चुका है और हममें से अधिकांश संभवतः इसमें ए प्लस ग्रेड भी अर्जित कर चुके हैं इसलिए इन शोभा…
  • ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन
    15 Apr 2022
    ऐसा प्रतीत होता है कि ज़्यादातर सूचनाएँ अभी भी शीत-युद्धकालीन मानसिकता से ग्रसित हैं, जो मानवता को दो विरोधी ख़ेमों में बाँटकर देखती है। हालाँकि, सच ये नहीं है।
  • विजय विनीत
    बनारस में गंगा के बीचो-बीच अप्रैल में ही दिखने लगा रेत का टीला, सरकार बेख़बर
    15 Apr 2022
    बनारस की गंगा में बालू के टीले पहले जून के महीने में दिखाई देते थे। फिर मई में और अब अप्रैल शुरू होने के पहले ही दिखाई देने लगे हैं, जो चिंता का विषय है।
  • वसीम अकरम त्यागी
    ‘हेट स्पीच’ के मामले 6 गुना बढ़े, कब कसेगा क़ानून का शिकंजा?
    15 Apr 2022
    2014 में देश में हेट स्पीच के कुल 336 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं। कुल मिलाकर सात साल में हेट स्पीच के मामले छह गुना तक बढ़े हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License