NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
अमीरों द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन से ख़तरे में "1.5 डिग्री सेल्सियस" का लक्ष्य
बेहद अमीर लोगों की विलासितापूर्ण चमक-दमक वाली जीवनशैली से COP26 जैसे सम्मेलनों के ज़रिए मौसम परिवर्तन को रोकने के लिए जो संकल्प लिए जा रहे थे, वे ख़तरे में पड़ गए हैं।
संदीपन तालुकदार
10 Nov 2021
कार्बन उत्सर्जन

दुनिया ग्लासगो में जारी COP26 सम्मेलन की तरफ आतुरता से देख रही है। लोगों का ध्यान इस सम्मेलन में अलग-अलग देशों द्वारा किए जाने वाले उन वायदों की तरफ ज्यादा है, जिनमें मानव निर्मित मौसम आपात के प्रभाव को रोकने की बात की जाएगी। इसमें एक अहम मुद्दा जीवाश्म ईंधन उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को कम से कम उस स्तर तक कम करना है, जिसका वायदा 2015 में अपनाए गए पेरिस समझौते में किया गया था। 

अब इससे जुड़ा ज्यादा व्यापक सवाल यह उठता है कि यहां जवाबदेही में किसका हिस्सा ज़्यादा है? क्या सभी देशों और पृथ्वी पर मौजूद पूरी इंसानी आबादी की बड़ी जिम्मेदारी है, जबकि अमीर देश और अमीर आबादी कुल उत्सर्जन का ज़्यादा हिस्सा उत्सर्जित करते हैं। 

इस संबंध में ऑक्सफैम द्वारा किया गया एक दिलचस्प अध्ययन अहम हो जाता है। इस अध्ययन को "यूरोपियन एंवॉरनमेंटल पॉलिसी (आईईईपी) और स्टॉकहोम एंवायरनमेंट इंस्टीट्यूट (एसईआई) ने संयुक्त तौर पर किया था। अध्ययन कहता है कि दुनिया सबसे अमीर एक फ़ीसदी लोगों द्वारा उत्सर्जित किया जा रहे कार्बन उत्सर्जन की दर, 1.5 डिग्री सेल्सियस ताप बढ़ाने के लिए जरूरी कार्बन उत्सर्जन की तुलना में 30 गुना ज़्यादा है। इसके उलट, दुनिया के सबसे गरीब़ 50 फ़ीसदी लोग मौसम परिवर्तन को थामने के लिए तय की गई दर से कहीं ज़्यादा कम उत्सर्जन कर रहे हैं।    

यह रिपोर्ट दुनिया की अलग-अलग आबादी द्वारा की जा रही ख़पत और उत्सर्जन में गंभीर अंतर को बताती है। यह रिपोर्ट COP26 की पृष्ठभूमि में भी अहमियत रखती है। 

ऑक्सफैम में मौसम नीति प्रमुख नाफकोटे दाबी कहती हैं, "कुलीन लोगों के एक छोटे हिस्से को प्रदूषण फैलाने की छूट मिली नज़र आ रही है।"

वह कहती हैं, "उनका जरूरत से ज्यादा उत्सर्जन अतिवादी मौसम स्थितियों का निर्माण कर रहा है और वैश्विक ताप की बढ़ोत्तरी को सीमित करने के लक्ष्यों को दूर कर रहा है।"

अगर पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पाना है, तो कार्बन डाइऑक्साइड का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन, 2030 तक हर साल के लिहाज से प्रति व्यक्ति 2.3 टन कम करना होगा। यह मात्रा, आज हमारे द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन की आधी है। अमीर अल्पसंख्यकों की भड़कीली-चमकीली जीवन शैली इस महत्वकांक्षी परियोजना को धता बता रही है, जबकि यह परियोजना दुनिया के लिए इस अहम मोड़ पर बेहद जरूरी है। 

अध्ययन चेतावनी देते हुए कहता है, मौजूदा दर के हिसाब से सबसे अमीर 1 फ़ीसदी लोग एक साल में प्रति व्यक्ति 70 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करेंगे। कुलमिलाकर, 2030 तक यह एक फ़ीसदी आबादी करीब़ 16 फ़ीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होगी। जबकि 1990 में यह आंकड़ा 13 फ़ीसदी था। इससे पता चलता है कि इनके उत्सर्जन में तीव्र उछाल आ रहा है। इस बीच सबसे गरीब़ 50 फ़ीसदी लोग औसत तौर पर प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक साल में सिर्फ़ एक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करेंगे। 

अध्ययन के मुताबिक़, दुनिया के यह सबसे अमीर 1 फ़ीसदी लोग, ना केवल अरबपति या करोड़पति हैं, बल्कि इसमें वह लोग भी शामिल हैं, जो 1,72,000 अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा कमा रहे हैं। अध्ययन ने दुनिया के सबसे अमीर 10 फ़ीसदी लोगों पर भी गौर फरमाया। इनमें वे लोग शामिल थे, जो 55 हजार अमेरिकी डॉलर सालाना से ज़्यादा कमा रहे हैं। अध्ययन में पता चला कि आबादी का यह हिस्सा, 9 गुना ज़्यादा उत्सर्जन कर रहा है। 

अध्ययन के लेखक और IEEP से ताल्लुक रखने वाले टिम गोर कहते हैं, "यह पेपर दिखाता है कि वैश्विक ताप को 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी के दायरे में रखने की लड़ाई को ज़्यादातर लोग नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, इसको नुकसान दुनिया के सबसे अमीर लोगों द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन से हो रहा है।"

ऑक्सफैम स्कॉटलैंड के प्रमुख जैमी लिविंगस्टोन कहते हैं, "COP26, मौसम परिवर्तन के खिलाफ़ लड़ाई में सच्चाई का वक़्त है। वैश्विक नेताओं को अतिरिक्त उत्सर्जन और वैश्विक ताप वृद्धि को कम करने पर सहमत होना होगा और उन्हें यह ग्लासगो में ही करना होगा। देरी करने से जिंदगियों का नुकसान होगा।"

सबसे अमीर लोगों की विलासित और चमक-दमक वाली जीवन शैली पर मौसम आपात से बढ़ती चिंताओं और इन्हें सीमित करने के संकल्पों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इस साल की शुरुआत में अमेरिकी उद्योगपति जेफ बेजोस ने अपने नए शेफर्ड रॉकेट में अंतरिक्ष की यात्रा की, ऐसा ही रिचर्ड ब्रेसनन ने भी किया, जो अपने मालिकाना हक़ वाले वर्जिन गैलेक्टिक रॉकेट में अंतरिक्ष की सीमा तक गए। हम सब जानते हैं कि एलन मस्क ने इंसानों को मंगल पर ले जाने का वायदा किया है। अध्ययन बताते हैं कि स्पेस फ्लाइट को 11 मिनट चलाने पर 75 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। यह मात्रा सबसे गरीब़ एक अरब लोगों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन से भी ज़्यादा है।  

बेइंतहां अमीर लोग, जिनके पास कई निजी हवाई जहाज़, घर और याच हैं, वे अपनी बेहद विलासितापूर्ण गतिविधियों के चलते बहुत ज़्यादा उत्सर्जन करते हैं। एक हालिया अध्ययन ने मशहूर हस्तियों की यात्राओं की जांच की और पाया कि इनमें से कुछ लोग एक साल में 1000 टन से भी ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करते हैं। इन लोगों की यात्राओं की जानकारियां उनके सोशल मीडिया हैंडल से ली गई थीं। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Carbon Emission of 1% Super-Rich Imperils 1.5 Degree Celsius Target

COP26
Carbon Emission
PARIS AGREEMENT
climate change
Super Rich Emitters
1% Rich Emits Most
Oxfam
Institute for European Environmental Policy
Stockholm Environment Institute

Related Stories

गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा

मज़दूर वर्ग को सनस्ट्रोक से बचाएं

लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

लगातार गर्म होते ग्रह में, हथियारों पर पैसा ख़र्च किया जा रहा है: 18वाँ न्यूज़लेटर  (2022)

‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान

दुनिया भर की: गर्मी व सूखे से मचेगा हाहाकार

जलविद्युत बांध जलवायु संकट का हल नहीं होने के 10 कारण 

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

आईपीसीसी: 2030 तक दुनिया को उत्सर्जन को कम करना होगा


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License