पर्यावरण को बचाना ही पर्यावरण का सच्चा सम्मान है। पर्यावरण को लेकर देश-दुनिया में चिंता है, ऐसे में पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को पद्मश्री से सम्मानित किया जाना अच्छा कदम है, लेकिन इससे भी अच्छा होता कि सरकार विकास के नाम पर जल-जंगल-ज़मीन के अंधाधुंध दोहन को रोकती। चाहे वो उत्तराखंड की ऑल वेदर रोड हो जिसके लिए पहाड़ों को बेतरतीब काटा जा रहा है, चाहे अन्य विकास योजनाओं या स्मार्ट सिटी के नाम पर जगह-जगह काटे जा रहे हरे-भरे जंगल हों। अगर विकास के नाम पर हो रहे इस विनाश पर कुछ रोक लगे तो इस पुरस्कार और सम्मान की सार्थकता होगी।
कर्नाटक की पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को 30,000 से अधिक पौधे लगाने और पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल रहने के लिये पद्मश्री से सम्मानित किया गया। ख़बरों के मुताबिक जब वह सम्मान लेने के लिए पहुंची तो उनके बदन पर पारंपरिक धोती थी और पैरों के नीचे चप्पल तक नहीं थी। पीएम मोदी और अमित शाह से उनका सामना हुआ तो दोनों नेताओं ने उन्हें नमस्कार किया। पद्मश्री तुलसी गौड़ा की सादगी भरी तस्वीर को सोशल मीडिया पर भी खूब पसंद किया गया। उनकी मेहनत और समर्पण की चर्चाएं होने लगीं।
पर्यावरण को लेकर देश-दुनिया में चिंता है, ऐसे में पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को पद्मश्री से सम्मानित किया जाना अच्छा कदम है, लेकिन इससे भी अच्छा होता कि सरकार विकास के नाम पर जल-जंगल-ज़मीन के अंधाधुंध दोहन को रोकती। चाहे वो उत्तराखंड की ऑल वेदर रोड हो जिसके लिए पहाड़ों को बेतरतीब काटा जा रहा है, चाहे अन्य विकास योजनाओं या स्मार्ट सिटी के नाम पर जगह-जगह काटे जा रहे हरे-भरे जंगल हों। अगर विकास के नाम पर हो रहे इस विनाश पर कुछ रोक लगे तो इस पुरस्कार और सम्मान की सार्थकता होगी।