NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
दिल्ली: राहत का मज़दूरों ने किया स्वागत लेकिन आधी-अधूरी तैयारी के चलते नाराज़गी
मज़दूर संगठनों का कहना है कि सरकार सिर्फ़ घोषणाएं ही करती है और ज़मीन पर वो गायब रहती है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में मज़दूरों का पलायन हुआ और जो बचे हुए हैं वो परेशान हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 May 2020
lockdown
Image Courtesy:New Indian Express

दिल्ली: लॉकडाउन 4.O के शुरू होते ही देश की राजधानी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार  ने राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आर्थिक गतिविधियों के लिए छूट दी है। इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि इसके छूट होने के बाद किसी भी नियम के उल्लंघन की स्थिति में प्रशासनिक कार्रवाई होगी।

साथ ही सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से जिम्मेदारी के साथ अनुशासन में रहने की अपील की है। अपने एक ट्वीट में उन्होंने बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने और हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करने की सलाह दी है।

वहीं, दूसरी ओर पिछले 24 घंटे में 500 से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आए हैं। अभी तक 24 घंटे में नए मरीजों की संख्या में ये सबसे अधिक है जबकि अब तक संक्रमितों का कुल आंकड़ा 10 हजार पार कर गया है। अब तक 166 लोगों की मौत हो चुकी है।

बड़े पैमाने पर छूट दिए जाने की दिल्ली में मुख्य विपक्षी भाजपा के नेताओं ने निंदा की है। पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट करके केजरीवाल सरकार पर हमला किया और कहा कि 'लगभग पूरी दिल्ली को एकदम खोल देना दिल्ली वालों के लिए डेथ वॉरंट साबित हो सकता है। मैं दिल्ली सरकार से गुजारिश करता हूं कि इस फिर से विचार करे। एक गलत कदम और सब खत्म हो जाएगा।'

twit_4.JPG

लॉकडाउन में मिली छूट का आज यानी मंगलवार को पहला दिन है। इस दौरान लॉकडाउन में राहत का मज़दूरों ने स्वागत किया लेकिन सरकार की आधी अधूरी तैयारी को लेकर नाराजगी भी जाहिर की। उनकी अभी सबसे बड़ी चिंता काम पर कैसे जाएंगे है क्योंकि सरकार ने बस चलाने की बात तो कही है लेकिन उसमे केवल 20 लोग ही सफर करेंगे। पहले सामान्य स्थिति में बस से काम पर जाने में उन्हें घंटों लगते थे अब इस व्यवस्था से उनका और ज्यादा समय बर्बाद होगा।

इसके साथ ही बाइक पर भी एक ही व्यक्ति के जाने की अनुमति है जबकि कई श्रमिक एक ही बाइक से दो लोग जाते थे जिससे पैसे की बचत हो। इसलिए आज बड़ी संख्या में देखने को मिला कि सरकारी आदेश के बाद भी कई जगहों पर एक बाइक पर दो लोग जाते दिखे।

इसी तरह कई ऑटो वाले सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने पर खुश दिखे लेकिन यह बात अब भी उनके समझ से बाहर दिखी कि ऑटो, कैब या बस ड्राइवर बार-बार सवारी छोड़ने के बाद गाड़ी को सैनिटाइज कैसे करेंगे। दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल ने बस, ऑटो आदि को चलने की इजाजत तो दी है लेकिन कहा है कि हर सवारी के उतरने के बाद उस सीट को सैनिटाइज करने की जिम्मेदारी ड्राइवर या स्टाफ की होगी जो थोड़ा मुश्किल है।

मज़दूर संगठन सीटू दिल्ली के सचिव सिद्धेश्वर शुक्ला ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में सरकार द्वारा फैक्ट्री और बाकी काम काज के खोले जाने का स्वागत किया लेकिन इसके साथ ही मालिकों और सरकार के मज़दूर विरोधी रवैये की निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ घोषणाएं ही करती है, जमीन पर वो गायब रहती है। यही कारण है कि मज़दूर शहर छोड़कर अपने गांव वापस जा रहे हैं।
 
उन्होने कहा कि सरकार के आदेश के बाद भी अधिकतर मालिकों ने मज़दूरों को वेतन नहीं दिया। मार्च में तो कुछ एक मालिकों ने वेतन दिया भी अप्रैल में तो अधिकांशत मालिकों ने नहीं दिया। उन्होंने सवाल किया क्या यह बिना सरकार के मिलीभगत के हो सकता है? दूसरी तरफ माकन मालिकों ने मज़दूरों से किराया वसूला।

इसके साथ ही उन्होंने सरकार के सभी को भोजन और राशन देने के दावों पर भी सवाल उठाए। शुक्ल कहते हैं कि आज भी बहुत बड़ी संख्या ऐसे मज़दूरों की है जिन्होंने सरकारी राशन के लिए आवेदन किया हुआ है लेकिन वो अभी वोटिंग लिस्ट में है। इसके अलावा जिनका मुफ़्त राशन कूपन आया उन्हें भी भारी दिक्क्तों का सामना करना पड़ा क्योंकि राशन वितरण केंद्र की संख्या इतनी कम थी।

अंत में उन्होंने कि सरकार ने फैक्ट्री खोल दी लेकिन मज़दूर कैसे पहुंचेगा इसकी कोई ठोस योजना उनके पास नहीं है। क्योंकि सरकार की गलत नीतियों के कारण मज़दूर तो शहर से जा चुका है। बहुत सारे मालिक भी इसे एक अवसर की तरह देख रहे हैं। वो पुराने मज़दूरों को हटाकर कम दाम पर नए मज़दूरों को रख रहे है जबकि सरकार और मालिकों को चाहिए कि वो वापस गए मज़दूरों से लौट आने की अपील करे और उनकी जगह नए मज़दूरों को न रखा जाए।

गौरतलब है कि सोमवार को जारी दिशानिर्देश दिल्‍लीवालों के लिए राहत लेकर आया है। इसमें अधिकांश दुकानों के साथ ही मेट्रो को छोड़कर बाकि सार्वजानिक परिवहन सेवा को मंजूरी मिली है।  सभी के लिए कुछ शर्ते जरूर रखी गई हैं।

ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा, साइकल रिक्शा (1 पैसेंजर) के साथ ,टैक्सी, कैब- 2 पैसेंजर के साथ,ग्रामीण सेवा, फटफट सेवा- 2 पैसेंजर, आरटीवी में ज्यादा से ज्यादा 11 पैजेंसर, बसें शुरू होंगी लेकिन उसमे सिर्फ 20 पैसेंजर ही होंगे, बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाएगा।  बस में हर पैसेंजर की स्क्रीनिंग होगी। इसके साथ चार पहिये वाहन में 2 पैजेंसर, दोपहिये पर 1 पैसेंजर की अनुमति दी गई है।

रेस्टोरेंट खोले गए, लेकिन यहाँ आकर खान खा नहीं सकते सिर्फ होम डिलिवरी ही होगी। स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खोले जाएंगे लेकिन सिर्फ खिलाडियों के लिए दर्शकों की इजाजत नहीं होगी।

सभी मार्केट खोले जाएंगे,लेकिन वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए ऑड इवन फॉर्मूला लागू किया गया है। पहले की तरह ही शादी के लिए केवल 50 मेहमान की इजाजत होगी और अंतिम संस्कार के लिए केवल 20 लोगों की इजाजत होगी।

कंस्ट्रक्शन की गतिविधि की इजाजत होगी, लेकिन मज़दूर केवल दिल्ली वाले होंगे। सभी इंडस्ट्री खोली जाएंगी, लेकिन इंडस्ट्री के टाइम अलग अलग होंगे। सभी प्राइवेट और सभी सरकारी दफ्तर खुल गए हैं। बॉर्डर पर सभी जरूरत की सेवा वाले लोगों को इजाजत दी गई। इसके साथ ही सभी तरह का माल ले जा रहे ट्रकों को आने-जाने की इजाजत दी गई है।

मेट्रो,शिक्षण संस्थान ,कॉलेज, स्कूल ,होटल ,सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, बार, सैलून, ऑडिटोरिम बंद ही रहेंगे। किसी भी तरह के बड़े सांस्कृतिक, राजनीतिक या धार्मिक समारोह के आयोजन की इजाजत नहीं हैं। शाम को 7 से सुबह 7 तक घर से निकलने पर पाबंदी जारी है। 65 साल के ऊपर की उम्र के लोग, प्रेग्नेंट महिलाएं को घर में रहना होगा।
 
इसके साथ ही कारपूल यानी कार शेयरिंग की इजाजत नहीं है। हर सवारी उतरने के बाद ड्राइवर की जिम्मेदारी होगी कि वह सवारी वाले इलाके को सैनिटाइज करे। जिस दुकान पर सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं होगी वह बंद कर दी जाएगी। कंटेनमेंट जोन के अंदर किसी भी तरह की कोई गतिविधि की इजाजत नहीं दी जाएगी। पहले की तरह ही दिल्‍ली में मास्‍क पहनना अनिवार्य है। 

Lockdown 4
Delhi
Workers and Labors
Coronavirus
Arvind Kejriwal
gautam gambhir
AAP
BJP

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

उनके बारे में सोचिये जो इस झुलसा देने वाली गर्मी में चारदीवारी के बाहर काम करने के लिए अभिशप्त हैं

आख़िर किसानों की जायज़ मांगों के आगे झुकी शिवराज सरकार

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • CORONA
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 15 हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 278 मरीज़ों की मौत
    23 Feb 2022
    देश में 24 घंटों में कोरोना के 15,102 नए मामले सामने आए हैं। देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 28 लाख 67 हज़ार 31 हो गयी है।
  • cattle
    पीयूष शर्मा
    यूपी चुनाव: छुट्टा पशुओं की बड़ी समस्या, किसानों के साथ-साथ अब भाजपा भी हैरान-परेशान
    23 Feb 2022
    20वीं पशुगणना के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि पूरे प्रदेश में 11.84 लाख छुट्टा गोवंश है, जो सड़कों पर खुला घूम रहा है और यह संख्या पिछली 19वीं पशुगणना से 17.3 प्रतिशत बढ़ी है ।
  • Awadh
    लाल बहादुर सिंह
    अवध: इस बार भाजपा के लिए अच्छे नहीं संकेत
    23 Feb 2022
    दरअसल चौथे-पांचवे चरण का कुरुक्षेत्र अवध अपने विशिष्ट इतिहास और सामाजिक-आर्थिक संरचना के कारण दक्षिणपंथी ताकतों के लिए सबसे उर्वर क्षेत्र रहा है। लेकिन इसकी सामाजिक-राजनीतिक संरचना और समीकरणों में…
  • रश्मि सहगल
    लखनऊ : कौन जीतेगा यूपी का दिल?
    23 Feb 2022
    यूपी चुनाव के चौथे चरण का मतदान जारी है। इस चरण पर सभी की निगाहें हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में हर पार्टी की गहरी हिस्सेदारी है।
  • Aasha workers
    वर्षा सिंह
    आशा कार्यकर्ताओं की मानसिक सेहत का सीधा असर देश की सेहत पर!
    23 Feb 2022
    “....क्या इस सबका असर हमारी दिमागी हालत पर नहीं पड़ेगा? हमसे हमारे घरवाले भी ख़ुश नहीं रहते। हमारे बच्चे तक पूछते हैं कि तुमको मिलता क्या है जो तुम इतनी मेहनत करती हो? सर्दी हो या गर्मी, हमें एक दिन…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License