NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एल्गार मामला: अदालत ने रोना विल्सन, शोमा सेन की याचिकाओं पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा
न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं रोना विल्सन और शोमा सेन की उन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने करे।  
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 May 2021
एल्गार मामला: अदालत ने रोना विल्सन, शोमा सेन की याचिकाओं पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा

बम्बई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सामाजिक कार्यकर्ताओं रोना विल्सन और शोमा सेन की उन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करे जिसमें उन्होंने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में अपने खिलाफ आरोप रद्द करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने मामले की जांच कर रही एनआईए को भी निर्देश दिया कि वह सेन की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे।

विल्सन और सेन ने इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय में अपनी याचिका दायर की थी। इसमे अमेरिकी कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग की उस रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि विल्सन के कंप्यूटर में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य डाले गए थे।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इस तरह के सबूतों से छेड़छाड़ विल्सन और उनके सह-आरोपी को मामले में फंसाने के लिए की गई थी।

पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विल्सन की याचिका पर अपना जवाब दायर किया था और अमेरिकी कंपनी की रिपोर्ट से असहमति जतायी थी।

जांच एजेंसी ने कहा कि वह रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों और दावों का खंडन कर रही है। एजेंसी ने अदालत से विल्सन की याचिका खारिज करने का आग्रह किया था।

मंगलवार को एनआईए के लिए पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने सेन की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा।

याचिकाकर्ताओं की वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत को बताया कि उन्होंने याचिका में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत याचिकाकर्ताओं पर मामला चलाने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2018 में दी गई मंजूरी को भी चुनौती दी है।

उन्होंने दावा किया कि मंजूरी उचित विचार किये बिना दी गई थी। उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार मंजूरी प्राधिकारी थी, इसलिए उसे दोनों याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए।

जयसिंह ने दावा किया कि इस मामले में तत्कालीन जांच अधिकारी (आईओ) शिवाजी पवार मंजूरी प्राधिकार को सभी कागजात मुहैया कराने में विफल रहे थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि जांच अधिकारी ने जानकारी दबा दी थी, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक सबूतों से छेड़छाड़ के सवाल पर।

उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी, जो इस मामले में एक पक्षकार थे और उन्हें याचिकाओं पर अलग से जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र सरकार के वकील दीपक ठाकरे ने जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा।

ठाकरे ने यह भी कहा कि वह इस बारे में निर्देश लेंगे कि क्या जांच अधिकारी इस मामले में एक पक्षकार के रूप में जवाब दे सकते हैं।

अदालत याचिकाओं पर 16 जून को आगे की सुनवाई करेगी।

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि इससे शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा भड़की।

पुणे पुलिस ने दावा किया कि सम्मेलन माओवादियों द्वारा समर्थित था।

आपको बता दे इसी मामले में देश के कई बुद्धजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित समाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े के अतिरिक्त, सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। यह सभी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सुधा भरद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिंडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं।

महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद केन्द्र सरकार ने इस केस को एनआईए के हाथों में सुपुर्द कर दिया था। 18 माह बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया झेलने के बाद 14 अप्रैल 2020, को गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। तब से ही ये दोनों भी जेल में है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Bombay High Court
NIA
Rona Wilson
Shoma Sen

Related Stories

"पॉक्सो मामले में सबसे ज़रूरी यौन अपराध की मंशा, न कि ‘स्किन टू स्किन’ टच!"

क्रूज ड्रग्स पार्टी केस: बंबई उच्च न्यायालय ने आर्यन खान को दी जमानत

बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब क्या करेंगे राज्यपाल कोश्यारी?

भीमा कोरेगांव मामलें में आरोपी रोना विल्सन के पिता की मौत

आज भी न्याय में देरी का मतलब न्याय न मिलना ही है

एल्गार परिषद मामले में पुणे के न्यायाधीश का क्षेत्राधिकार होने के कागजात पेश करिए :उच्च न्यायालय

धर्म, क़ानून और स्वामीः क्रूर होते समाज में न्याय और करुणा के स्वर

बॉब डिलन से प्रेरित : "हू किल्ड स्टेन स्वामी?"

दुख की बात है कि हमारे समाज में फादर स्टेन स्वामी जैसे लोग हीरो नहीं बनते!

गुलशन कुमार हत्याकांड: अदालत ने निर्माता रमेश तौरानी को बरी करने का फैसला रखा बरकरार


बाकी खबरें

  • मुकुल सरल
    ज्ञानवापी प्रकरण: एक भारतीय नागरिक के सवाल
    17 May 2022
    भारतीय नागरिक के तौर पर मेरे कुछ सवाल हैं जो मैं अपने ही देश के अन्य नागरिकों के साथ साझा करना चाहता हूं। इन सवालों को हमें अपने हुक्मरानों से भी पूछना चाहिए।
  • ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई
    17 May 2022
    कोविड-19 महामारी लोगों को एक साथ ला सकती थी। यह महामारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) जैसे वैश्विक संस्थानों को मज़बूत कर सकती थी और सार्वजनिक कार्रवाई (पब्लिक ऐक्शन) में नया विश्वास जगा सकती थी…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 
    17 May 2022
    “सत्ता से सहमत होने के लिए बहुत से लोग हैं यदि पत्रकार भी ऐसा करने लगें तो जनता की समस्याओं और पीड़ा को स्वर कौन देगा?“
  • ukraine
    सी. सरतचंद
    यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 
    16 May 2022
    यूरोपीय संघ के भीतर रुसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने के हालिया प्रयास का कई सदस्य देशों के द्वारा कड़ा विरोध किया गया, जिसमें हंगरी प्रमुख था। इसी प्रकार, ग्रीस में स्थित शिपिंग कंपनियों ने यूरोपीय…
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रती Tool-Kit : ज्ञानवापी विवाद से लेकर कर्नाटक में बजरंगी हथियार ट्रेनिंग तक
    16 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि किस तरह से नफ़रती Tool-Kit काम कर रही है। उन्होंने ज्ञानवापी विवाद से लेकर कर्नाटक में बजरंगी शौर्य ट्रेनिंग में हथियारों से लैस उन्माद पर सवाल उठाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License