NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन : चढूनी ने कहा “यह आज़ादी की दूसरी लड़ाई है”
किसान आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को हरियाणा के बहादुरगढ़ में हुई किसान मज़दूर महापंचायत की ग्राउंड रिपोर्ट।
मुकुंद झा
13 Feb 2021
किसान आंदोलन

किसान आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को हरियाणा के बहादुरगढ़ में एक बड़ी किसान मज़दूर महापंचायत हुई। देश में हो रही बाकी पंचायतों की तरह ही हज़ारों-हज़ार लोगो का हुजूम आया। इस पंचायत में आए लोग पूरी गंभीरता से किसान नेताओं को सुनने आए थे। आने वाले सब लोग पूरी तरह से जानते थे कि ये पंचायत क्यों की जा रही है। इस पंचायत में शामिल लोगों से हमने बात की, सभी ने लगभग एक बात कही कि वो किसान हैं और पूरी तरह से इस आंदोलन के साथ हैं।

इस पंचायत को सर्वजातीय बनाया गया था।  इसमें जाट, राजपूत, पाल और अनुसूचित समाज के लोग भी शामिल हुए। हालाँकि इसकी प्रमुख आयोजक दलाल 84 खाप थी।

अपनी ओर से कई बाल्टियों में पानी और गिलास के साथ बैठे रामऋषि दलाल विनम्रता से प्रत्येक व्यक्ति को पानी पिला रहे थे। दलाल, जो हरियाणा के बहादुरगढ़ के मैनाट का निवासी हैं, वो यहां तीन कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) बिल 2020 के खिलाफ आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करने के लिए सर्व-जाति दलाल खाप 84  द्वारा महापंचायत में भाग लेने के लिए आए थे। आपको मालूम है कि दिल्ली की सीमाओं पर 79 दिन से किसान तीन कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद को सुनिश्चित बनाने वाले कानून की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

दलाल, एक किसान हैं वो छह एकड़ जमीन के मालिक हैं। वो भी इस नए कानूनों से गुस्से में थे। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए , उन्होंने कहा: "हमारे गाँवों में परिवारों के पशुओं को पशु जनगणना में गिना जाने के बाद वाणिज्यिक बिजली कनेक्शन लेने के लिए दबाव डाला जाता है।" दलाल यहां एक नए नियम का जिक्र कर रहे थे, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में यदि घर में दो से अधिक भैंस हैं तो लोगों को वाणिज्यिक बिजली कनेक्शन लेने के लिए बाध्य किया जाता था।

मंच से लगातार किसान नेताओं द्वारा हरियणा की सरकार पर दबाब डालने को कहा जा रहा था। संयुक्त मोर्चा के नेता दर्शनपाल ने तो मंच से लोगों से अपील की कि जनता बीजेपी की राज्य में सहयोगी जेजेपी पर दबाव डाले और हरियाणा की सरकार को उखाड़ दे। क्योंकि ये केवल सरकार के जाने से डरते हैं।

जब हमने रामऋषि से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के अध्यक्ष और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर सवाल किया कि वो किसानो के साथ नहीं हैं? तो उन्होंने कहा, “हर परिवार के पास एक बिगड़ैल लड़का होता है, लेकिन अगर वो हमारे साथ नहीं है तो हम उसे किसानों की एकता की ताकत दिखाएँगे।

रविन्द्र जो झज्जर जिले के भदानी गांव से आए थे ,वो कृषि कानून लाने से तो गुस्सा थे ही लेकिन वो इससे भी आहत थे कि जिसपर प्रकार किसानों को देशद्रोही ,आतंकी ,या खुद प्रधानमंत्री द्वारा आन्दोलनजीवी या परजीवी कहा गया। रविंद्र ने कहा हमने हमेशा इन लोगों का साथ दिया लेकिन अब जब हम उनकी गलती बता रहे हैं तो वो हमें बदनाम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ये सरकार घमंड में है। उसने रेल ,भेल ,सेल बेचा किसी ने कुछ नहीं कहा अब ये हमारी खेती बेचने आई है, लेकिन ऐसा नहीं होगा। हम लड़ेंगे अगर सरकार को लगता है कुछ भ्रमित लोग हैं तो वो कोई भी चुनाव करा ले। उसको पता चल जाएगा।

बहादुरगढ़ के आसपास के गाँवों को इस पूरे आयोजन का प्रबंध करने के जिम्मेदारी दी गई थी। यह पूरा आयोजन अनुशसित लग रहा था। सब कर्यकर्ताओं को उनके रोल पता था और सब उसे ठीक से निभा रहे थे। आयोजकों ने बताया कि प्रत्येक गांव को विशिष्ट कर्तव्य सौंपा गया है जिससे यहां आने वालो को कोई तकलीफ न हो। आपको बता दें कि हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुक़्क़ा की परंम्परा है। इसकी ज़िम्मेदारी मांडोठी (Mandothi) के लोगों को दी गई थी। वो इसके लिए तंबाकू और आग की व्यवस्था कर रहे थे।

इसी तरह, छारा गाँव के स्वयंसेवक पार्किंग की व्यवस्था देख रहे थे, ताकि यातायात सुचारू रूप से चल सके और किसी भी दुर्घटना को रोका जा सके। असोदा के लोगों को भोजन की जिम्मेदारी दी गई थी।

नरेंद्र दलाल, जो छारा से यहां आए थे , उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन कानूनों की तुलना दहेज और सती प्रथा के खिलाफ बने कानून की तुलना में करने पर कहा, "वह इस तथ्य को आसानी से क्यों भूल रहे हैं कि इन सामाजिक बीमारियों (कुरीतियों) के खिलाफ कानून समाज के महत्वपूर्ण वर्गों द्वारा सुधारों के लिए किए गए आंदोलनों के बाद लाए गए थे। वह इस तथ्य को भी आसानी से भूल रहे हैं कि यह कृषि थी जिसने महामारी के दौरान गिरती अर्थव्यवस्था को संभाला। उन्होंने कहा 'यह किसान विरोधी कानून है और हम स्पष्ट कह रहे हैं कि हम एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं और जब तक ये कानून निरस्त नहीं हो जाते, हम वापस नहीं लौटेंगे। '

रंजीता जो एक महिला थी और इस महापंचायत में शामिल हुई थी। उन्होंने सरकार द्वारा किसान आंदोलन के आसपास के इलाकों के घेराबंदी पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह का इंतज़ाम बॉर्डर पर करती सरकार तो चीन हमारी सीमा में न घुसता। उन्होंने खाप पंचायतों का भी शुक्रिया किया और कहा कि जिस तरह से ये पंचायत किसानों के साथ आई है। इससे अब किसान अपनी निर्णायक लड़ाई जरूर जीतेगा।

किसानों ने यह भी कहा कि आंदोलन समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाया, जो बीजेपी द्वारा 35 जातियों बनाम जाटों के अभियान चलाने के बाद से टूटता दिख रहा था। , एक और किसान राकेश कुमार, ने कहा कि विभाजन "हमारे क्षेत्र में कभी काम नहीं किया लेकिन यह सच है कि समुदायों के बीच की खाई कम हो गई है। मुझे आपको बताना चाहिए कि वाल्मीकि और जाटव जैसे दलित समुदाय इस विरोध में अधिक मुखर हैं क्योंकि वे समझते हैं कि वे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। मोदी के शासन में हमें क्या मिला? उन्होंने वादा किया कि आम लोगों को उनके खातों में एलपीजी गैस सब्सिडी मिलेगी। उन्होंने कहा, क्या आप जानते हैं कि सब्सिडी के बदले हमें क्या मिला? 1.40 रुपये मिले है।”

उन्होंने दावा किया कि सरकार प्रधानमंत्री किसान निधि के हिस्से के रूप में प्रति वर्ष 6,000 रुपये दे रही है, लेकिन साथ ही साथ कई पेंशन योजनाओं को भी समाप्त कर रही है। उन्होंने कहा, "जल्द ही, राशन का सार्वजनिक वितरण समाप्त कर दिया जाएगा और हमें अपने खातों में भी इसके लिए एक अधिकार मिल जाएगा।"

साथ ही यहां आये कई किसानो ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत मंजूर किए गए ऋणों के वितरण में विसंगतियों को भी उजागर किया। किसानों ने बताया कि सरकार के दावों के विपरीत हमें बैंक महंगे दरों पर लोन देता है और एक साथ पैसे लौटने के लिए दबाव डालता है।

किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान आज़ादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहा है यह लड़ाई आर्थिक आज़ादी की है।

उन्होंने कहा “यह लड़ाई अकेले कृषि कानूनों के बारे में नहीं है। बल्कि देश में बढ़ती असमानता के खिलाफ है। इस देश में एक व्यक्ति प्रति घंटे 90 करोड़ रुपये कमा रहा है, जबकि दूसरा व्यक्ति प्रति घंटे 9 रुपये कमाने के लिए संघर्ष कर रहा है। हमारे किसानों को छोटे ऋणों की वसूली के लिए परेशान किया जा रहा है। परिणामस्वरूप वे आत्महत्या करके मर जाते हैं। क्या आपने कॉरपोरेट्स को इस तरह का कदम उठाने के बारे में सुना है? एक अनुमान बताता है कि एमएसपी का पालन न करने के कारण किसानों को चार लाख करोड़ रुपये कम मिल रहे हैं। यह हमारी गरिमा को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष है। ”

सभी हलचल के बीच, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने मंच से घोषणा की, "मेरे प्यारे भाइयों, कृपया ध्यान रखें कि किसानों को हमेशा अलग अलग नाम दिया जाता था। सर छोटू राम को कभी छोटू खान कहा जाता था, चौधरी चरण सिंह को जाट नेता के रूप में अलग थलग करने का प्रयास हुआ। हमें विभाजित करने के लिए यह रणनीति रहती है।”

किसान नेता दीप सिंह जो कृति किसान यूनियन के नेता हैं उन्होंने संसद में दिए प्रधानमंत्री के बयान पर कहा कि हमे गर्व है हम आंदोलनजीवी हैं और किसान भ्रमित नहीं बल्कि सरकार किसानों को बहकाने की कोशिश कर रही है। हमने सरकार को कहा है वो हमारे मंच से आकर खुद किसानों को समझा दे।  

farmers protest
Farm bills 2020
Kisan Mahapanchayat
Bahadurgarh Mahapanchayat
Kisan Mazdoor Mahapanchayat
ground report
Indian Farmer's Union
Gurnam Singh Chadhuni

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

किसान आंदोलन ने देश को संघर्ष ही नहीं, बल्कि सेवा का भाव भी सिखाया

इतवार की कविता : 'ईश्वर को किसान होना चाहिये...

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

जीत कर घर लौट रहा है किसान !


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License