NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रामदेव विरोधी लिंक हटाने के आदेश के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया की याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को अलग किया
फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने एकल न्यायाधीश वाली पीठ के 23 अक्टूबर 2019 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें और गूगल की अनुषंगी कंपनी यूट्यूब को रामदेव के खिलाफ मानहानिकारक आरोपों वाले वीडियो के लिंक को वैश्विक स्तर पर हटाने, निष्क्रिय या ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है।
भाषा
23 Feb 2022
चित्र साभार: द ट्रिब्यून इंडिया

दिल्ली: उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को फेसबुक, ट्विटर और गूगल की उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिनमें योग गुरु रामदेव के खिलाफ मानहानिकारक आरोपों वाले वीडियो लिंक वैश्विक स्तर पर हटाने, निष्क्रिय या ब्लॉक करने के आदेश को चुनौती दी गई है।

यह मामला न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था। पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सांघी ने याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि इन्हें 21 मार्च को एक अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, जिसके वह सदस्य नहीं हैं।

फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने एकल न्यायाधीश वाली पीठ के 23 अक्टूबर 2019 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें और गूगल की अनुषंगी कंपनी यूट्यूब को रामदेव के खिलाफ मानहानिकारक आरोपों वाले वीडियो के लिंक को वैश्विक स्तर पर हटाने, निष्क्रिय या ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है।

एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने कहा था कि केवल ‘जियो-ब्लॉकिंग’ या अपमानजनक सामग्री तक भारतीय उपयोगकर्ताओं की पहुंच बाधित करना, जैसा कि सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सहमति जताई गई है, काफी नहीं होगा, क्योंकि यहां रहने वाले यूजर अन्य माध्यमों से उस तक पहुंच हासिल कर सकते हैं।

पीठ ने कहा था, ‘पहुंच बाधित करना मध्यस्थों (सोशल मीडिया कंपनियों) की जिम्मेदारी है, जिसे पहुंच को पूरी तरह से बाधित करने के रूप में पढ़ा जाना चाहिए, न कि आंशिक रूप से बाधित करने के रूप में।’ यह देखते हुए कि ‘प्रौद्योगिकी और कानून के बीच की दौड़ को खरगोश और कछुए के बीच की दौड़ करार दिया जा सकता है, क्योंकि प्रौद्योगिकी सरपट दौड़ती है, जबकि कानून गति बनाए रखने की कोशिश करता है’, अदालत ने कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायिक आदेश प्रभावी हैं।

अदालत ने सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश दिया था कि भारत के भीतर से उनके कंप्यूटर नेटवर्क पर अपलोड की गई सभी आपत्तिजनक सामग्री को ‘वैश्विक स्तर पर निष्क्रिय और ब्लॉक करना होगा।’ अदालत ने यह निर्देश तब जारी किया था, जब सोशल मीडिया कंपनियों ने कहा था कि जहां तक भारत में पहुंच का संबंध है, उन्हें यूआरएल को निष्क्रिय या ब्लॉक करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वे वैश्विक स्तर पर अपमानजनक सामग्री को हटाने/निष्क्रिय/ब्लॉक करने के खिलाफ हैं। मानहानिकारक वीडियो में रामदेव पर लिखी गई एक किताब के अंश शामिल थे, जिन्हें सितंबर 2018 में उच्च न्यायालय ने हटाने का आदेश दिया था।

Baba Ramdev
Patanjali
Social Media
freedom of expression

Related Stories

डराये-धमकाये जा रहे मीडिया संगठन, लेकिन पलटकर लड़ने की ज़रूरत

कैसे राष्ट्रीय बैंकों के समर्थन से रुचि सोया के ज़रिये अमीर बनी पतंजलि

पेट्रोल डीजल के दाम याद दिलाया तो धमकाने लगे रामदेव!

यूपी बोर्डः पेपर लीक मामले में योगी सरकार के निशाने पर चौथा खंभा, अफ़सरों ने पत्रकारों के सिर पर फोड़ा ठीकरा

परदे से आज़ादी-परदे की आज़ादी: धर्म और शिक्षा से आगे चला गया है हिजाब का सवाल

जम्मू-कश्मीर में मीडिया का गला घोंट रही सरकार : प्रेस काउंसिल

राइट्स ग्रुप्स ने की पत्रकार फ़हाद शाह की रिहाई और मीडिया पर हमलों को बंद करने की मांग

यूपी चुनावः कॉरपोरेट मीडिया के वर्चस्व को तोड़ रहा है न्यू मीडिया!

पत्रकारों पर बढ़ते हमले क्या आलोचना की आवाज़ दबाने की कोशिश है?

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License