NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
संसदीय समिति ने हाथों से मैला ढोने वालों के लिये बेहतर रोज़गार के अवसर पर ज़ोर दिया
राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पहचाने गए हाथों से मैला ढोने वाले 48,687 लोगों में से केवल 30,246 लोगों के पुनर्वास के लिये स्व रोजगार योजना के तहत एक मुश्त आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया है।
भाषा
09 Feb 2021
संसदीय समिति ने हाथों से मैला ढोने वालों के लिये बेहतर रोज़गार के अवसर पर ज़ोर दिया

नयी दिल्ली: संसद की एक समिति ने इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पहचाने गए हाथों से मैला ढोने वाले 48,687 लोगों में से केवल 30,246 लोगों के पुनर्वास के लिये स्व रोजगार योजना के तहत एक मुश्त आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया है।

समिति ने हाथों से मैला ढोने वालों के लिये बेहतर रोजगार के अवसर सृजित करने के महत्व को रेखांकित किया है ताकि वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें ।

लोकसभा में पेश सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति के दसवें प्रतिवेदन में यह बात कही गई है ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान किये गए बैंक खातों, पते आदि के कथित तौर पर अधूरे विवरण के कारण हाथों से मैला ढोने वाले शेष लोगों को एक मुश्त आर्थिक सहयोग राशि प्रदान नहीं की जा सकी ।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने मार्च 2020 में सभी राज्यों को इस संबंध में एक पत्र जारी किया था ।

समिति के विचार में एक मुश्त आर्थिक सहयोग को सरकार की प्रतिबद्धता के अनुसार हाथों से मैला ढोने वाले सभी लोगों को प्रदान की जानी चाहिए ।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति यह भी ध्यान देती है कि हाथों से मैला ढोने वाले 9563 लोगों या उनके आश्रितों के एक छोटे से वर्ग ने अब तक कौशल विकास प्रशिक्षण का विकल्प चुना है। उन्हें लगता है कि यद्यपि इस योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण स्वैच्छिक है लेकिन विभाग द्वारा कौशल प्रशिक्षण के लिये अधिक से अधिक संख्या में हाथों से मैला ढोने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे बेहतर रोजगार के अवसरों का सृजन/उपयोग कर सकें और गरिमापूर्ण जीवन जी सकें ।’’

समिति ने सुझाव दिया कि विभाग को राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए जन प्रतिनिधियों के सुझाव इस विषय पर आमंत्रित करना चाहिए ।

manual scavenger
Parliamentary committee
social justice
social equality

Related Stories

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

"सरकार इंसाफ करें, नहीं तो हमें भी गटर में मार दे"

आईआईटी में शिक्षक पदों में आरक्षण खत्म करने का प्रस्ताव दोषपूर्ण!

71 साल के गणतंत्र में मैला ढोते लोग  : आख़िर कब तक?

स्वच्छ होता भारत बनाम मैला ढोता भारत


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License