NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
मस्जिद में नाबालिग से बलात्कार, सुरक्षा के असल मुद्दे को सांप्रदायिकता का ऐंगल देने की कोशिश!
इस घटना के बाद कई लोग कह रहे हैं कि कठुआ मामले में न्याय मांगने वाले अब चुप क्यों हैं, सिर्फ इसलिए कि ये घटना मस्जिद में हुई है मंदिर में नहीं। यहां ये समझने की जरूरत है कि मामला मंदिर-मस्जिद का है ही नहीं, असल मामला बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का है, जो सांप्रदायिकता की नफरत के बीच कहीं खो गया है। 
सोनिया यादव
03 Jun 2021
मस्जिद में नाबालिग से बलात्कार, सुरक्षा के असल मुद्दे को सांप्रदायिकता का ऐंगल देने की कोशिश!
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

यूं तो हमारे देश में बच्चों को ईश्वर का अवतार माना जाता है, लेकिन अब ईश्वर के लिए बने स्थानों से ही उनके शोषण और उत्पीड़न की खबरें आना महज़ चिंताजनक ही नहीं हैरान करने वाला मुद्दा भी है। कुछ ही महीने पहले उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर में एक मंदिर से पानी पीने के लिए पीटे गये मुस्लिम लड़के की खबर ने दिल दहला दिया था। अब राजधानी दिल्ली की एक मस्जिद में पानी भरने गई 12 साल की एक नाबालिग से रेप का मामला सामने आया है। इस घटना के सामने आने के बाद देश में एक बार फिर मंदिर-मस्जिद और हिंदू-मुसलमान की बेहस तेज़ हो गई है, हालांकि इन सब के बीच बच्चों के सुरक्षित बचपन और महिलाओं की सुरक्षा का असल मुद्दा कहीं खो गया है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हर्ष विहार इलाके में रविवार, 30 मई की देर शाम जब एक 12 साल की बच्ची मस्जिद में पानी लेने गई, तब वहां मौजूद 48 साल के आरोपित मौलवी ने पहले उसे रोका और फिर बाद उसका बलात्कार किया। पीड़िता ने घर जाने के बाद अपने परिजनों को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचित किया। घटना की जानकारी मिलते ही मस्जिद के बाहर आक्रोशित लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई और नाबालिग के लिए न्याय की मांग करने लगी।

पुलिस ने नाबालिग लड़की को तुरंत मेडिकल जांच के लिए भेजा। साथ ही दिल्ली महिला आयोग के काउंसिलिंग टीम ने नाबालिग की काउंसलिंग की जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी। हालांकि मस्जिद के आसपास के लोग न तो आरोपी मौलाना का पूरा नाम पता था और ना ही उनके पास मौलाना की कोई तस्वीर थी। दिल्ली पुलिस ने आसपास का सीसीटीवी फुटेज खंगाला जिसमें मौलाना की तस्वीर मिली। तस्वीर के आधार पर मुखबिरों को अलर्ट किया गया जिसके बाद मौलाना की लोकेशन गाजियाबाद के लोनी इलाके में मिली और फिर उसकी गिरफ्तारी हुई।

पुलिस ने बताया कि आरोपी राजस्थान के भरतपुर जिले का रहने वाला है और लोनी में एक किराए के मकान में रहता है। वो ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है और  कई मस्जिदों में इमाम का करता है। इसके अलावा वह शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं।  लेकिन उसका कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं हैं।

सांप्रदायिकता की नफरत के बीच सुरक्षा का मुद्दा गायब!

पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने मौलवी को अदालत में पेश किया, जहां उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने मौलवी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 यानी बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधित अधिनियम पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर किया है। जो इस महामारी के बीच भी सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है। इस घटना के बाद कई लोग कह रहे हैं कि कठुआ मामले में न्याय मांगने वाले अब चुप क्यों हैं, सिर्फ इसलिए की ये घटना मस्जिद में हुई है मंदिर में नहीं। यहां ये समझने की जरूरत है कि मामला मंदिर-मस्जिद का है ही नहीं, असल मामला बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का है, जो सांप्रदायिकता की नफरत के बीच कहीं खो गया है।

साल 2018 में कठुआ और उन्नाव दोनों मामलों को लेकर देश में जोरदार आक्रोश देखने को मिला था। क्योंकि दोनों ही जगह नाबालिगों को हवस का शिकार बनाया गया था। हालांकि उससे पहले और उसके बाद भी हालात कुछ अलग नहीं रहे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में साल 2017 में पोक्सो के तहत यौन अपराधों के कुल 32,608 मामले दर्ज किए गए तो वहीं साल 2018 में ये आंकड़ा बढ़कर 39,827 हो गया। डाटा के मुताबिक 39,827 में से नाबालिगों से रेप के कुल 21,000 मामले रिपोर्ट किए गए थे। यानी विक्टिम छोटी बच्चियां थीं। वहीं इसी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2019 में बलात्कार के कुल 31,755 मामले दर्ज किए गए, यानी औसतन प्रतिदिन 87 मामले।

सामाजिक तंत्र और कानूनी संस्थाएं बच्चों के लिए क़तई दोस्ताना नहीं हैं!

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन रिपोर्ट बताती हैं कि हर साल बच्चों के यौन शोषण के तकरीबन तीन हजार मामले निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत तक पहुंच ही नहीं पाते, क्योंकि पुलिस पर्याप्त सबूत और सुराग नहीं मिलने के कारण इन मामलों की जांच को अदालत में आरोपपत्र दायर करने से पहले ही बंद कर देती है। इसमें 99 फीसदी मामले बच्चियों के यौन शोषण के ही होते हैं। इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जारी इस अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया कि 2017 से 2019 के बीच उन मामलों की संख्या बढ़ी है जिन्हें पुलिस ने आरोप पत्र दायर किए बिना जांच के बाद बंद कर दिया।

फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, हर दिन यौन अपराधों के शिकार चार बच्चों को न्याय से वंचित किया जाता है और ज़मीनी स्तर पर पॉक्सो एक्ट को बहुत ही ख़राब तरीक़े से लागू किया जाता है। इस अध्ययन में कहा गया है कि पूरे भारत में हर साल बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि हो रही है। ऐसे में ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि हमारा सामाजिक तंत्र और कानूनी संस्थाएं बच्चों के लिए क़तई दोस्ताना नहीं हैं। कुल मिलाकर देखें तो देश में बच्चों के लिए माहौल निराशाजनक और डराने वाला होता जा रहा है।

Delhi Rape Case
rape case
Minor girl case
Girl child
delhi police
communal politics
crimes against women
violence against women

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

यूपी: अयोध्या में चरमराई क़ानून व्यवस्था, कहीं मासूम से बलात्कार तो कहीं युवक की पीट-पीट कर हत्या

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License