NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केरल के पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी ज़मानत, यूपी सरकार को नोटिस जारी किया
पत्रकारों के संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गिरफ़्तार पत्रकार को जमानत देने का अनुरोध किया और कहा कि मथुरा में दर्ज प्राथमिकी में उसके ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं है।
भाषा
16 Nov 2020
केरल के पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी ज़मानत, यूपी सरकार को नोटिस जारी किया

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद जान गंवाने वाली दलित युवती के घर हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने हालांकि इस पत्रकार की जमानत के लिये केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की याचिका 20 नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दी लेकिन साथ ही सवाल किया कि इसी राहत के लिये यूनियन इलाहाबाद उच्च न्यायालय क्यों नहीं गयी?

पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह इस समय मामले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी नहीं है।’’

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाये जिसका जवाब 20 नवंबर तक देना है। इस बीच, याचिकाकर्ता (यूनियन) को प्रतिवादी राज्य सरकार के स्थाई वकील को याचिका की प्रति देने की अनुमति दी जाती है।

पत्रकारों के संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गिरफ्तार पत्रकार को जमानत देने का अनुरोध किया और कहा कि मथुरा में दर्ज प्राथमिकी में उसके खिलाफ कुछ भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह प्राथमिकी पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित संबंधों के संदेह में चार व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज की गयी है।

पीएफआई पर पहले भी आरोप लगा है कि उसने इस साल के प्रारंभ में देश भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आन्दोलन के लिये धन मुहैया कराया था।

उन्होंने कहा, ‘‘प्राथमिकी में उसका नाम नहीं है। किसी तरह के अपराध का आरोप नहीं है। वह पांच अक्टूबर से जेल में है।’’

शीर्ष अदालत ने जब यह कहा कि पत्रकारों के संगठन को सीधे यहां नहीं आना चाहिए था, तो सिब्बल ने कहा, ‘‘आपने अनुच्छेद 32 के तहत ऐसा किया है।’’

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकारों के प्रति भलीभांति सचेत हैं। हम यह देख रहे हैं कि अनुच्छेद 32 की याचिकाओं की बाढ़ आयी हुयी है।’’

इस मामले में उच्च न्यायालय नहीं जाने के बारे में सवाल करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम इस मामले के मेरिट पर नहीं है। आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं गये।?’’

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा और इस दौरान पत्रकारों का संगठन राहत के लिये इलाहाबाद उच्च न्यायालय जा सकता है।

पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को पांच अक्टूबर को हाथरस जाते समय रास्ते में गिरफ्तार किया गया था। वह हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुयी दलित युवती के घर जा रहे थे। इस युवती की बाद में सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।

पत्रकारों के इस संगठन ने पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और उसे तत्काल पेश करने और इस ‘गैरकानूनी हिरासत’ से तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया था।

हालांकि, पुलिस ने कहा था कि उसने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध रखने वाले चार व्यक्तियों को मथुरा में गिरफ्तार किया है जिनके नाम-मलापुरम निवासी सिद्दीकी, मुजफ्फरनगर निवासी अतीकुर रहमान, बहराइच निवासी मसूद अहमद और रामपुर निवासी आलम हैं।

इन गिरफ्तारियों के चंद घंटे बाद ही केरल के पत्रकारों के इस संगठन ने सिद्दीकी की पहचान केरल के मलापुरम निवासी सिद्दीकी कप्पन के रूप में की और कहा कि वह दिल्ली स्थित एक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

याचिका में कहा गया कि यह गिरफ्तारी शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुये पत्रकार के काम में बाधा डालने की मंशा से की गयी है। याचिका में कहा गया कि इस पत्रकार के परिवार या उनके सहयोगियों को गिरफ्तारी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी।

हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को एक 19 साल की दलित युवती से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की घटना सुर्खियों में थी। इस वारदात में बुरी तरह जख्मी युवती की बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्तपाल में मृत्यु हो गयी थी।

प्राधिकारियों ने भोर होने से पहले ही पीड़िता के पार्थिव शरीर का उसके परिजनों की कथित रूप से सहमति के बगैर ही अंतिम संस्कार कर दिया था।

Kerala
Supreme Court
kapil sibbal
UttarPradesh
UP police
journalist Siddique Kappan
Unlawful Activities Prevention Act

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License