NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
समाज
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और...
“मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से”, रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की यह कविता बार-बार याद आती है। जब-जब हाथरस होता है, जब-जब निर्भया मारी जाती है, तब-तब यह कविता और ज़ोर से आंखों के आगे कौंधने लगती है, नींद में सुनाई देने लगती है। जब वह कहते हैं कि “वह लाश जली नहीं है, जलाई गई है/ ये हड्डियां बिखरी नहीं है, बिखेरी गई हैं/ ये आग लगी नहीं है, लगाई गई है/ ये लड़ाई छिड़ी नहीं है, छेड़ी गई है…” तब-तब लगता है कि वे आज अभी बात कर रहे हैं। जो हमारे सामने घट रही है। इतवार की कविता में एक बार फिर पढ़ते हैं विद्रोही जी की यही कविता।
न्यूज़क्लिक डेस्क
04 Oct 2020
हाथरस पीड़िता की चिता
हाथरस पीड़िता की चिता। जो आज भी हमारे सामने कई धधकते सवाल खड़े कर रही है। फोटो साभार : News18Hindi

मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से

 

मैं साइमन

न्याय के कटघरे में खड़ा हूं

प्रकृति और मनुष्य मेरी गवाही दे!

मैं वहां से बोल रहा हूं जहां

मोहनजोदड़ो के तालाब के आखिरी सीढ़ी है

जिस पर एक औरत की जली हुई लाश पड़ी है

और तालाब में इंसानों की हड्डियां बिखरी पड़ी हैं

इसी तरह एक औरत की जली हुई लाश

आपको बेबीलोनिया में भी मिल जाएगी

और इसी तरह इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां

मेसोपोटामिया में भी मिल जाएँगी

 

मैं सोचता हूं और बारहा सोचता हूं

कि आखिर क्या बात है कि

प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर

एक औरत की जली हुई लाश मिलती है

और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं

जिनका सिलसिला

सीथिया की चट्टानों से लेकर

सवाना के जंगलों तक फैला है.

 

एक औरत जो मां हो सकती है

बहन हो सकती है

बीवी हो सकती है

बेटी हो सकती है, मैं कहता हूं

तुम हट जाओ मेरे सामने से

मेरा खून कलकला रहा है

मेरा कलेजा सुलग रहा है

मेरी देह जल रही है

मेरी मां को, मेरी बहन को, मेरी बीवी को

मेरी बेटी को मारा गया है

मेरी पुरखिनें आसमान में आर्तनाद कर रही हैं

मैं इस औरत की जली हुई लाश पर

सिर पटक कर जान दे देता

अगर मेरी एक बेटी ना होती

तो और बेटी है कि कहती है

कि पापा तुम बेवजह ही

हम लड़कियों के बारे में इतना भावुक होते हो

हम लड़कियां तो लकड़ियां होती हैं

जो बड़ी होने पर चूल्हे में लगा दी जाती हैं.

 

और वे इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां

रोमन गुलामों की भी हो सकती हैं

और बंगाल के जुलाहों की भी

या अति आधुनिक वियतनामी, फिलिस्तीनी, इराकी

बच्चों की भी

साम्राज्य आखिर साम्राज्य ही होता है

चाहे वो रोमन साम्राज्य हो

चाहे वह ब्रिटिश साम्राज्य हो

या अतिआधुनिक अमेरिकी साम्राज्य हो

जिसका एक ही काम है कि-

पहाड़ों पर पठारों पर

नदी किनारे, सागर तीरे

मैदानों में

इंसानों की हड्डियों बिखेर देना-

जो इतिहास को तीन वाक्यों में

पूरा करने का दावा पेश करता है-

कि हम धरती पर शोले भड़का दिए

कि हमने धरती में शरारे भर दिए

कि हम ने धरती पर इंसानों की हड्डियाँ बिखर दीं

लेकिन मैं स्पार्टाकस का वंशज

स्पार्टाकस की प्रतिज्ञाओं के साथ जीता हूं

कि जाओ कह दो सीनेट से

हम सारी दुनिया के गुलामों के इकठ्ठा करेंगे

और एक दिन रोम आएंगे जरूर.

 

लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगे

क्योंकि ठीक इसी समय

जब मैं यह कविता आपको सुना रहा हूं

लातिन अमरीकी मजदूर

महान साम्राज्य के लिए कब्र खोद रहा है

और भारतीय मजदूर उसके

पालतू चूहों के बिलों में पानी भर रहा है

एशिया से लेकर अफ्रीका तक घृणा की जो आग लगी है

वह आग बुझ नहीं सकती है दोस्त!

क्योंकि वो आग

एक औरत की जली हुई लाश की आग है

वह आग इंसानों की बिखरी हुई हड्डियों की आग है.

 

इतिहास में पहली स्त्री हत्या

उसके बेटे ने अपने बाप के कहने पर की

जमदग्नि ने कहा ओ परशुराम!

मैं तुमसे कहता हूं कि अपनी मां का वध कर दो

और परशुराम ने कर दिया

इस तरह पुत्र, पिता का हुआ

और पितृसत्ता आई

अब पिता ने अपने पुत्रों को मारा

जाह्नवी ने अपने पति से कहा

मैं तुमसे कहती हूं

मेरी संतानों को मुझ में डुबो दो

और राजा शांतनु ने अपनी संतानों को

गंगा में डुबो दिया

लेकिन शांतनु जाह्नवी का नहीं हुआ

क्योंकि राजा किसी का नहीं होता

लक्ष्मी किसी की नहीं होती

धर्म किसी का नहीं होता

लेकिन सब राजा के होते हैं

गाय भी, गंगा भी, गीता भी, और गायत्री भी

 

ईश्वर तो खैर!

राजा के घोड़ों की घास ही छिलता रहा

बढ़ा नेक था ईश्वर!

राजा का स्वामीभक्त!

अफसोस कि अब नहीं रहा

बहुत दिन हुए मर गया

और जब मरा तो

राजा ने उसे कफन भी नहीं दिया

दफन के लिए दो गज जमीन भी नहीं दी

किसी को नहीं पता

ईश्वर को कहां दफनाया गया है,

खैर ईश्वर मरा अंततोगत्वा

और उसका मरना ऐतिहासिक सिद्ध हुआ-

ऐसा इतिहासकारों का मत है

इतिहासकारों का मत यह भी है

कि राजा भी मरा अंततोगत्वा

उसकी रानी भी मरी

और उसका बेटा भी मर गया

राजा लड़ाई में मर गया

रानी कढ़ाई में मर गई

और बेटा, कहते हैं पढ़ाई में मर गया

लेकिन राजा का दिया हुआ धन रहा

धन वचन हुआ और बढ़ता गया

और फिर वही बात!

कि हर सभ्यता के मुहाने पर एक औरत की

जली हुई लाश

और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां.

 

वह लाश जली नहीं है, जलाई गई है

ये हड्डियां बिखरी नहीं है, बिखेरी गई हैं

ये आग लगी नहीं है, लगाई गई है

ये लड़ाई छिड़ी नहीं है, छेड़ी गई है

लेकिन कविता भी लिखी नहीं है, लिखी गई है

और जब कविता लिखी जाती है

तो आग भड़क जाती है

मैं कहता हूं तुम मुझे इस आग से बचाओ मेरे दोस्तो!

तुम मेरे पूरब के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ

जिनके सुंदर खेतों को तलवार की नोकों से जोता गया

जिनकी फसलों को रथों के चक्कों तले रौंदा गया

तुम पश्चिम के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ

जिनकी स्त्रियों को बाजारों में बेचा गया

जिनके बच्चों को चिमनियों में झोंका गया

तुम उत्तर के लोगो! मुझे इस आग से बचाओ

जिनकी बस्तियों को दावाग्नि में झोंका गया

जिनके नावों को अतल जलराशियों में डुबोया गया

तुम वे सारे लोग मिलकर मुझे बचाओ

जिनके खून के गारे से

पिरामिड बने, मीनारें बनीं, दीवारें बनीं

क्योंकि मुझे बचाना उस औरत को बचाना है

जिसकी लाश

मोहनजोदड़ो के तालाब के आखिरी सीढ़ी पर

पड़ी है मुझको बचाना उन इंसानों को बचाना है

जिनकी हड्डियां

तालाब में बिखरी पड़ी हैं

मुझको बचाना अपने पुरखों को बचाना है

मुझको बचाना अपने बच्चों को बचाना है

तुम मुझे बचाओ मैं तुम्हारा कवि हूं

 

-    रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’

(‘विद्रोही’ जनता के कवि हैं, जनकवि। उनका जन्म 3 दिसंबर, 1957 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के आहिरी फिरोजपुर गांव में हुआ और निधन 58 साल की कम उम्र में 8 दिसंबर 2015 को दिल्ली में हुआ। वे एक छात्र के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से जुड़े और उनका ये जुड़ाव अंत तक रहा।)

इसे भी पढ़ें : हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

इसे भी पढ़ें : लिखो तो डरो कि उसके कई मतलब लग सकते हैं...

इसे भी पढ़ें :  भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर

इसे भी पढ़ें :  बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है

इसे भी पढ़ें : तुम कैसे मारोगे-कितनों को मारोगे/तुम्हारे पास इतनी बंदूकें नहीं/जितने हमारे पास क़लम हैं

इसे भी पढ़ें : ख़रीदो, ख़रीदो, चमन बिक रहा है

Sunday Poem
Hindi poem
Hathras Rape case
crimes against women
violence against women
women safety
gender discrimination
patriarchy

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

बिहार: आख़िर कब बंद होगा औरतों की अस्मिता की क़ीमत लगाने का सिलसिला?

बिहार: 8 साल की मासूम के साथ बलात्कार और हत्या, फिर उठे ‘सुशासन’ पर सवाल

मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर कांड से लेकर गायघाट शेल्टर होम तक दिखती सिस्टम की 'लापरवाही'

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

असम: बलात्कार आरोपी पद्म पुरस्कार विजेता की प्रतिष्ठा किसी के सम्मान से ऊपर नहीं


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License