NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
टीएमसी नेताओं ने माना कि रामपुरहाट की घटना ने पार्टी को दाग़दार बना दिया है
शायद पहली बार टीएमसी नेताओं ने निजी चर्चा में स्वीकार किया कि बोगटुई की घटना से पार्टी की छवि को झटका लगा है और नरसंहार पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो रहा है।
रबीन्द्र नाथ सिन्हा
30 Mar 2022
Translated by महेश कुमार
टीएमसी नेताओं ने माना कि रामपुरहाट की घटना ने पार्टी को दाग़दार बना दिया है

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के 11 साल के शासन में शायद पहली बार, बंगाल इमाम एसोसिएशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट (बीआईए) के बैनर तले काम करने वाले इमामों के एक वर्ग ने 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अभियानों का हवाला देते हुए कहा है कि वे बीरभूम जिले के उप-मंडल शहर रामपुरहाट के बाहरी इलाके में बोगटुई गांव में हुए नरसंहार की जिम्मेदारी से दामन नहीं छुड़ा सकती हैं।

कई मुसलमानों के साथ हुई बातचीत में न्यूज़क्लिक को संकेत मिला कि जब लोग 2 अप्रैल से शूरु होने वाले रमज़ान की तैयारी में लगे थे तब उनके समुदाय के कई लोगों को बदमाशों ने मौत के घाट उतार दिया था, जिससे उनके मन को गहरा सदमा लगा है, रमज़ान के दौरान मुस्लिम समुदाय अन्य बातों के अलावा, महीने भर का उपवास रखता है।

साथ ही, शायद ऐसा पहली बार है कि टीएमसी नेताओं ने निजी चर्चा में स्वीकार किया कि बोगटुई की घटना के बाद पार्टी की छवि को बड़ा झटका लगा है और नरसंहार पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो रहा है।

और निश्चित रूप से, बोगटुई की घटना के कारण लोगों ने टीएमसी बीरभूम जिला प्रमुख अनुब्रत के खिलाफ अपना गुस्सा ज़ाहिर किया है, जो विपक्षी पार्टी के नेताओं और यहां तक ​​कि पुलिस के खिलाफ अत्यधिक भड़काऊ बयान देने के लिए जाने जाते हैं। अनुब्रत मंडल, जो कई मामलों में जांच का सामना कर रहा है और जिस पर कपट के ज़रीए धन अर्जित करने का संदेह भी है, लगातार 'विपक्ष-मुक्त बीरभूम' के अपने मिशन को काफी सफलता के साथ आगे बढ़ाता रहा है। आज, यदि लोग उन्हें अपराधी मानते हैं, और उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हैं, तो यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि ममता बनर्जी लगातार उनका साथ देती हैं।

एक बार उसका बचाव करते हुए, ममता ने एक अजीब सा तर्क दिया था कि अनुब्रत ने जिस तरह से व्यवहार किया, लगता है उसने ऐसा 'कार्यालय' में ऑक्सीजन की अपर्याप्तता के कारण  किया है। अंत में, कुछ संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी उनसे दूरी बनाने की कोशिश कर रही है। उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश पर एक संवाददाता सम्मेलन में टीएमसी के प्रवक्ता ने मंडल पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, "वह एक बड़े राजनेता हैं, वह बहुत ज्यादा समझते हैं।"

बोग्तुई में क्या हुआ, इसका एक संक्षिप्त विवरण

सोमवार, 21 मार्च को रात करीब 8:30 बजे, टीएमसी नेता और पार्टी शासित पंचायत के उप प्रमुख भादु शेख की बम से हत्या कर दी गई; एक घंटे बाद, इलाके में अंधाधुंध बमबारी हुई और चार घरों को आग लगा दी गई, जिसे लगता है कि भादू की हत्या के बाद यह एक जवाबी कार्रवाई थी, और जिसमें छह महिलाओं और एक बच्चे सहित कम से कम आठ लोगों की जलकर मौत हो गई; मरने वालों में एक मिहिलाल शेख की मां, पत्नी और बेटी और एक नवविवाहित जोड़ा शामिल है; उनमें से अधिकांश एक दूसरे से संबंधित थे; 22 मार्च मंगलवार की सुबह करीब साढ़े तीन बजे भादू के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले सोना शेख नाम के एक व्यक्ति के घर से सात शव बरामद किए गए, जिसे बालू, स्टोन चिप परिवहन और कोयले की तस्करी के अवैध लेन-देन में लूट का हिस्सा मिलता था। सुबह 11:30 बजे के बाद गांव पुलिस की गिरफ्त में आ गया था। दोपहर बाद ममता के विश्वस्त सहयोगी फिरहाद हाकिम, रामपुरहाट विधायक आशीष बंदोपाध्याय और मंडल समेत टीएमसी के अन्य नेता मौके पर पहुंचे। यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि मंडल ने इस विचार को बेचने की कोशिश की कि एक टीवी फटना भी आग लगने का कारण हो सकता है। 

अन्य प्रभावशाली टीएमसी नेता, जो स्थानीय पंचायत समिति में "अक्सर सफलतापूर्वक  प्रतिस्पर्धा में रहते थे" एक ठेकेदार हैं और जिनकी गिरफ्तारी का आदेश मुख्यमंत्री ने 24 मार्च को गांव का दौरा करते समय दिया था, उनका नाम अनारुल हुसैन हैं, जिनके खिलाफ आसपास के लोगों ने शिकायत की थी, कि उसने पुलिस को बुलाने के उनके एसओएस का जवाब नहीं दिया था (अनारुल को जिले के एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल तारापीठ के एक होटल से तीन घंटे के भीतर गिरफ्तार किया गया था)।

भादु और अनारुल की गरीब से अमीर बनने की कहानी भी उपयुक्त उदाहरण हैं; दोनों ही टीएमसी नेताओं और पुलिस के संरक्षण में अनियमित, अनौपचारिक लेनदेन में फले-फूले। जो एक तरह से ग्रामीण बंगाल के बड़े हिस्से की जमीनी हकीकत की ओर भी इशारा करता है। 25 मार्च के इंडियन एक्सप्रेस संस्करण में छपे कवरेज का एक अंश इस बारे में बहुत कुछ बताता है। भादु की पत्नी तबीला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया: "मेरे पति ने जो किया, और जो कुछ भी कमाया, उसने अपने सहकर्मियों सहित सभी के साथ साझा किया। मेरे पति सोना शेख, पलाश शेख और अन्य लोगों को मासिक 20,000-40,000 रुपये देते थे। उन्होंने पार्टी के लिए भी बहुत कुछ किया है। लेकिन, देखो सोना और अन्य लोगों ने उसका कैसे बदला लिया। उन्हें जलन हो रही थी कि मेरा पति उप-प्रधान बन गया और अच्छा पैसा कमा रहा था....."

जब पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अर्धेंदु सेन से इस पर टिपणी करने को कहा गया तो उन्होने गुरुग्राम से न्यूज़क्लिक को बताया: “यह कानून और व्यवस्था की बगड़ती दुखद स्थिति  है। इसकी जड़ में पैसे का अनियंत्रित लालच है।" यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि यह प्रशासनिक और राजनीतिक विफलता का एक स्पष्ट उदाहरण है, सेन ने कहा कि यह एक प्रशासनिक विफलता है। उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच किए जाने पर उन्होंने कहा: "लोगों को सीबीआई पर ज्यादा भरोसा नहीं है इसलिए उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच होना बेहतर होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या बोगतुई टीएमसी के मुस्लिम समर्थन आधार को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन्होंने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता"।

सुरजीत सी मुखोपाध्याय, जो छत्तीसगढ़ के रायपुर में एमिटी विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र पढ़ाते हैं और जो बंगाल में इस पेशे में लंबे समय से रहे हैं, वे बोगटुई की घटना को दो गिरोह की लड़ाई के उदाहरण के रूप में देखते हैं; शायद आमने-सामने टकराव के बिना, अवांछनीय गतिविधि के ज़री लूट के हिस्से के लिए यह टकराव था।

मुखोपाध्याय ने रायपुर से न्यूज़क्लिक को बताया  कि “यहां शायद ही कोई आर्थिक विकास हो रहा है। अस्तित्व की अनिश्चितता बहुत बड़ी बात है, और ऐसी स्थिति में, हम ज़मीन पर इसके टकराव के बीज़ अंकुरित होने के कुछ उदाहरण देखते हैं - कुछ लोग बाहुबल और धन शक्ति के माध्यम से विशिष्ट समृद्धि प्राप्त करते हैं – वह भी बेईमान साधनों और गठजोड़ से ऐसा करते हैं; और जानते हैं कि ऐसा वे किसके समर्थन से करते हैं। एक सामी के बाद, वे उन बहुसंख्यकों की आंखों की किरकिरी बन जाते हैं जो अनिश्चित अस्तित्व में जीने के लिए मजबूर हैं। उनके पास पीछे हटने के लिए कुछ नहीं है, और उनके पास आगे देखने के लिए कुछ भी नहीं है; परिणाम प्रतिद्वंद्विता, सामूहिक लड़ाई है।"

नागरिक समाज संगठन स्वराज इंडिया और जय किसान आंदोलन ने मांग की है कि सीबीआई जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में हो, ताकि लोगों को विश्वास हो कि यह एक निष्पक्ष जांच होगी। अन्यथा, सच्चाई को दबाने के लिए भाजपा-टीएमसी सौदे की पूरी संभावना होगी और अपराध के अपराधी मुक्त हो जाएंगे, दोनों संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी, अविक साहा ने उक्त तर्क दिया है।

बीआईए के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने तर्क दिया है कि मार्च-अप्रैल 2021 में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए, मुख्यमंत्री ने मतदाताओं से बार-बार कहा था कि वे उन्हें 294 सीटों से अपना उम्मीदवार माने, और टीएमसी के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करें। इस तर्क से, वह रामपुरहाट विधानसभा क्षेत्र की विधायक भी हैं और इसलिए, उन्हें उप-मंडल शहर रामपुरहाट के बाहरी इलाके बोगतुई गांव में हुई बर्बर घटना की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जो कि 2011 की जनगणना के अनुसार है, बीरभूम जिले का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर (टीएमसी ने यह सीट जीती थी)।

जब सेन का ध्यान बीआईए प्रमुख के तर्क की ओर दिलाया तो उन्होंने कहा कि जंगल महल में प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री ने इस तरह की दलील दी थी लेकिन थोड़े कुछ अलग ढंग से कहा कि - "मेरी पार्टी के लोगों ने कुछ गलत किया होगा, लेकिन मुझे उम्मीदवार मान कर आपको मुझे वोट देकर जिताना चाहिए।”

याहिया ने दो बातें और कही: पहले तो मंडल, यानि पार्टी के जिला प्रमुख को "गिरफ्तार किया जाना चाहिए"। दूसरे, बीआईए ने बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारने के ममता के फैसले का कड़ा विरोध किया है, जिन्होंने कुछ हफ्ते पहले भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दिया था और जिन्हे बालीगंज विधानसभा क्षेत्र में उप-चुनाव के लिए टीएमसी का उम्मीदवार बनाया गया है। बाबुल ने 2014 और 2019 में आसनसोल लोकसभा सीट जीती थी। उनके पहले कार्यकाल के दौरान, स्थानीय नूरानी मस्जिद के इमाम मौलाना इमदादुल रशीदी के 16 वर्षीय बेटे सिबगतुल्लाह ने 2018 में रामनवमी के अवसर पर शहर में हुई हिंसा में अपनी जान गंवा दी थी। 

"यह घटना अभी भी स्थानीय लोगों के दिमाग में ताजा है, और कोई भी धर्मनिरपेक्ष दल किसी भी चुनाव में बाबुल को मैदान में उतारने के बारे में नहीं सोच सकता था": बीआईए प्रमुख ने एक वीडियो संदेश में ये टिप्पणी की है। न्यूज़क्लिक द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी बात पर कायम हैं, उनका रुख था: "क्या मैंने कुछ गलत कहा है?"

मौलाना शफीक कासमी, कोलकाता की सबसे बड़ी और प्रमुख मस्जिद, नखोदा मस्जिद के इमाम, न्यूज़क्लिक द्वारा पूछे जाने सीधा जवाब नहीं दिया, कि क्या उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय की निगरानी में होने वाली सीबीआई जांच को प्राथमिकता दी, जिसने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। उन्होने कहा कि, “हमें विश्वास करना होगा फिर कोई भी एजेंसी हो; हम लोगों पर शक नहीं कर सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए। अखिल भारतीय इमाम मुअज़्ज़िन और समाज कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना कासमी ने कहा, “घटना वाले दुखद स्थान का दौरा करके सीएम ने अच्छा काम किया।” उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

उसी संगठन की मुर्शिदाबाद जिला इकाई के महासचिव अब्दुर रज्जाक ने बताया कि मुसलमानों ने 2 अप्रैल से शुरू होने वाले रमज़ान की तैयारी शुरू कर दी है। “हमें उम्मीद है कि यह रमज़ान  शांति से गुज़र जाएगा। भविष्य में बोगटुई की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।"

एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में नरसंहार पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक अतिथि एम इस्लाम ने कहा: "मुख्यमंत्री को जवाब देना होगा; वह हमेशा दावा करती है कि उनका पुलिस बल बहुत अच्छा काम कर रहा है। उसे उन अच्छे कामों की सूची देनी चाहिए और बताना चाहिए यदि  सब अच्छा है तो, ऐसा नरसंहार कैसे हो सकता है?”


 

TMC
Birbhum Killings
BJP
West Bengal

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

हिमाचल प्रदेश के ऊना में 'धर्म संसद', यति नरसिंहानंद सहित हरिद्वार धर्म संसद के मुख्य आरोपी शामिल 

ग़ाज़ीपुर; मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने का मामला: एक नाबालिग गिरफ़्तार, मुस्लिम समाज में डर

लखीमपुर हिंसा:आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए एसआईटी की रिपोर्ट पर न्यायालय ने उप्र सरकार से मांगा जवाब

बंगाल हिंसा मामला : न्याय की मांग करते हुए वाम मोर्चा ने निकाली रैली

चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार

कौन हैं ओवैसी पर गोली चलाने वाले दोनों युवक?, भाजपा के कई नेताओं संग तस्वीर वायरल

तमिलनाडु : किशोरी की मौत के बाद फिर उठी धर्मांतरण विरोधी क़ानून की आवाज़


बाकी खबरें

  • night curfew
    रवि शंकर दुबे
    योगी जी ने नाइट कर्फ़्यू तो लगा दिया, लेकिन रैलियों में इकट्ठा हो रही भीड़ का क्या?
    24 Dec 2021
    देश में कोरोना महामारी फिर से पैर पसार रही है, ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों ने राज्यों को नाइट कर्फ़्यू लगाने पर मजबूर कर दिया है, जिसके मद्देनज़र तमाम पाबंदिया भी लगा दी गई है, लेकिन सवाल यह है कि रैलियों…
  • kafeel khan
    न्यूज़क्लिक टीम
    गोरखपुर ऑक्सिजन कांड का खुलासा करती डॉ. कफ़ील ख़ान की किताब
    24 Dec 2021
    न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में वरिष्ठ पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता डॉ कफ़ील ख़ान की नई किताब ‘The Gorakhpur Hospital Tragedy, A Doctor's Memoir of a Deadly Medical Crisis’ पर उनसे बात कर रहे हैं। कफ़ील…
  • KHURRAM
    अनीस ज़रगर
    मानवाधिकार संगठनों ने कश्मीरी एक्टिविस्ट ख़ुर्रम परवेज़ की तत्काल रिहाई की मांग की
    24 Dec 2021
    कई अधिकार संगठनों और उनके सहयोगियों ने परवेज़ की गिरफ़्तारी और उनके ख़िलाफ़ चल रहे मामलों को कश्मीर में आलोचकों को चुप कराने का ज़रिया क़रार दिया है।
  •  boiler explosion
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गुजरात : दवाई बनाने वाली कंपनी में बॉयलर फटने से बड़ा हादसा, चपेट में आए आसपास घर बनाकर रह रहे श्रमिक
    24 Dec 2021
    गुजरात के वडोदरा में बॉयलर फटने से बड़ा हादसा हो गया, जिसकी चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए जिनका इलाज अस्पताल में जारी है।
  • Uddhav Thackeray
    सोनिया यादव
    लचर पुलिस व्यवस्था और जजों की कमी के बीच कितना कारगर है 'महाराष्ट्र का शक्ति बिल’?
    24 Dec 2021
    न्याय बहुत देर से हो तो भी न्याय नहीं रहता लेकिन तुरत-फुरत, जल्दबाज़ी में कर दिया जाए तो भी कई सवाल खड़े होते हैं। और सबसे ज़रूरी सवाल यह कि क्या फांसी जैसी सज़ा से वाक़ई पीड़त महिलाओं को इंसाफ़ मिल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License