NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा
अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा हासिल करने पर तालिबानी सरकार द्वारा रोक लगाए हुए 200 दिनों से ज़्यादा बीत चुके हैं। यह रोक अभी भी बदस्तूर जारी है।
शारिब अहमद खान
20 Apr 2022
taliban
Image courtesy : Al Jazeera

क्या आपको पता है कि इक्कीसवी सदी में भी विश्व के नक़्शे पर मौजूद किसी एक देश में लड़कियों के पढ़ने पर पाबन्दी है? क्या आपको पता है कि शिक्षा पर पाबन्दी लगने के कारण लड़कियां वहां पैदा होने को अभिशाप मानने लगी हैं? अगर आपको नहीं पता है तो हम बताते हैं, यह देश कहीं सुदूर स्थित नहीं बल्कि अपना क़रीबी मुल्क अफ़ग़ानिस्तान है, जहां सत्ता परिवर्तन के बाद लड़कियों को शिक्षा हासिल करने से तालिबान सरकार ने रोक लगा रखी है।

अफ़ग़ानिस्तान में पिछले साल 14 अगस्त को तालिबान ने सत्ता हथिया ली।  उसके बाद देश में चले आ रहे कायदे-कानूनों को ताक पर रख दिया। खासकर से महिलाओं और बच्चों को लेकर तालिबान सरकार का रवैया बाकियों के मुक़ाबले कठोर प्रतीत हुआ। सत्ता में आने के बाद इन्होंने कक्षा 6 या 13 साल से ज़्यादा उम्र की बच्चियों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण को लेकर पाबन्दी लगा दी। जिसके कारण छात्राएं पिछले 214 दिनों से स्कूल की शिक्षा हासिल करने में असमर्थ हैं, शायद जब यह रिपोर्ट आप पढ़ रहे होंगे तो यह दिन 215 या 216..... या और न जाने कितना दिन हो चुके होंगे।

हालाँकि तालिबान द्वारा लड़कियों को शिक्षा हासिल करने पर रोक लगाने के कुछ महीनों बाद उसने यह भरोसा दिलाया था कि वह लड़कियों को आने वाले पारसी ईयर की शुरुआत से स्कूल जाने की अनुमति दे देगा। मार्च 23 को उसका यह वायदा पूरा होता हुआ भी दिखा जब लड़कियां अपने घर से स्कूल जाते हुई दिखी। लेकिन उसने लड़कियों के स्कूल जाने के आदेश को उसी दिन वापस ले लिया। जिस कारण लड़कियां स्कूल तो गईं लेकिन शिक्षा ग्रहण किए बिना ही उन्हें वापस घर को लौटना पड़ा।  

तालिबान ने पहले भी किया है छात्राओं को शिक्षा से महरूम

जब पहली बार 1996 से 2001 के बीच तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर हुकूमत किया था, तब भी उसका छात्राओं और महिलाओं के प्रति ऐसा ही रवैया था। उस वक़्त भी तालिबान हुकूमत को दुनिया की सबसे अधिक महिला-विरोधी शासन के रूप में देखा गया था। तालिबान ने उस समय भी महिलाओं को शिक्षा तथा उनके रोज़गार करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। उन्हें घर पर रहने को मजबूर कर दिया था।

हालाँकि इस बार सत्ता में आने से पहले तालिबान ने यह भरोसा दिलाया था कि वह पिछली तालिबान सरकार की तरह किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगा।  छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने से भी नहीं रोकेगा। लेकिन सत्ता में आने के बाद भले ही तालिबान बाकी नीतियों में पहले की तरह पेश नहीं आ रहा हो लेकिन वह छात्राओं के शिक्षा ग्रहण करने के मसले पर अमूमन वैसा ही पेश आ रहा है जैसा पिछली सरकार में पेश आया था।

छात्राओं का भविष्य अधर में दिख रहा

छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने पर रोक लगने के बाद वह घर पर बैठने को मजबूर हैं, कुछ छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर पा रही हैं। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार कुछ निजी विद्यालय और विश्वविद्यालय में लड़कियों को शिक्षा प्रदान की जा रही हैं लेकिन उनकी क्लास को महिलाओं और पुरुषों के दरम्यान विभाजित कर दिया गया है। आंकड़ों के मुताबिक 2018 में अफ़ग़ानिस्तान में तक़रीबन 3.6 मिलियन छात्राएं स्कूली शिक्षा में नामांकित थी, जिसमें 2.5 मिलियन प्राथमिक शिक्षा और बची हुई 1.1 मिलियन माध्यमिक शिक्षा में नामांकित थी।

यूनिसेफ के अनुसार, पिछले लगभग दो दशकों में माध्यमिक शिक्षा में विशेष रूप से लड़कियों के नामांकन में वृद्धि देखी गई थी। जहाँ लड़कियों के नामांकन की दर 2003 में 6% थी वहीँ 2018 में यह दर लगभग 40% पर पहुँच गई थी, जो अपने आप में अभूतपूर्व थी। रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा आने वाले समय में भी अच्छी गति से बढ़ता हुआ दिख रहा था लेकिन तालिबान के द्वारा लड़कियों के शिक्षा ग्रहण पर रोक लगने के कारण यह आने समय में मुमकिन नहीं दिख रहा है।

अफगानी नागरिक ज़ाहिद (बदला हुआ नाम) ने बताया कि छात्राओं को स्कूल न जाने के तालिबानी सरकार के आदेश के कारण लड़कियों और महिलाओं का भविष्य अधर में दिख रहा है। उनका कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शैक्षणिक स्थिति शहरी क्षेत्रों की तुलना में और भी बदतर है।  तालिबान सरकार द्वारा लड़कियों को शिक्षा हासिल करने से रोकने पर यह हालत और भी बदतर हो जाएगी। हालाँकि उन्हें तालिबानी सरकार से यह उम्मीद है कि वह आने वाले समय में लड़कियों को शिक्षा लेने की अनुमति दे देगी।

छात्राओं की शिक्षा को लेकर किए अपने वादे से मुकर रहा तालिबान

तलिबान ने यह वादा किया था कि उसके शासन में आने के बाद महिलाओं को शरिया कानून के दायरे में हर अधिकार दिया जाएगा। उसने यहां तक कहा था कि नए अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगी। हालांकि, इसके विपरीत सत्ता में आने के बाद महिलाओं का पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना तो दूर उन्हें शिक्षा लेने से भी दूर कर दिया गया।

अफ़ग़ानिस्तान की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने कि शर्त पर बताया कि अगस्त में तालिबान ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह पिछली तालिबान सरकार की तरह बर्ताव नहीं करेगी। 20 साल पहले वाली तालिबानी सरकार के रवैये के विपरीत वह लड़कियों और महिलाओं को शैक्षणिक संस्थानों में भाग लेने की अनुमति देगी। वह वादा अब टूट गया है। उन्होंने आगे बताया कि अफगान लड़कियों को आखिरी बार कक्षाओं में गए हुए 200 दिन से भी ज़्यादा हो चुके हैं। शैक्षणिक वर्ष लगभग ख़त्म होने को है। ऐसे में सरकार के इस फैसले से छात्राओं का भविष्य अनिश्चित और अधर में दिख रहा है।

स्कूली शिक्षा पर प्रतिबंध तालिबान के महिलाओं के प्रति व्यवहार को दर्शा रहा

तालिबानी सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा पर पाबन्दी लगाना, उनके महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों के प्रति आचरण को दर्शाता है। साथ ही यह वहां रह रहीं महिलाओं और लड़कियों की चिंता को भी उजागर करता है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर तालिबान पिछली सरकार की तरह ही बर्ताव करता है और वह महिलाओं को पुरुष के बराबर हक़ नहीं देता है तो यह आने वाले समय में अफ़ग़ानिस्तान में विकट समस्याओं को लेकर आएगा।

महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन भी व्यापक मात्रा में बढ़ जायेगा और साथ ही इसका अफ़ग़ानिस्तान के समाज खासकर खासकर ग्रामीण समाज पर बुरा असर डालेगा। इसके साथ-साथ जब देश को कई अन्तर्विभाजक संकटों से उबरने की सख्त जरूरत है, तब अफगानिस्तान की आधी आबादी को शक्तिहीन करना अन्यायपूर्ण है।

शायद हो सकता है कि आने वाले समय में तालिबान लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने देने की अपनी प्रतिज्ञा पर खरा उतरे। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान के जो लड़ाके हैं, उनकी मानसिकता को बदलने में समय लगेगा, जिस कारण यह संभावना कम है कि आने वाले समय में लड़कियों को शिक्षा हासिल करने देने और उन्हें अपना करियर बनाने की पूर्ण रुप से आज़ादी मिल पाएगी।

TALIBAN
Afghanistan
Girls Education
Girls Education in Taliban
Talibani government
SCHOOL EDUCATION
education crisis

Related Stories

शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा

कोरोना लॉकडाउन के दो वर्ष, बिहार के प्रवासी मज़दूरों के बच्चे और उम्मीदों के स्कूल

उत्तराखंड: तेल की बढ़ती कीमतों से बढ़े किराये के कारण छात्र कॉलेज छोड़ने को मजबूर

लॉकडाउन में लड़कियां हुई शिक्षा से दूर, 67% नहीं ले पाईं ऑनलाइन क्लास : रिपोर्ट

ऑनलाइन शिक्षा में विभिन्न समस्याओं से जूझते विद्यार्थियों का बयान

उत्तराखंड में ऑनलाइन शिक्षा: डिजिटल डिवाइड की समस्या से जूझते गरीब बच्चे, कैसे कर पाएंगे बराबरी?

बिहारः 204 विद्यालयों के पास नहीं है अपना भवन, ज़मीन पर बैठकर बच्चे करते हैं पढ़ाई

कोरोना: ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में बहुत पीछे छूटा अफ्रीका

वैश्विक महामारी कोरोना में शिक्षा से जुड़ी इन चर्चित घटनाओं ने खींचा दुनिया का ध्यान

कोविड-19 और स्कूली शिक्षा का संकट: सब पढ़ा-लिखा भूलते जा रहे हैं बच्चे


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License